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बरमूडा त्रिकोण के रहस्य से पर्दा उठ चुका, हेक्सागोनल आकर के बादल इसके लिए जिम्मेदार!

अगर आपसे कहा जाए कि पृथ्वी पर एक ऐसी जगह हैं जहाँ जाने वाला आज तक वापस नहीं आया है तो सुनकर ही आप सिहर जायेंगे। अक्सर ये सवाल उठता है कि विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है फिर भी क्यों नहीं उसके रहस्य के बारे में जानकारी मिल सकी है। आपको बता दें हम किसी और जगह की नहीं बरमूडा त्रिकोण की बात कर रहे हैं, जिसे शैतान के त्रिकोण के रूप में भी जाना जाता है।

उत्तर पश्चिम अटलांटिक महासागर का एक क्षेत्र है, जिसमे कुछ विमान और पानी के जहाज गायब हो गए हैं। कुछ लोगों का दावा है कि ये गायब होने की बातें मानव त्रुटि या प्रकृति के कृत्यों की सीमाओं के परे है। कुछ लोगों का मानना है कि इसके लिए कोई बुरी ताकत जिम्मेदार है। अमेरिकी नौसेना इस बात से इनकार करती है कि बरमूडा नाम की भी कोई जगह हैं।

त्रिकोण की आकृति के बारे में जैसा लेखों में लिखा गया है उससे अलग है। इसका आकार फ्लोरिडा के जल डमरू मध्य, बहामा से अजोरेस तक पूरे केरिबियन द्वीप क्षेत्र को और पूर्वी अटलांटिक को आवृत करते हुए हैं। इसमे मेक्सिको की खाड़ी भी शामिल हैं। त्रिकोणीय सीमा में कुछ बिन्दु अटलांटिक तट पर फ्लोरिडा, सेन जूआन, पुएर्टो रीको और अटलांटिक के मध्य द्वीप बरमूडा में है। जिसमे अधिकांश दुर्घटनाओं के केन्द्र बहामास और फ्लोरिडा के जल डमरू मध्य के मध्य रहे हैं।

बरमूडा त्रिकोण और वेद के सम्बन्ध .. 

बरमूडा त्रिकोण और वेद के सम्बन्ध

लगभग 23000 सालों पहले लिखे गए ऋग्वेद के अस्य वामस्य में कहा गया है कि मंगल का जन्म धरती पर हुआ था। उसमे लिखा गया है कि मंगल ग्रह को जन्म पृथ्वी दे दिया था, लेकिन मंगल को उससे दूर करके उसे अन्तरिक्ष में भेज दिया गया। जिससे पृथ्वी का हृदय बहुत दुखी हुआ और उसका संतुलन बिगाड़ गया। वह अपनी धूरी पर घुमने लगी। उस समय के वैद्य अश्विन कुमार ने पृथ्वी के संतुलन को ठीक करने और उसके चोटिल हृदय को सही करने के लिए एक त्रिकोणीय आकार का लोहा बनाया और उसे चोटिल स्थान पर रख दिया। ऐसा करने से पृथ्वी अपनी धूरी पर रुक गयी। यही त्रिकोण बाद में चलकर बरमूडा त्रिकोण के नाम से जाना गया।

बरमूडा त्रिकोण  का इतिहास:

बरमूडा त्रिकोण के रहस्य से पर्दा उठ चुका, हेक्सागोनल आकर के बादल इसके लिए जिम्मेदार!

त्रिकोण के बारे में कुछ अद्भुत दस्तावेज प्रस्तुत करने वाला पहला व्यक्ति क्रिस्टोफर कोलंबस था। जिसने बताया की उसने और उसके चालक दल ने, “क्षितिज पर नृत्य करती अद्भुत रोशनी” देखी और अपनी लाग बुक में एक अन्य स्थान पर उसने लिखा। आकाश में आग की लपटें थी और अपनी लाग बुक में ही एक और जगह पर उसने क्षेत्र में कंपास की बेतुकी दिशा स्थिति के बारे में भी लिखा।

यह भूमि एक नाविक रोड्रिगो दी ट्रिअना (Rodrigo de Triana) ने देखी थी। हालाँकि शाम को 10 बजे एडमिरल ने क्वार्टर डेक पर एक प्रकाश देखा था। लेकिन वह इतना हल्का था की वह उसे भूमि नहीं समझ सका। उसने पिरो गुतेर्रेज़ को बुलाया जो राजा के वस्त्रों की देखभाल किया करता था। उसने उसे बताया की उसने एक प्रकाश देखा और उसने उसे भी उस ओर देखने के लिए कहा जहाँ वह देख रहा था। उसने वही किया जैसा कि सेगोविया के रोड्रिगो सांचेज ने किया था। उसे राजा और महारानी ने जहाजों के बेडे के साथ भेजा था, लेकिन वह अपनी जगह से कुछ देख नहीं सका।

एडमिरल ने फिर से एक या दो बार उधर देखा, उन्हें एक मोमबत्ती के प्रकाश के जैसा कुछ दिखा जो ऊपर और नीचे की तरफ गति कर रहा था। कुछ लोगो के विचार में यह भूमि का एक संकेत था। परन्तु एडमिरल यह निश्चित कर चुका था कि भूमि निकट ही थी।

कुस्चे का निष्कर्ष (बरमूडा त्रिकोण):

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• समुद्र के किसी अन्य भाग की तुलना में इस क्षेत्र में लापता बताये जाने वाले पोतों और विमानों की संख्या उल्लेखनीय रूप से अधिक नहीं थी।

• किसी क्षेत्र में बार- बार आने वाले उष्णकटिबंधीय तूफान, गायब होने कि घटित घटनायें, अधिकतर भागों के लिए न तो अनुपातहीन थी और न ही रहस्यमय। इसके अतिरिक्त, बर्लित्ज़ और अन्य लेखक ऐसे तूफानों के विषय में उल्लेख करने में विफल रहे है।

• अस्थिर शोधों द्वारा इस संख्या को अतिशयोक्तिपूर्ण ढंग से बढ़ा दिया गया। एक नाव लापता हो कर सूचीबद्ध होने की सुचना दी गयी परन्तु कभी यही नाव बंदरगाह पर (देरी से) फिर लौट आयी हो, तो हो सकता है कि उसकी सुचना नहीं दी गयी हो।

• कुछ विलुप्त होने की घटनायें वास्तव में कभी हुई ही नहीं। 1937 में फ्लोरिडा के डेटोना बीच पर सैकड़ों गवाहों के सामने एक विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बारे में कहा गया, लेकिन स्थानीय समाचार पत्रों की जांच से कुछ भी नहीं पता चला।

• बरमूडा त्रिभुज की कहानी एक गढा गया रहस्य है। जिसे लेखकों ने जानते बुझते या अनजाने में भ्रांतियों, ग़लत तर्कों और सनसनी का इस्तेमाल करते हुए स्थायी बना दिया।
हाल में किये गए शोध:

अभी हाल ही में किये गए शोध के अनुसार वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने बरमूडा त्रिकोण के रहस्य को सुलझा दिया है। उनके अनुसार बरमूडा त्रिकोण 150 फीट गहरा है, जो आधे मील की परिधि में एक ख़ास गुरुत्वाकर्षण ताकत उतपन्न करता है। इस त्रिकोण में इतनी ताकत है कि वह एक बहुत बड़े पानी के जहाज को भी अपने अन्दर समा सकता है। क्षेत्र के आस- पास एक किस्म का बादल बनता है और तूफ़ान जैसी स्थिति को जन्म देता है।

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