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अगर हर मुसलमान सऊदी है तो उनके साथ इतना भेदभाव क्यों?

काबा के इमाम ने कहा कि हर सऊदी मुसलमान है और हर मुसलमान सऊदी है। सऊदी के हालात किसी से छुपे हुए नहीं हैं। वहाँ काम की तलाश में हर रोज भारत, पाकिस्तान और कई देशों से लोग जाते हैं। वह पर उनके साथ जो व्यवहार होता है वह सभी लोग जानते हैं। बाहरी लोगों का तो छोड़ दीजिये वहाँ के शिया मुसलमानों की भी हालत बहुत ख़राब है। Does Saudi Muslims treats , Indian subcontinents Muslims equally? newstrend-pakistanisaudi22-16-4

सऊदी अरब के पूर्वी प्रांत में सऊदी अरब की सबसे बड़ी शिया आबादी रहती है।

सऊदी अरब के पूर्वी प्रांत जिसका नाम दम्माम है तेल की दौलत से मालामाल है। इसी क्षेत्र में सऊदी अरब की सबसे बड़ी शिया आबादी रहती है। क़तीफ़ जो कि दम्माम प्रांत का सबसे बड़ा शिया क्षेत्र है, सऊदी अरब के  सबसे ज़्यादा तेल भंडार क़तीफ में ही हैं। यहीं से तेल पाइपलाइन रियाद भी जाती है। दूसरा क्षेत्र अलएहसा है यहाँ की कुल आबादी में शिया 70% है।

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तेल की दौलत से मालामाल यह क्षेत्र कहने को तो शिया क्षेत्र है, लेकिन इस क्षेत्र का शिया मुसलमान इस देश का सबसे गरीब और पिछड़ा वर्ग हैं। बांग्लादेशी, भारतीय और पाकिस्तान मजदूरों की तरह कारखानों में काम करते हैं। विदेशों के अधिकारियों और सुपरवाईज़रों की जली कटी सुनते है, उनके साथ जो व्यवहार किया जाता है वह तो बताने लायक भी नहीं है। उनके वेतन में और बाहरी मजदूरों के वेतन में आमतौर पर एक या दो हज़ार रियाल तक का ही अंतर पाया जाता है।

सऊदी अरब में रह रहे मुसलमान मजदूरों ने अपने देशों के लिए बहुत पैसे भेजे हैं। यह पैसे इन दोनों देशों के विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा है। लेकिन इसके बदले सरकारी स्तर पर उन लोगों की मुश्किलों के हल के लिए कितनी कोशिश की जाती है? अगर हर मुसलमान सऊदी है तो हज़ के लिए तो कम से कम वीज़ा नहीं लगना चाहिए। पाकिस्तान के बड़े राजनेता को मुश्किल समय में सऊदी पनाह दे देता है, तो क्यों नहीं एक गरीब मुसलमान को पनाह देता है। जब एक मुसलमान काम करने के लिए सऊदी जाता है तो उसका पासपोर्ट रख लिया जाता है, क्या कोई अपने भाई के साथ ऐसा करता है।

https://www.youtube.com/watch?v=9ARahaZRjvA

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