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गरीब पर लॉकडाउन की मार: बिमारी बेटी को कमजोर कंधो पर बिठा 26 KM चला बूढ़ा पिता

कोरोना वायरस (Corona Virus) की वजह से देशभर में 3 मई तक का लॉकडाउन हैं. पहले ये लॉकडाउन 14 अप्रैल तक का था लेकिन अब इसे बढ़ाकर 3 मई तक कर दिया गया हैं. इस लॉकडाउन को बढ़ाने के पीछे मकसद साफ़ हैं. सरकार सोशल डिस्टेंस बढ़ाकर कोरोना को ख़त्म करना चाहती हैं. अब समस्यां ये हैं कि इतने लंबे लॉकडाउन की वजह से गरीब वर्ग बहुत मार झेल रहा हैं. ये एक ऐसा वर्ग हैं जो डेली काम करता हैं और अपने लिए पैसे कमाता हैं. इनके पास पहले से कोई ख़ास जमापूंजी नहीं होती हैं. इस लॉकडाउन की वजह से इनका पैसो का बहुत नुकसान हो रहा हैं. आलम ये हैं कि इनके पास दो वक्त का राशन पानी भी बड़ी मुश्किल से आ पाता हैं. ऐसे में यदि परिवार में कोई बीमार पड़ जाए तो ‘गरीबी में आटा गिला’ वाली बात हो जाती हैं.

लॉकडाउन की एक समस्यां ये भी हैं कि इस दौरान यातायात के सभी साधन जैसे बस ट्रेन भी बंद हैं. ऐसे में यदि किसी गरीब को बिमारी की वजह से दूर हॉस्पिटल जाना पड़ जाए तो बड़ी दिक्कत होती हैं. इन गरीबों के पास खुद का कोई निजी साधन नहीं होता हैं. लॉकडाउन में पैसे देकर ये कोई साधन करने की हिम्मत भी नहीं कर सकते हैं. मजबूरन इन्हें लंबी दूरी पैदल ही तय करनी पड़ती हैं. अब ऐसा ही एक दिल दुखा देने वाला नजारा महाराष्ट्र राज्य के मुंबई शहर में देखने को मिला हैं. यहाँ लॉकडाउन के बीच 60 वर्षीय एक बुजुर्ग अपनी 17 साल की बीमार बेटी को कंधे पर बैठा पुरे 26 किलोमीटर चला.

जानकारी के मुताबिक इस बुजुर्ग व्यक्ति का नाम मोहम्मद रफी हैं. 60 वर्षीय मोहम्मद गोवंडी में एक झुग्गी बस्ती में रहते हैं. अपनी जीविका चलाने के लिए मोहम्मद एक रसोइया के रूप में काम करते हैं. अब लॉकडाउन हो जाने की वजह से इनका ये काम ठप्प पड़ा हैं. नतीजन घर में दो वक्त की रोटी का इंतजाम भी बड़ी मुश्किल से हो पा रहा हैं. बीते गुरुवार मोहम्मद की 17 वर्षीय बेटी के पेट में अचानक दर्द उठने लगा. बेटी का दर्द मोहम्मद से देखा नहीं गया. इसलिए उसने बेटी को हॉस्पिटल ले जाने की ठान ली.

मोहम्मद के पास कोई साधन करने के पैसे नहीं थे ऐसे में उसने अपने बूढ़े और कमजोर कंधो पर ही बीमार बेटी को बैठा लिया. इसके बाद वो भरी दोपहरी में गोवंडी से परेल तक पैदल ही चल पड़ा. इस दौरान मोहम्मद 26 किलोमीटर की दूरी तय कर केईएम हॉस्पिटल पहुंचा. अस्पताल पहुंचते पहुंचते मोहम्मद की साँसे फूलने लगी थी. वो इतना हाफ रहा था कि बड़ी मुश्किल से उसके मुंह से दो शब्द निकल पा रहे थे. मोहम्मद ने बताया कि लॉकडाउन में उसका काम बंद पड़ा हैं जिसकी वजह से घर में राशन पानी के सामन तक की जुगाड़ नहीं हो पा रही हैं. उसने ये भी कहा कि निजी साधन के पैसे नहीं थे जिस कारण वो बेटी को कंधे पर उठा पैदल हॉस्पिटल आया.

इस घटना की तरह और भी कई ऐसे किस्से देखने या सुनने को मिल रहे हैं. हमारी आप से यही विनती हैं कि यदि आपकी नजर इस तरह के गरीब पर पड़ जाए तो उसकी हर संभव मदद जरूर करे.

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