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बड़ी खबर: मोदी सरकार जारी करने जा रही है 75 रुपये का स्मारक सिक्का, जानें क्या है इसकी खासियत

सुभाष चन्द्र बॉस की ओर से पहली बार तिरंगा फहराने की 75 वीं वर्षगांठ के अवसर पर सरकार ने 75 रुपये का स्मारक सिक्का यानी कोमेमोरेटिव कॉइन जारी करने का ऐलान किया हैं और वित्त मंत्रालय की ओर से इसके संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया हैं। इस नोटिफिकेशन के मुताबिक ‘ नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के द्वारा पोर्ट ब्लेयर पर पहली बार तिरंगा फहराने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर केंद्र सरकार की अधिकृत अथॉरिटी मिंट 75 रुपये का यह सिक्का तैयार करेगी।”

वित्त मंत्रालय के द्वारा जारी इस नोटिफिकेशन के मुताबिक सिक्के का वजन 35 ग्राम होगा और इसमें 50 फीसदी चांदी, 40 फीसदी तांबा और 5-5 फीसदी निकल व जिंक धातु भी होगा। यानी की इस सिक्के को चार धातुओं को मिलाकर बनाया जाएगा। इस सिक्के पर सेल्युलर जेल के पीछे तिरंगे को सलामी देते हूए नेताजी सुभाष चंद्र बोस का तस्वीर बना होगा और पोर्ट्रेट के नीचे 75 अंक का मतलब ‘वर्षगांठ’ होगा, सरकार द्वारा जारी इस सिक्के पर देवनागरी और अंग्रेजी में ‘प्रथम ध्वजारोहण दिवस’ भी लिखा होगा।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 30 दिसंबर, 1943 को पहली बार तिरंगा सेल्युलर जेल, पोर्ट ब्लेयर के ऊपर ध्वज फहराया था। बता दें 21 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के राजधानी दिल्ली के लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहाराया और नेताजी द्वारा गठित आजाद हिंद सरकार की स्थापना की इसके अलावा नरेंद्र मोदी ने पहली बार तिरंगा फहराएँ जाने कि 75वीं वर्षगांठ पर स्मारक पट्टिका का अनावरण भी किया।

पहले भी जारी हो चुका है 100 रुपये का सिक्‍का

इसके पहले भी केंद्र सरकार ने 100 रुपये का सिक्का जारी किया था, 100 रुपये का यह सिक्का तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और दक्षिण भारत के सुपरस्टार रहे डॉ. एमजी रामचंद्रन की जन्‍म शताब्‍दी पर जारी किया था। 100 रुपये का यह सिक्का चांदी, कॉपर, निकेल और जिंक से मिलकर बना हुआ है। 35 ग्राम वजन वाले इस सिक्‍के में 50 प्रतिशत चांदी, 40 प्रतिशत कॉपर, 5-5 फीसदी निकल और जिंक के धातु से बनाया गया हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें की सुभाष चन्द्र बोस को नेताजी भी कहा जाता हैं और उन्होने ही आजाद हिन्द फौज का गठन देश को स्वतंत्र कराने के लिए किया था। इसके अलावा उन्होने महिलाओं की भी एक फौज रानी लक्ष्मी बाई के नाम से किया था और इस फौज में महिलाओं ने बढ़-चढ़ का हिस्सा लिया था। अर्थात देश की आजादी में महिलाओं ने भी अपना महत्वपूर्ण योगदान था| नेताजी का मानना था कि महिलाएं सिर्फ घर में नहीं बल्कि जंग में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं।

इसके अलावा उन्होने देश के युवाओं में जोश भरने के लिए ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी का नारा दिया था और नेताजी के इस नारे से बहुत सारे उत्साहित हूए थे। बता दें कि नेताजी ने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए जर्मनी के तानाशाह हिटलर से भी सहयोग मांगा था| इतना ही नहीं देश के आजादी के बाद अंग्रेजों ने इन्हें देशद्रोही कहा था और नेताजी की मृत्यु कब और कैसे हुई इसके बारे में सही जानकारी नहीं हैं क्योंकि कुछ लोग कहते हैं कि उनकी मृत्यु प्लेन क्रैश में हुयी थी।

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