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कोहली और शास्त्री से मांगा गया खिलाड़ियों की पत्नी-गर्लफ्रेंड का ब्यौरा, तो तिलमिला गया BCCI

विदेश दौरे पर जाने वाली भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों की पत्नियों या गर्लफ्रेंड को भी साथ जाते हुए देखा गया है, जिस पर अभी तक फैसला बीसीसीआई ही लेता हुआ आया है, लेकिन अब कप्तान और कोच को लेना है। जी हां, विराट कोहली और रवि शास्त्री को खिलाड़ियों की पत्नियों और गर्लफ्रेंड का ब्यौरा बोर्ड को सौंपना होगा। इतना ही नहीं, विराट कोहली और रवि शास्त्री तय करेंगे कि विदेश दौरे पर खिलाड़ियों की पत्नियां या गर्लफ्रेंड जाएंगी या नहीं। तो चलिए जानते हैं कि हमारे इस लेख में आपके लिए क्या खास है?

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का कामकाज देखने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति ने खिलाड़ियों की पत्नियां या गर्लफ्रेंड को साथ ले जाने का फैसला कप्तान और कोच को सौंपा है, जिसकी वजह क्रिकेट जगत में भूचाल मचा हुआ है। दरअसल, यह अधिकार अभी तक सिर्फ बीसीसीआई के पास था, लेकिन अब यह कप्तान और कोच के हाथ में हो गया है, जिसकी वजह से बीसीसीआई पूरी तरह से तिलमिला गया है और उसने सीओए के फैसले को गलत ठहरा दिया है।

कप्तान और कोच के हाथ में होगा ये अधिकार

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति ने कप्तान और कोच से विदेश दौरे पर जाने वाले सदस्यों की पत्नियां और प्रेमिकाओं का ब्यौरा मांगा है। इतना ही नहीं, सीओए ने अब यह अधिकार बीसीसीआई से छीन कर कप्तान और कोच को दे दिया है। मतलब साफ है कि अब कप्तान और कोच ही यह तय करेंगे कि खिलाड़ियों की पत्नियां या गर्लफ्रेंड विदेश दौरे पर साथ जाएंगी या नहीं। इतना ही नहीं, अगर जाना है, तो दो महीने पहले ही इसकी सूचना देनी होगी, जिसकी वजह से क्रिकेट जगत में भूचाल आ गया है।

सीओए के फैसले से तिलमिलाया बीसीसीआई

सीओए द्वारा कप्तान और कोच को पत्नियों और प्रेमिकाओं के संबंध में अधिकार देने से बीसीसीआई पूरी तरह से नाराज़ है। बीसीसीआई के एक अधिकारी ने कहा कि सीओए का यह फैसला हितो का टकराव है। साथ ही उन्होंने कहा कि यह फैसला बीसीसीआई के नए संविधान का उल्लंघन करने के साथ ही लोढ़ा पैनल का भी अपमान कर रहा है, इस पर लोकपाल को जल्द ही फैसला लेना चाहिए। बता दें कि विदेश दौर पर खिलाड़ियों की पत्नियां या गर्लफ्रेंड जाएंगी या नहीं, यह फैसला अभी तक बीसीसीआई लेता था, लेकिन अब विराट कोहली और रवि शास्त्री लेगें।

लोढ़ा पैनल ने भी जताई आपत्ति

सीओए द्वारा लिए गए इस फैसले पर लोढ़ा पैनल ने भी आपत्ति जताते हुए कहा कि यह फैसला लोढ़ा पैनल द्वारा प्रस्तावित नए संविधान का उल्लंघन करता है, ऐसे में अब लोकपाल को इस संदर्भ में फैसला लेना चाहिए। साथ ही पूर्व मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा ने कहा कि अब समय आ गया है कि लोकपाल को लोढ़ा पैनल द्वारा प्रस्तावित नए संविधान के खिलाफ लिए जा रहे फैसलों को रोकना चाहिए, ताकि व्यवस्था सुचारु रुप से चल सके।

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