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जानिए सेना और CRPF में क्या फर्क होता है? और सरकार क्यों नहीं देती CRPF जवानों को पेंशन

भारत के ज्यादातर लोग सरकारी नौकरी चाहते हैं फिर वो किसी भी तरह की हो. इसके पीछे का कारण ये है कि सरकारी नौकरी में ड्यूटी आर्स कम होती है, छुट्टियां ज्यादा होती हैं, सैलरी ज्यादा होती है और रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिलने लगती है. यहां तक भारतीय सेना के सभी जवानों को पेंशन की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है लेकिन CRPF के जवानों को कोई पेंशन नहीं मिलती. हमारे यहां बहुत से लोग सेना (Army) और अर्धसैनिक बल (CRPF) को एक ही मान लेते हैं लेकिन इनमें अंतर होता है. पिछले दिनों सीआरपीएफ जवानों पर जो हमला हुआ उसकी चर्चाएं हर तरफ चल रही है. ऐसे में लोग सैनिकों और अर्धसैनिक बलों के जवानों में फर्क नहीं कर पा रहे हैं. जानिए सेना और CRPF में क्या फर्क होता है? इसके अलावा हम आपको बताएंगे कि सीआरपीएफ के जवानों को पेंशन क्यों नहीं मिलती है ?

जानिए सेना और CRPF में क्या फर्क होता है?

भारत में रहने वाले ही सेना और अर्धसैनिक बलों को एक समझते हैं लेकिन उन्हें इनके बीच फर्क पता होना चाहिए. सेना में सिर्फ इंडियन आर्मी, एयरफोर्स और इंडियन नेवी शामिल होते हैं. सेना आमतौर पर युद्ध के समय मोर्चा संभालती है और शांति के समय सेना देशभर में सेना के लिए एक छावनी यानी कैंटोनमेंट बनाई गई है जिसमें सेना रहते हैं. आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के अलग-अलग कार्यक्षेत्र निर्धारित किए गए हैं और आमतौर पर जब युद्ध नहीं होता है तो सेनाएं वहीं पर रहती हैं. नेवी का काम समुद्री सीमाओं की सुरक्षा करने का होता है, इसलिए इनको शांति के समय में भी समुद्री सीमाओं पर तैनात रहना पड़ता है. तीनों सेनाओं में सैनिकों की तादात करीब 13.50 लाख है और जो सेना रक्षा मंत्रालय के अधीन काम करती है. सेना में लेफ्टिनेंट, मेजर, कर्नल, ब्रिगेडियर, जनरल मेजर जैसी कई रैंक होती हैं और जब ये रिटायर होते हैं तब इन्हें पेंशन उपलब्ध हो जाती है.

वहीं CRPF (Central Armed Police Forces) यानी अर्धसैनिक सुरक्षा बलों में CRPF, BSF, ITBP, CISF, Assam Rifles और SSB शामिल होते हैं. देश में अर्धसैनिक बलों के जवानों की संख्या 9 लाख से भी ज्यादा है. अर्धसैनिक बलों को बांग्लादेश, पाकिस्तान, म्यांमार, चीन, भूटान और नेपाल की सीमाओं पर ड्यूटी दी जाती है. अर्धसैनिक बलों की सिविल पुलिस की तरह कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल, एएसआई, असिस्टेंट कमांडेंट और कमांडेंट, डीआईजी, आईजी और डीजी की पोस्ट पर नियुक्ति की जाती है. अर्धसैनिक बलों में रिटायरमेंट के बाद आर्मी की तरह पेंशन नहीं मिलती और इन्हें गृह मंत्रालय के मातहत में काम करना होता है.

CRPF ने की थी पेंशन की मांग

अर्धसैनिक सुरक्षा बलों बीते कई सालों से अपने लिए पेंशन की मांग कर रहे हैं. उनकी शिकायत ये है कि वे भी सेना की तरह हर परिस्थियों का सामना करते हैं और उन्हें देश के अंदर व बाहर रक्षा के लिए तैनात किया जाता है. ऐसे में उनको भी उनकी ही तरह पेंशन दी जानी चाहिए. सीआरपीएफ के जवानों की एक ही गुजारिश है कि उनको भी सेनाओं की तरह सेवा शर्तें और सम्मान मिलना चाहिए. कॉन्‍फेडरेशन ऑफ रिटायर्ड पैरा मिलिट्री एसोसिएशन के महासचिव रणवीर सिंह के मुताबिक,‘सातवें वेतन आयोग में अर्धसैनिक बलों को सिविलयन का दर्जा दे दिया गया है. वन रैंक वन पेंशन की बात तो दूर है, सातवें वेतन आयोग ने उनको भत्ता यानी पेंशन तक नहीं दी जाती.

अर्धसैनिक बलों के जवानों के साथ सरकार सौतेला व्यवहार रही है. उन्हें पेंशन नहीं दी जाती है और फौजियों की तरह एमएसपी भी नहीं दी जाती है. इन्हें सेना के कैंटीन में जीएसटी की छूट दी गई है, लेकिन अर्धसैनिक बलों की कैंटीन में जीएसटी से कोई छूट नहीं मिलती.’ असल में अर्धसैनिक बल भी सेना के कदम से कदम मिलाकर देश रक्षा करते हैं तो इन्हें भी पेंशन दी जानी चाहिए.

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