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पहले किसी भी परंपरा या मान्यता का कारण जान लें फिर उसका पालन करें

हमारे देश में धर्म और मान्यताएं बहुत ज्यादा हैं। कुछ काम हमें ऐसे करने पड़ते है जिनके बारे में हमें  कोई जानकारी नहीं होती है, लेकिन परंपरा के नाम पर हमें उन्हें निभाना होता है। किसी भी चीज या वस्तु के लिए भक्ति या विश्वास गलत नहीं है, लेकिन अंधभक्ति औऱ अंधविश्वास तो बेहद ही गलत है। ऐसे में हमें कोई काम ऐसा करने को कहा जा रहा है जिसके बारे में हमें नहीं पता तो हमें उसके बारे में सवाल पूछना चाहिए। हमें पता होना चाहिए की किसी भी परंपरा को निभाने की पीछे की असली वजह क्या है। ये बात हम आपको एक कहानी के तौर पर बताते हैं।

संत ने बचाई बिल्ली की जान

एक बार एक ऋषि अपने कुछ शिष्यों के साथ जंगल से जा रहे थे। उस समय बिजली बहुत तेज से कड़क रही थी और इसके बाद बारिश होने लगी। संत अपने शिष्यों के साथ एक पेड़ के किनारे रुक कर बारिश के खत्म होने का इंतजार करने लगे। उन्होंने देखा की एक छोटी सी बिल्ली भी वहीं दबी पड़ी है। संत ने सोचा कि अगर इसे जंगल में छोड़ दिया तो जंगली जानवर इसे खा जाएंगे। ये सोचकर संत ने बिल्ली को अपने साथ ले लिय़ा।

बिल्ली दिल से संत के भाव जान गई थी इसलिए हमेशा उनके आगे पीछे घूमती रहती। यहां तक की अगर वो ध्यान लगाने बैठते तो उनकी गोद में बैठ जाती। बिल्ली बार बार ऐसा करती तो ऋषि परेशान हो जाते। एक बार उन्होंने अपने शिष्य से कहा कि मैं जब भी ध्यान करने बैंठूं तो पहले इस बिल्ली को पेड़ से बांध देना।

शिष्य ने ऐसा ही किया। इसके बाद जब भी संत तपस्या करने बैठते बिल्ली को पेड़ से बांध दिया जाता। ये शिष्यों को आदेश मिला था। इसके बाद जब ऋषि का ध्यान समाप्त होता तो बिल्ली खोल दी जाती। ऐसे करते काफी समय बीत गया। एक दिन ऋषि की मृत्यु हो गई। अब उनकी जगह किसी और को गुरु बनना था।

बिल्ली बांधने की बन गई परंपरा

शिष्यों को लगा की हमारे गुरु तो जब भी ध्यान करते तो बिल्ली को बांध कर ही ध्यान करते। ऐसे में उन्होंने फिर उसी बिल्ली को वैसे ही बांधने लगे और फिर नए गुरु ध्यान करते। एक दिन ऐसा भी आया जब बिल्ली की भी मृत्यु हो गई। अब शिष्यों को लगा की इसके बिना तो पूजा पाठ और ध्यान नहीं हो सकता। ऐसे में पड़ोस से एक नई बिल्ली लाई गई उसको बांधा गया और फिर गुरु पूजा पर बैठे।

ऐसा ही कुछ दूसरी परंपराओं के साथ होता है। अगर गुरु के आदेश पर शिष्यों ने पहले ही पूछ लिया होता की वो ऐसा क्यों करते हैं तो उनकी समझ में आ जाता कि ऐसा क्यों होता था। किसी ने उस कारण के पीछे कोई सवाल नहीं किया औऱ इसे परंपरा बना दिया जिसका कोई मतलब ही नहीं था। कभी कभी भी ऐसे ही बेफिजुल की कुछ चीजे होती हैं जिन्हें हम परंपरा मानकर उसका पालन करने लगते हैं। हमें पहले उसके पीछे का कारण जान लेना चाहिए और फिर उसका पालन करना चाहिए।

 

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