स्वास्थ्य

इन दबाइयों के कई सैंपल हुए हैं जांच में फ़ैल, खरीदने से पहले ध्यान जरूर दें वरना हो जायेगी गड़बड़

बरसात खत्म हो चुकी है और अब सर्दियों का मौसम आ चुका है। आमतौर पर मौसम के इस बदलाव के साथ इस मौसम में तकरीबन हर किसी को हल्का फुल्का सर्दी-जुकाम हो जाना सामान्य सी बात है। ऐसे में समान्यतः लोग इस तरह की बीमारियों के लिए किसी डॉक्टर को दिखाना उचित नहीं समझते है और ज़्यादातर इस्तेमाल होने वाली एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करते हैं। इस तरह की समस्या के लिए तकरीबन सभी मेडिकल स्टोर पर कई सारी एंटीबायोटिक दवाएं आसानी से उपलब्ध हो जाती है। मगर यहाँ पर ध्यान देने वाली बात ये है की इन दवाओं के सेवन से आराम तो मिल जाता है मगर ज़्यादातर लोग इस बात से वाकिफ नहीं हैं की इसके कई साइड इफेक्ट्स भी होते हैं और कई बार ये साइड इफेक्ट्स जानलेवा भी हो सकते हैं।

जांच में कई नमूने हुए फेल

आपकी जानकारी के लिए बताते चलें की औषधि विश्लेषणशाला में प्रदेश के विभिन्न जिलों से भेजे गए तमाम एंटीबॉयोटिक्स जैसे की दर्द निवारक और बच्चों के सिरप आदि के कई सारे नमूने जांच के लिए भेजे गए थे जो की टेस्ट में फेल हो गए हैं। बताया जा रहा है की इनमें से सर्वाधिक 14 नमूने हरिद्वार जिले से लिए गए थे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है की ये सभी कंपनियाँ हमारे स्वस्थ्य से किस तरह खिलवाड़ कर रही हैं। आपकी जानकारी के लिए बताते चलें की राज्य भर से सितंबर एवं अक्तूबर में खाद्य एवं औषधि विश्लेषणशाला में दर्द निवारक दवाओं, एंटीबॉयोटिक्स, बच्चों के सिरप और गैस की दवाओं के तीन दर्जन से अधिक दवाओं के नमूने जांच के लिए भेजे गए थे। इनमें सितंबर के कुल 16 नमूनों में से एंटीबॉयोटिक्स सिफेक्जिम के नैनीताल व हरिद्वार जिले से लिए गए एक-एक नमूने फेल हो गए हैं।

इसके अल्वा आपको यह भी बताते चलें की अक्तूबर के माह में कुल 22 नमूनों में हरिद्वार जिले से लिए गए एंटीबॉयोटिक्स सिफडोकजाइन के तीन, एंटीबायोटिक्स सिफेक्जिम के दो, कोडिन सिरप के दो, गैस की दवा ओमीप्राजोल के दो, एसीलोफिनेक एंड पैरासिटामोल का एक और सिफेक्जिम ड्राई सिरप के दो सैंपल फेल हो गए हैं। खाद्य विश्लेषक अब प्रतिदिन रुद्रपुर की खाद्य एवं औषधि विश्लेषणशाला में बैठेंगे। शासन से इसकी मंजूरी मिल गई है। राजकीय विश्लेषक निशांत त्यागी ने बताया कि इससे पूर्व केंद्रीय फूड लैब गाजियाबाद से खाद्य विश्लेषक सप्ताह में एक ही दिन आते थे। 31 अक्तूबर तक उनका करार था। अब उनकी नियमित नियुक्ति रुद्रपुर में होगी।

जहां से यह नमूने लिए गए हैं उस मेडिकल स्टोर, दवा के थोक व्यापारियों, दवा का उत्पादन करने वाली कंपनी को नोटिस दिया जाएगा। इसके बाद औषधि प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 व 1945 के तहत कार्रवाई की जाएगी। यह निश्चित रूप से बेहद ही चिंता का विषय है की यदि इस तरह से खराब और नकली दवाओं का व्यापार होता रहेगा तो आम इंसान से लेकर बड़ी बड़ी हस्तियाँ भी इसके नुकसान की चपेट में आ सकती हैं और कितना बड़ा नुकसान इससे हो सकता है इसका आप अंदाज़ा भी नही लगा सकते हैं।

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