अध्यात्म

इंसान के सभी पापों का नाश कर देती है बरुथनी एकादशी, पड़ रही है 22 और 23 अप्रैल को!

सही कहा गया है कि किसी भी इंसान को उसके कर्मों के हिसाब से ही फल मिलता है। इंसान के अच्छे-बुरे कर्म उसे अच्छा-बुरा फल दिलाते हैं। जो जीवन में हमेशा लोगों की भलाई करते हैं और ईश्वर की सेवा में लगे रहते हैं, उन्हें जीवन में किसी तरह की परेशानी नहीं होती है। लेकिन जो लोग दूसरों को दुःख देते हैं और हमेशा पाप के मार्ग पर चलते हैं, उन्हें कुछ पल के लिए तो मजा आता है, पर बाद में उन्हें इसका दुष्परिणाम भुगतना पड़ता है।

दो तरह की होती है एकादशी:

वैशाख महीने के कृष्णपक्ष में पड़ने वाली एकादशी को बरुथनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी को पुण्यदायिनी और सौभाग्यदायिनी माना जाता है। इस बार यह 22 और 23 अप्रैल को पड़ रही है। धर्म सिन्धु के अनुसार एकादशी के दो प्रकार होते हैं। पहला विद्धा और दूसरा शुद्धा। जो एकादशी दशमी तिथि से युक्त होती है उसे विद्धा एकादशी कहा जाता है, जो इस बार 22 अप्रैल को पड़ रही है।

इसके अलावा जो एकादशी द्वादशी तिथि से युक्त होती है, उसे शुद्धा एकादशी कहा जाता है, जो 23 अप्रैल को पड़ रही है। ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति इस एकादशी के दिन भगवान का ध्यान करता है, भगवान उसके सभी पाप दूर करके जीवन के कष्टों से मुक्त कर देते हैं।

ना खाएं कांसे के बर्तन में खाना:

इस व्रत के दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी होता है। कुछ लोग इन बातों का ध्यान नहीं देते हैं, उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस व्रत से पहले यानी एकादशी से एक दिन पहले भूलकर भी कांसे के बर्तन में खाना ना खाएं। इसके अलावा मांस, मसूर की दाल, शहद, चने, और पान का सेवन भी नहीं करना चाहिए।

भगवान मधुसुदन की करें सच्चे मन से पूजा:

इस व्रत के दौरान किसी अन्न का भोजन ग्रहण ना करें और ना ही दूसरी बार भोजन ग्रहण करें। व्रत के दौरान जुआं नहीं खेलना चाहिए। इस व्रत के दौरान व्यक्ति को रात के समय सोने से भी बचना चाहिए। किसी भी व्यक्ति की बुराई ना करें और ना ही उसका अपमान करें। किसी पर क्रोधित नहीं होना चाहिए और झूठ तो भूलकर भी नहीं बोलना चाहिए। इस व्रत के दौरान भगवान मधुसुदन की सच्चे मन से पूजा करें

Back to top button