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आज़ादी के 70 साल बाद पहली बार इस इलाके में जला बिजली बल्ब, गाँव वाले देखकर हुए प्रसन्न

नई दिल्ली: आज दुनिया तकनीकि के मामले में काफी आगे निकल चुकी है। आजादी के बाद से भारत ने भी काफी तकनीकि विकास कर लिया है, लेकिन भारत में आज भी कई ऐसे गाँव हैं जहाँ बिजली की कमी है। वहाँ के लोगों ने आजतक गाँव में जलता हुआ बिजली का बल्ब नहीं देखा है। आज हम आपको एक ऐसे ही इलाके के बारे में बतानें जा रहे हैं, जहाँ लोगों ने बिजली का बल्ब ही नहीं देखा था। अब तक यहाँ के लोग लालटेन की रौशनी में ही जीवन व्यतीत कर रहे थे।

दुर्गम गाँवों में पहुँचाया जा रहा है सोलर बिजली:

उन्हें अचानक से बिजली मिली तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। हम जिस इलाके की बात कर रहे हैं वह बिहार के कैमूर जिले का अधौरा पहाड़ है। यह इलाका नक्सल के लिए कुख्यात है। इस गाँव में रहने वाले लोगों के लिए विकास की किरण नहीं पहुँची थी। लेकिन दिसंबर 2018 तक पुरे बिहार में बिजली पहुँचानें की मुहीम के तहत इन दुर्गम गांवों में सोलर एनर्जी के माध्यम से बिजली पहुँचानें का काम चल रहा है। आज भी इस इलाके तक पहुंचनें के लिए अच्छी सड़क नहीं है, जिस वजह से बिजली के उपकरणों को यहाँ तक पहुँचानें में काफी मुश्किल हुई।

पहाड़ी में बसे 12 गाँवों ने देखी पहली बार बिजली:

18 फीट पर बसे इन गांवों में बिजली पहुँचानें के लिए विभाग के लोगों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इन इलाकों में खम्भों से ग्रिड तक बिजली पहुँचना असम्भव है, इसलिए यहाँ सोलर एनर्जी से बिजली की आपूर्ति की जा रही है। आपको बता दें पुरे बिहार में ऐसे 212 गाँव हैं जो बहुत ही दुर्गम इलाकों में बसे हुए हैं। इनमें से कुछ गाँव कैमूर और रोहतास जिले में ही हैं। कुछ गाँव पक्षिमी चंपारण में हैं। इस काम के पहले चरण के तहत अधौरा पहाड़ी के 12 गांवों में पहली बार बिजली देखी गयी है।

अँधेरे में जीनें वाले इलाके के लोगों के लिए है यह बहुत बड़ा वरदान:

इस इलाके में रहनें वाले 2000 लोगों के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं है। इन इलाकों में बिजली पहुँचानें के लिए दो तरह की व्यवस्था की गयी है। एक व्यवस्था हर घर के बाहर सोलर प्लेट लगाकर बिजली दी गयी है, जबकि दुसरे में सूअर उर्जा का एक मिनी ग्रिड स्थापित किया गया है। बिजली कंपनी कनेक्शन के साथ सोलर उर्जा से चलनें वाला ख़ास पंखा भी दे रही है।

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