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5 महीने की बेटी को गोद में लेकर रोज 165 KM सफर खड़े-खड़े करती है ये मां, स्टोरी भावुक कर देगी

यदि आपको अपनी नौकरी कठिन लगती है तो एक बार उत्तर प्रदेश के गोरखपुर की रहने वाली शिप्रा दीक्षित की कहानी सुन लीजिए। शिप्रा परिवहन निगम गोरखपुर डिपो में बस कंडक्टर की नौकरी करती हैं। वैसे तो उन्हें इस नौकरी से कोई शिकायत नहीं, लेकिन इन दिनों उन्हें अपनी पांच महीने की बच्ची को गोद में लेकर रोज 165 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। इसकी वजह ये है कि विभाग के सीनियर अधिकारियों ने शिप्रा की चाइल्ड केयर लीव (CCL) की अर्जी ठुकरा दी।

महिला को बस में छोटी बेटी को गोद में लेकर टिकट काटना पड़ता है। वह चाहकर भी भूखी बच्ची को दूध नहीं पीला पाती है। महिला की यह हालत देख कई बार यात्री तरस खाते हैं, लेकिन विभाग के आला अफसर को दया नहीं आती। वे महिला की छुट्टी मंजूर नहीं करते हैं। बस में हवा लगने से कई बार बच्ची की तबीयत भी बिगड़ चुकी है। लेकिन इसके बावजूद महिला को छुट्टी नहीं दी जा रही है।

शिप्रा के घर बच्चे को संभालने वाली कोई दुसरी महिला नहीं है। यही वजह है कि उन्हें अपनी 5 माह की मासूम बच्ची को रोज़ लेकर ड्यूटी पर आना पड़ता है। शिप्रा दीक्षित के पिता पीके सिंह यूपी परिवहन निगम में बस कंडक्टर थे। पिता के निधन के बाद साल 2016 में शिप्रा अनुकंपा नियुक्ति के तहत यह नौकरी मिली थी। उनके पिता परिवहन निगम में सीनियर एकाउंटेंट थे। बेटी ने भी साइंस से पोस्ट ग्रेजुएशन कर रखा है। लेकिन उन्हें उनकी योग्यता के अनुसार पद नहीं दिया गया।

शिप्रा बताती हैं कि तब मेरी घर की हालत ठीक नहीं थी इसलिए मुझे मजबूरी में ये नौकरी करनी पड़ी थी। तब घर में कमाई करने वाला कोई नहीं था। हालांकि इसके बाद मुझे अब तक न तो प्रमोशन मिला और न ही CCL लीव मिली। वे अब यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से गुहार लगा रही हैं। उनकी मांग है कि मेरी योग्यता और पिता के पद के अनुसार मुझे विभाग में जॉब दी जाए।

शिप्रा के पति नीरज कुमार दिल्‍ली की एक साफ्टवेयर कंपनी में जॉब करते हैं। लॉकडाउन के बाद से ही वे घर में रहते हैं। उनकी भी यही शिकायत है कि बीवी को चाइल्ड केयर लिव दे दी जानी चाहिए। बस में बेटी की तबीयत बार बार खराब हो जाती है।

सलाम है इस मां को जो ऐसा संघर्ष कर अपनी नौकरी और बेटी दोनों को संभाल रही है। वैसे इस पूरे मामले पर आपकी क्या राय है?

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