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आज तक नहीं सुलझ पाई दिव्या भारती के मौत की गुत्थी, जिस दिन मिली थी खुशखबरी उसी रात हो गई थी मौत

हिंदी जगत की सबसे पहली बॉर्बी गर्ल कहलाने वाली दिव्या भारती का आज बर्थ एनिवर्सिरी है।आज भले ही कैटरीना कैफ और सनी लियोन को बॉलीवुड की गुड़िया कहा जाता हो, लेकिन असल में सबसे पहली गुड़िया तो दिव्या भारती थीं। दिव्या महज 19 साल की उम्र में ही इस दुनिया से चली गई थीं। आज अगर वो जीवित होती तो 45 साल की होतीं। बॉलीवुड में उनका  सफर बहुत छोटा रहा, लेकिन जिस कम उम्र में उन्होंने सारी सफलता पा ली थी उस उम्र में लोग सिर्फ स्ट्रगल ही करते रह जाते हैं।

एक ही फिल्म से सुपरस्टार बन गईं थीं दिव्या

उनकी खूबसूरती के लोग दीवाने थे और उन्हें आगे बढ़ते देखना चाहते थे, लेकिन आसमायिक मौत ने लोगों की इस चाहत को भी अधूरा छोड़ दिया।दिव्या भारती की मौत आज तक एक अनसुलझी पहेली है। लोगों को सिर्फ इतना पता है कि छत से गिरकर दिव्या की मौत हो गई थी, लेकिन उन्होंने आत्महत्या की थी या फिर किसी ने उन्हें धक्का दे दिया था ये राज आज तक नहीं सुलझ पाया। आज आपको बताते हैं कि दिव्या भारती के मौत के कुछ पल पहले क्या हुआ था।

दिव्या भारती की एक्टिंग के लोग दीवाने तो थे ही, लेकिन उनकी मासूमियत भरी शक्ल और मुस्कान लोगों को घायल कर जाया करती थी. साल 1992 में फिल्म विश्वात्मा से उन्होंने बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत की थी। दिव्या भारती की पहली फिल्म और एक गानें सात समंदर पार मैं तेरे… से वो रातों रात स्टार बन गईं। इस फिल्म के हिट होते ही दिव्या को लगातार 10 फिल्मों के ऑफर मिलें।

पहली नजर का प्यार और फिर शादी

अगले साल 1993 में दिव्या की तीन हिंदी फिल्में रिलीज हुईं। इससे पहले वो कुछ तेलगु फिल्म में भी काम कर चुकी थीं। ये तीन फिल्में थीं क्षत्रिय, रंग और शतरंज। इसी साल दिव्या की मौत हुई थी। गौरतलब है कि ठीक एक साल पहले ही उनकी शादी हुई थी। जिस उम्र में एक्ट्रेसज करियर बनाने के बारे में सोचती हैं उस उम्र मे वो शादी कर चुकी थीं। उनके पति थे निर्देशक-निर्माता साजिद नाडियाडवाला। दोनो को मिलाने के पीछे गोविंदा का हाथ था। दरअसल फिल्म शोला और शबनम की शूटिंग के दौरान गोविंदा ने दोनों को मिलवाया था औऱ फिर उनमें प्यार हो गया था।

साजिद से शादी करने के लिए दिव्या ने इस्लमा धर्म कबूला था और 10 मई 1992 में उन्होंने शादी भी कर ली थी। जब दिव्या की मौत हुई तो शक की सुई साजिद पर भी गई। लोगों का मानना था कि कहीं ना कहीं साजिद ने ही दिव्या को मारा है, लेकिन कुछ का मानना था कि ये एक्सीडेंट था जिसने दिव्या की जान ली। कई सालों तक छानबीन होती रही औऱ कोई नतीजा नहीं निकला और 1988 में ये केस बंद कर दिया गया। हालांकि उनकी मौत से पहले के हुए कुछ पल इन सारी बातों में एक रहस्य पैदा कर देते हैं।

मौत के दिन मिली थी खुशी

खबरों के अनुसार जिस दिन दिव्या की मौत हुई उसी दिन उन्होंने 4 बीएचके का एक नया फ्लैट खरीदा था। वह उसस दिन काफी खुश थीं और ये खुशखबरी उन्होंने अपने भाई कुणाल को दी थी। दिव्या किसी फिल्म की शूटिंग खत्म करके चेन्नई से लौटी थीं। उनके पैर में भी चोट थीं। करीब 10 बजे का वक्त था जब मुंबई के पश्चिमी अंधेरी, वरसोवा स्थित तुलसी अपार्टमेंट के पांचवे माले पर उनके घर में उनकी दोस्त नीता लुल्ला और उनके पति उनसे मिलने आए थे। तीनों लिविंग रुम में बैठकर बातें कर रहे थें।

दिव्या की नौकरानी में उन्हें ड्रिंक सर्व कर रही थीं औऱ बातचीत भी कर रही थीं। रात के 11 बजे और दिव्या की नौकरानी अमृता किचन में कुछ काम करने के लिए गईं और नीता अपने पति के साथ टीवी देखने लगीं। उसी वक्त दिव्या कमरे की खिड़की की तरफ गईं और तेज आवाज में उससे बातें करने लगीं। दिव्या के लिविंग रुम में कोई बालकनी नहीं थीं, लेकिन एक खिड़की थी जिसमें कोई ग्रील नहीं लगी थी। खिड़की के नीचे पार्किंग की जगह थी जहां अक्सर गाड़ियां खड़ी रहती हैं।

उस दिन वहां कोई गाडी खड़ी नहीं थी। दिव्या खड़की पर सही से खड़े होने की कोशिश कर रही थीं की उनका पैर फिसला और वो सीधे जमीन पर जाकर गिरीं। 5वें माले से गिरने से उनके शरीर से बहुत खून बह गया। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गा, लेकिन वहीं उनकी मौत हो गई। 5 साल तक इसकी जांच होती रही की ये एक्सीडेंट था, आत्महत्य़ा थी या फिर हत्या, लेकिन पुलिस को कुछ भी हाथ नही लगां। ये राज आज भी एक राज है, लेकिन हिंदी जगत को हमेशा से ही दिव्या भारती के अचानक चले जाने का अफसोस रहेगा।

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