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नीरव मोदी की विदेश की 4000 करोड़ की सम्पत्ति को ज़ब्त करने की तैयारी में ईडी

PNB घोटाला के बारे में आप भूले नहीं होंगे। इस घोटाले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। PNB घोटाला मामले में अपनी जाँच का दायरा बढ़ाते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने निरव मोदी को विदेश में स्थित 4000 करोड़ की सम्पत्तियों की पहचान कर ली है। जाँच एजेंसी अब उन्हें प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉनड्रिंग एक्ट के तहत ज़ब्त करने की तैयारी कर रही है। आपकी जानकारी के लिए बता दें इससे पहले भी केंद्रीय जाँच एजेंसी ने धोखाधड़ी के एक अन्य मामले में ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में सम्पत्तियों को ज़ब्त कर चुकी है।

अधिकारियों ने बनाई है एक विशेष टीम:

अधिकारियों ने बताया कि जाँच एजेंसी अब तक कई न्यायिक अनुरोध पत्र मुंबई स्थित स्थानीय अदालत से जारी कर चुकी है। इसके अलावा कइयों को अभी अमेरिका, ब्रिटेन, स्विटजरलैंड, हॉंगकॉंग और सिंगापुर जैसे देशों को भेजा जा रहा है। इसके बाद इन देशों में स्थित नीरव मोदी और उसके परिवार की चल-अचल सम्पत्तियों, मकान, विला को ज़ब्त किया जा सके। उन्होंने आगे बताया कि विदेशों में स्थित इन सम्पत्तियों का पता लगाने के लिए अधिकारियों की एक विशेष टीम बनाई गयी थी।

उनसे मिली सूचना के आधार पर ही लगभग 4000 करोड़ रुपए की दो दर्जन सम्पत्तियों को सम्बंधित विदेशी अधिकारियों की मदद से ज़ब्त करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। आपको बता दें विदेशों में स्थित ये सम्पत्तियाँ नीरव मोदी, उसके परिवार के सदस्यों और कुछ मामलों में उसकी बोगस या डमी फार्मों के नाम पर हैं। माना जा रहा है कि उक्त देशों में नीरव मोदी के कुछ शोरूम्स भी ईडी के निशाने पर हैं और उन्हें भी किसी समय ज़ब्त किया जा सकता है। बता दें जाँच एजेंसी अब तक नीरव मोदी और उसके परिवार के सदस्यों की देशभर में लगभग 700 करोड़ की सम्पत्तियों को पहले ही ज़ब्त कर चुका है।

अपने दोस्तों के साथ मिलकर किया था पीएनबी घोटाला:

आपकी जानकारी के लिए बता दें नीरव मोदी वो व्यक्ति है जो पंजाब नेशनल बैंक के जुड़े लगभग 11300 करोड़ रुपए का घोटाला करने के लिए ज़िम्मेदार है। इसमें नीरव मोदी के साथ उसके व्यापारी दोस्तों का भी हाथ है। जब यह घोटाला सामने आया, उसके बाद पीएनबी के शेयर लगभग 8.5 प्रतिशत नीचे गिर गए थे। बताया जाता है कि कुछ अमीर लोगों को फ़ायदा पहुँचाने के लिए फ़र्ज़ी लेन-देन किया गया था। इसे अंजाम देने में पंजाब नेशनल बैंक के अधिकारी भी शामिल हैं। इस फ़र्जीवाड़े का असर दो सरकारी और एक निजी बैंक के ऊपर भी पड़ा है।

बता दें हॉंगकॉंग में ज़ेवरातों की ख़रीद के लिए बिज़नेसमैन नीरव मोदी और उसके साथियों को लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग दिया गया था। पीएनबी द्वारा जारी किए गए इस लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग के आधार पर बैंकों ने इन लोगों को पैसे दिए थे। जिसके बाद इन लोगों ने पैसे से ख़रीददारी की थी। लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग को एक गारंटी की तरह माना जाता है। इस पत्र को एक बैंक द्वारा दूसरे बैंक को जारी किया जाता है। जिसके आधार पर दूसरा बैंक बताए गए व्यक्ति को पैसा क्रेडिट के रूप में देता है।

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