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पाक का 2 टुकड़े करने वाला भारत का वो शेर, जो इंदिरा गाँधी से आंखें मिलाकर बात करते थे

पुलवामा हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव काफी ज्यादा हो गया है। हर भारतीयों की यही आवाज़ है कि पाकिस्तान से बदला लिया जाना चाहिए। इसके लिए फिर चाहे युद्ध ही क्यों न करना पड़े, लेकिन इस बार पाकिस्तान को सबक सिखाना बहुत ज़रूरी है। हालांकि, भारत और पाकिस्तान के बीच अब तक चार युद्ध हो चुके हैं, जिसमें पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी, ऐसे में हम आपको आज 1971 में हुए युद्ध के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका बागडोर सेना के लीडर फीडरमार्शल सैम मानेकशॉ के हाथ में थी। तो चलिए जानते हैं कि हमारे इस लेख में आपके लिए क्या खास है?

सन् 1971 में हुए युद्ध में पाकिस्तान को हराकर एक नया बंग्लादेश बनाने का श्रेय भी सिर्फ सेना के लीडर फीडरमार्शल सैम मानेकशॉ को भी जाता है। जी हां, पाकिस्तान को हराने के बाद सेना के लीडर फीडरमार्शल सैम मानेकशॉ की ताकत की वजह से पाकिस्तान के 90 हजार सैनिकों को बंदी बना लिया गया था। 1971 के सेना के लीडर फीडरमार्शल सैम मानेकशॉ के काफी कहानियां मशहूर हैं। माना जाता है कि ये काफी ज्यादा मस्ती करते हुए नजर आते थे, लेकिन काफी नीडर और बेबाक राय रखते थे। चलिए आपको धोखे के बदले आधा मुल्क लेने की कहानी के बारे में बताते हैं।

दोस्त हुआ करते थे मानेकशॉ और पाकिस्तानी राष्ट्रपति

मानेकशॉ और याह्या खान दोनों फौज में थे। दोनों बहुत ही अच्छे दोस्त थे, लेकिन बंटवारा होने के बाद याह्या खान पाकिस्तान चले गये और मानेकशॉ भारत में ही रह गए। ऐसे में जब याह्या खान पाकिस्तान जाने लगे तो उन्होंने मानेकशॉ से बाइक उधार ले गए, लेकिन उसके पैसे उन्होंने नहीं चुकाया, ऐसे में वक्त के साथ साथ मानेकशॉ आर्मी चीफ बन गए और उधर याह्या खान ने तख्तापलट कर पाकिस्तान के राष्ट्रपति बन गए, जिसके बाद शुरू होती है मोटरसाइकिल की वसूली।

1971 के युद्ध में लिया मानेकशॉ ने धोखा का बदला

याह्या खान ने बाइक के पैसे चुकाने का वादा किया था, लेकिन नहीं चुकाया। ऐसे में जब 1971 में पाकिस्तान की करारी हार हुई तो मानेकशॉ ने कहा कि याह्या खान के पैसे का इंतजार मैंने 24 सालों तक किया था, लेकिन वह पैसे कभी नहीं आए और आखिर उन्होंने 1947 में लिया गया उधार अपने देश को झुका कर चुकाया है। इसके अलावा मानेकशॉ ने कहा कि याह्या खान ने आधे देश के बदले उनकी मोटरसाइकिल का दाम चुका दिया और अब मुझे पैसों का इंतजार नहीं है।

इंदिरा गांधी को स्वीटी कहकर बुलाते थे मानेकशॉ

भारत की आयरन लेडी इंदिरा गांधी के सामने जहां लोग कुछ भी कहने से डरते थे, वहीं पूर्व आर्मी चीफ मानेकशॉ उन्हें स्वीटी कहकर बुलाते थे। जी हां, मानेकशॉ इंदिरा गांधी का काफी विरोध करते थे। इंदिरा ने जब युद्ध करने का एलान किया था, तब मानेकशॉ ने विरोध करते हुए कहा था कि हमे तैयारी का वक्त चाहिए, वरना भारत को नुकसान होगा। मानेकशॉ का यह तेवर देखकर इंदिरा गांधी काफी शॉक्ड हो गई थी। इतना ही नहीं, जब 1971 की जंग के लिए इंदिरा गांधी ने फिर मानेकशॉ से पूछा तो उन्होंने कहा कि मैं हमेशा तैयार हूं स्वीटी। इसके अलावा मानेकशॉ ने कहा था कि हम आपके काम में दखल नहीं देते हैं, तो आप भी नहीं दे। माना जाता है कि इंदिरा गांधी आर्मी चीफ के सारे नखरे सहती थी।

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