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कोरोना को लेकर मोदी सरकार पर आरोप लगाने वाले विपक्ष को पढ़नी चाहिए यह रिपोर्ट…

कोरोना महामारी के प्रकोप के बीच आएं दिन राज्य सरकारें केंद्र सरकार पर निशाना साधती रहती है, कि केंद्र सरकार की लापरवाही कोरोना की देन है। इतना ही नहीं पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने तो यहां तक आरोप लगा दिया कि केंद्र सरकार ने पिछले छह महीने में कोरोना से निपटने की कोई तैयारी नही की। सवाल तो यह भी खड़ें किए जा रहें कि सरकार कुंभ और चुनाव प्रचार में व्यस्त रही। जिसकी वज़ह से भी देश कोरोना के भयंकर संकट में उलझ गया।

ऐसे में आइए कुछ आंकड़ों के माध्यम से जानते है कि क्या केंद्र सरकार ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए राज्यो को कोरोना की दूसरी लहर से आगाह किया था या विपक्ष जो आरोप लगा रहा वह सही है।

narendra modi

आंकड़े बताते हैं कि राज्यों को केंद्र सरकार द्वारा जनवरी से ही सतर्क किया जा रहा था, फरवरी तक बार-बार आगाह किया गया लेकिन समय रहते राज्यों द्वारा कदम नहीं उठाए जा सके। आंकड़े बताते हैं कि मार्च आते-आते केरल, महाराष्ट्र, पंजाब, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, दिल्ली जैसे राज्यों को केंद्र की तरफ़ से यहाँ तक बता दिया गया था कि उनके कौन-कौन से जिलों में टेस्टिंग की गति ढीली हो रही है।

amit malviya

इसके अलावा गुरुवार को भाजपा की आइटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने एक ट्वीट किया। जिसमें यह बताया गया कि,” सितंबर, 2020 से अप्रैल, 2021 तक प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों के साथ छह बैठक की थीं और उन्हें सतर्क भी किया था।” वही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों की मानें तो अलग-अलग स्तर पर जनवरी से मार्च तक ही कम से कम दो दर्जन बार राज्यों को आगाह किया गया। उन्हें सलाह दी गई और मदद के लिए केंद्रीय टीम भी भेजी गईं।

narendra modi at video conference

वहीं बता दें कि केंद्र सरकार ने हाल में सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा भी दिया है जिसके मुताबिक सात फरवरी से 28 फरवरी के बीच कोरोना के बाबत राज्यों से 17 बार केंद्र सरकार ने संवाद किया था। ये कुछ आंकड़े है जो विपक्षी दलों और राज्य के मुख्यमंत्रियों की कलई खोल रहें हैं

इन सबके बावजूद चलिए मान लीजिए केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच राज्यों के चुनाव और उत्तराखंड में महाकुंभ के आयोजन में लगें रहे, इसलिए वहां कोरोना संक्रमण की रफ़्तार बढ़ी, लेकिन महाराष्ट्र, पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों को लेकर क्या कहेंगे। इसका जवाब सभी विपक्षी दलों को देना चाहिए। क्या इन राज्यों के मुख्यमंत्री सिर्फ़ कुर्सी के लिए सत्ता संभाले हुए हैं?

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