अध्यात्म

इस मंदिर की देवी को लगती है गर्मी इनको भी आता है पसीना, विज्ञान भी है नतमस्तक

जब व्यक्ति को गर्मी लगती है तो वह गर्मी से बचने के लिए अपने घर या ऑफिस में एसी कूलर लगाते हैं जिससे गर्मी में उनके पसीने ना निकले और वह गर्मी से राहत प्राप्त कर सकें परंतु क्या आप लोगों ने कभी ऐसा सुना है कि मंदिर में विराजमान किसी देवी को भी गर्मी लगती है और उस देवी को भी आम इंसानों की तरह पसीना निकलता है शायद इस बात को सुनकर आप यकीन नहीं कर रहे होंगे परंतु आपको बता दें कि एक ऐसा मंदिर है जहां पर मूर्ति को इंसानों की तरह ही गर्मी लगती है और उनको भी पसीना आता है यहां पर विराजमान माता की मूर्ति को गर्मी का एहसास ना हो इसके लिए पूरे मंदिर में एसी भी लगाया गया है।

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि जबलपुर के सदर इलाके में स्थित काली माता का मंदिर जहां पर काली माता की लगभग 550 साल पुरानी प्रतिमा विराजमान है इसके बारे में ऐसे माना जाता है कि स्वयं सिद्धि माता काली की भव्य प्रतिमा गोंडवाना साम्राज्य के दौरान स्थापित की गई थी इसके बारे में यह भी बताया जाता है कि माता काली की इस प्रतिमा से गर्मी बर्दाश्त नहीं हो पाती है और उस माता की मूर्ति से पसीना आने लगता है माता को पसीना ना आए इसके लिए वहां के भक्तों ने इस मंदिर में एसी भी लगवा रखा है।

आपको बता दें कि काली माता के इस मंदिर में जब एसी बंद हो जाता है तो उनकी इस प्रतिमा से पसीना निकलने लगता है जिसको हम साफ तौर से देख सकते हैं आपको बता दें कि काली माता की इस प्रतिमा से निकलने वाले पसीने के राज को जानने के लिए कई बार इस विषय में खोज-बीन भी की गई थी परंतु यह आज भी राज का राज बना हुआ है इसी वजह से तो विज्ञान भी इसे किसी चमत्कार से कम नहीं समझता है।

अगर हम इस मंदिर के ट्रस्ट के पंडितों की मान्यता के बारे में जाने तो रानी दुर्गावती के शासनकाल में मदन महल पहाड़ी में निर्मित मंदिर में काली माता की प्रतिमा को स्थापित किया जाना था इसके लिए शारदा देवी की प्रतिमा के साथ काली माता की प्रतिमा को लेकर एक काफिला मंडला से जबलपुर के लिए रवाना हुआ था जैसे ही वह काफिला जबलपुर के सदर इलाके में पहुंचा तो माता काली की प्रतिमा को लेकर चलने वाली बैलगाड़ी वहीं पर रुक गई थी और उसी रात काफिले में शामिल एक बच्ची के सपने में काली माता ने दर्शन देते हुए कहा था कि उन्हें यही पर स्थापित किया जाए काली माता की प्रतिमा को तालाब के बीचो-बीच एक छोटी सी जगह पर स्थापित किया गया था जहां पर बाद में काली माई का मंदिर बनाया गया था।

यहां के बारे में ऐसे बताया जाता है कि इस मंदिर में हर समय काली माई की उपस्थिति का एहसास किया जा सकता है यही कारण है कि रात के समय मंदिर में किसी को भी रुकने या सोने की अनुमति नहीं दी जाती है काली माता का मंदिर है जिसके आसपास मौजूद प्रसाद और पूजा के सामान बेचने वाली सभी दुकाने करीब 200 साल पुरानी कही जाती है मौसम चाहे कोई भी हो एसी बंद होते ही काली माता की इस प्रतिमा से पसीना निकलने लगता है यह किसी चमत्कार से कम नहीं है इसी वजह से तो काली माता के इस दरबार में होने वाले इस चमत्कार को देखने के लिए हर मौसम में भक्तों की भारी भीड़ होती है।

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