अध्यात्म

हनुमान जी अष्ट सिद्धि और नव निधि के हैं देवता, जानिए कौन-कौन सी है ये नौ निधियां

महाबली हनुमान जी एक ऐसे देवता हैं जो कलयुग में भी अपने भक्तों की पुकार सबसे शीघ्र सुनते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से हनुमान जी का स्मरण करता है उसकी मदद के लिए हनुमान जी जरूर आते हैं। हनुमान जी की कृपा से व्यक्ति के जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। हनुमान जी भगवान शिव जी के 11वें अवतार हैं और यह भगवान श्री राम जी के परम भक्त हैं। हनुमान जी का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। ऐसा बताया जाता है कि हनुमान जयंती के दिन महाबली हनुमान जी के दर्शन मात्र से ही जीवन के सारे कष्ट खत्म हो जाते हैं।

शास्त्रों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि माता सीता ने हनुमान जी को आठ सिद्धियां और नौ निधियां का आशीर्वाद दिया था। इसी वजह से यह अष्ट सिद्धि और नव निधि के देवता माने जाते हैं। हनुमान चालीसा की एक पंक्ति “अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, असवर दीन जानकी माता” में भी इसका जिक्र मिलता है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बजरंगबली जी की यह नौ निधियां कौन-कौन सी हैं और इसको प्राप्त करने के पश्चात कौन से चमत्कार होते हैं, इसके बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।

जानिए बजरंगबली की नौ निधियों के बारे में

पद्म निधि- आपको बता दें कि यह हनुमान जी के पास जो पहली निधि है उसके लक्षणों से संपन्न मनुष्य सात्विक गुण युक्त होता है और उसकी कमाई गई संपदा भी सात्विक हो जाती है। सात्विक तरीके से कमाई गई संपदा कई पीढ़ियों तक चलती है। कई पीढ़ियों तक धन-धान्य की कमी नहीं होती है। इस तरह का मनुष्य सोने-चांदी रत्नों से संपन्न हो जाता है। इतना ही नहीं बल्कि वह उदारता के साथ दान भी करता है।

महापद्म निधि- आपको बता दें कि यह निधि भी पद्म निधि की तरह ही सात्विक होती है परंतु इसका प्रभाव पीढ़ी दर पीढ़ी नहीं रहता है। जो व्यक्ति इस निधि से लक्षित होता है वह अपने संग्रहित धन आदि का दान धार्मिक स्थानों में करता है।

नील निधि- इस निधि में सत्व और रज गुण दोनों ही मिश्रित होते हैं। आपको बता दें कि इस प्रकार की निधि व्यापार द्वारा ही प्राप्त की जा सकती है। जो व्यक्ति इस निधि से संपन्न होता है वह उसमें दोनों ही गुणों की प्रधानता होती है। इस निधि में उसकी संपत्ति तीन पीढ़ी तक चलती है।

मुकुंद निधि- बजरंगबली जी की इस निधि में पूर्णत: रजोगुण की प्रधानता रहती है। इसी वजह से इसको राजसी स्वभाव वाली निधि भी कहा जाता है। इस निधि से संपन्न मनुष्य या साधक का मन भोगादि में लगा रहता है। यह निधि एक पीढ़ी के पश्चात समाप्त हो जाती है।

नंद निधि- इस निधि में रज और तम गुणों का मिश्रण होता है। ऐसा माना जाता है कि इस निधि के प्रभाव से साधक को लंबी आयु और निरंतर तरक्की प्राप्त होती है। अगर कोई व्यक्ति इस निधि से संपन्न है तो वह अपनी तारीफ से बहुत ज्यादा प्रसन्न होता है।

मकर निधि- मकर निधि को तामसी निधि भी माना जाता है। इस निधि से जो व्यक्ति संपन्न होता है वह अस्त्र-शस्त्र आदि को संग्रह करने वाला होता है। ऐसा व्यक्ति का राजा और शासन में हस्तक्षेप होता है। यह व्यक्ति युद्ध में शत्रुओं पर हमेशा भारी रहता है।

कच्छप निधि- जो व्यक्ति इस निधि से युक्त होता है, वह अपनी संपत्ति को हमेशा छुपा कर रखता है। व्यक्ति अपनी संपत्ति का उपभोग खुद करता है।

शंख निधि- जो व्यक्ति शंख निधि से युक्त होता है, वह व्यक्ति धन का उपभोग स्वयं के सुख भोग के लिए करता है, जिसकी वजह से परिवार गरीबी में जीवन व्यतीत करता है।

खर्व निधि- इस निधि को मिश्रित निधि भी कहा जाता है। नाम के अनुरूप हुई इस निधि से संपन्न व्यक्ति अन्य आठ निधियों का सम्मिश्रण होती है। जो व्यक्ति इस निधि से संपन्न होता है। वह मिश्रित स्वभाव का कहा जाता है।

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