अध्यात्म

चाणक्य के अनुसार, धन आने के बाद इन बातों का रखें ध्यान अन्यथा नष्ट हो जाएगा सारा धन

आचार्य चाणक्य अर्थशास्त्र के ज्ञाता थे। आचार्य चाणक्य द्वारा लिखित नीतिशास्त्र में ऐसी बहुत सी बातों का जिक्र किया गया है जो हर मनुष्य के जीवन में लागू होती हैं। आपको बता दें कि आचार्य चाणक्य को विभिन्न विषयों की जानकारी और समझ थी। चाणक्य एक योग्य शिक्षक होने के साथ-साथ एक कुशल अर्थशास्त्री थे। ऐसा माना जाता है कि अगर व्यक्ति चाणक्य नीति के अनुसार अपना जीवन व्यतीत करता है तो उसके जीवन से परेशानियां दूर रहते हैं।

आचार्य चाणक्य की नीतिशास्त्र में हर परिस्थिति का सामना करने के बारे में नीति बताई गई है। चाणक्य ने धन से जुड़ी हुई भी बहुत ही महत्वपूर्ण बातें बताई हैं, जिनका पालन करना हर मनुष्य के लिए आवश्यक है।

आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतिशास्त्र में इस बात का उल्लेख किया है कि धन आने के बाद भी कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी है। अगर व्यक्ति इन बातों का ध्यान नहीं रखता है तो इसकी वजह से उसका सारा का सारा धन बहुत जल्द नष्ट हो जाता है। तो चलिए जानते हैं आखिर आचार्य चाणक्य अनुसार धन आने के बाद किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

धन आने पर अहंकार न करें

आचार्य चाणक्य ने धन को लेकर अपनी नीतिशास्त्र में एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात बताई है। चाणक्य का यह कहना है कि अगर मनुष्य के पास धन आता है तो उसके बाद भी मनुष्य को अपने स्वभाव में विनम्रता रखनी बहुत ही जरूरी है। भूलकर भी धन आने पर व्यक्ति को अपने मन में अहंकार की भावना नहीं लानी चाहिए क्योंकि अहंकार की वजह से बुद्धि कार्य करना बंद कर देता है यानी की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है, जिसके कारण व्यक्ति का धन बहुत ही जल्द नष्ट हो जाता है।

धन आने पर दिखावा नहीं करना चाहिए

आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में इस बात का जिक्र किया है कि अगर व्यक्ति के पास धन आता है तो भूलकर भी दिखावा नहीं करना चाहिए। हमको हमेशा धन संभाल कर रखना चाहिए। जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो धन आने के बाद दिखावा करते हैं परंतु यह ठीक नहीं माना गया है। आचार्य चाणक्य का ऐसा कहना है कि जो लोग दिखावा करते हैं, वह धन की फिजूलखर्ची करने लगते हैं जिसके कारण धन बहुत ही जल्द नष्ट हो जाता है और ऐसे लोगों को समय आने पर पछताना पड़ता है।

धन आने पर लोक हित के कार्य करें

आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतिशास्त्र में इस बात का उल्लेख किया है कि अगर किसी व्यक्ति के पास धन आता है तो उस धन को केवल संचय करके ही नहीं रखना चाहिए बल्कि धन का कुछ हिस्सा लोक कल्याण के कार्य में भी लगाना चाहिए। आचार्य चाणक्य का कहना है कि लोक हित कार्य के साथ-साथ बुरे समय के लिए भी कुछ धन संचय करके रखना जरुरी है।

निवेश करें धन

चाणक्य नीति अनुसार, मनुष्य को धन केवल संचय करके ही नहीं रखना चाहिए बल्कि आप धन को निवेश भी करें। अगर आप धन इकट्ठा करते हैं तो वह धीरे-धीरे खत्म हो जाता है परंतु निवेश करने से धन बढ़ता है।

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