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“एनआरआई चायवाला” बेसहारों का बना सहारा, कोरोना काल में जरूरतमंदों का भर रहा है पेट

ऐसा कहा जाता है कि अगर मेहनत और सच्ची लगन हो तो व्यक्ति अपने जीवन में सब कुछ हासिल कर सकता है। कठिन मेहनत और मजबूत हौसले से ही व्यक्ति अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकता है। इंसान जिंदगी में अपना सपना पूरा करने के लिए खूब मेहनत करता है। पढ़ाई पूरी करने के बाद लोग यही चाहते हैं कि उनको अच्छी नौकरी मिल जाए। वैसे देखा जाए तो कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है। अगर कोई भी काम ईमानदारी के साथ किया जाए तो एक ना एक दिन उस काम में अच्छा खासा मुकाम हासिल किया जा सकता है। आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में जानकारी देने वाले हैं, जो न्यूजीलैंड में बड़े-बड़े रेस्टोरेंट में काम करता है। इस शख्स का नाम जगदीश सिंह है। यह स्टार्ट अप इंडिया से प्रेरित होकर वर्ष 2018 में भारत आ गए थे और यहां पर आकर चाय का उद्योग शुरू किया था।

कोरोना महामारी के बीच इनका काम धंधा बंद हो गया था परंतु जगदीश के हौसले बुलंद थे और उन्होंने हार नहीं मानी। कोरोना का हाल में अपनी परवाह किए बिना ही यह जरूरतमंद लोगों की लिए मसीहा बनकर उभरे हैं।

चाय का बिजनेस शुरू करने से पहले यह काम करते थे जगदीश

आपको बता दें कि जगदीश का जन्म एक मध्य वर्गीय परिवार में हुआ था। इन्होंने होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई पूरी की, बाद में यह 3400 रुपए की सैलरी पर नौकरी करने लगे थे। कुछ समय पश्चात इनको विदेश में नौकरी मिल गई। अरब देशों में कुछ वर्षों तक इन्होंने नौकरी की बाद में उन्हें न्यूजीलैंड में नौकरी मिली, साथ ही परिवार के लिए ग्रीन कार्ड भी इनको मिल गया था। न्यूजीलैंड में रहकर इन्होंने कई बड़े-बड़े होटलों में काम किया। जब यह अपने करियर की बुलंदियों पर थे तब इन्होंने भारत में अपना कोई बिजनेस शुरू करने का निर्णय लिया था। वर्ष 2018 में जगदीश ने अपनी नौकरी छोड़कर भारत आने का फैसला लिया।

जगदीश ऐसे बन गए एनआरआइ चायवाला

बातचीत के दौरान जगदीश ने यह खुद बताया था कि उन्हें विदेश जाकर चाय की बहुत अधिक जानकारी हो गई थी तो उन्होंने भारत में भी चाय का उद्योग आरंभ करने का फैसला बना लिया था परंतु उनको किसी भी बड़े उद्योगी से कोई भी सहायता नहीं मिल पाई थी, बाद में नागपुर में एक छोटे से चाय के स्टॉल के साथ उन्होंने अपना काम शुरू कर दिया इनके यहां पर लोग चाय पीने के लिए आते थे। लोगों को उनकी चाय की वैरायटी बेहद पसंद आई। उन्होंने अपने स्टॉल का नाम भी एनआरआइ चायवाला रख दिया था। धीरे-धीरे लोग काफी आकर्षित होने लग गए थे। जो लोग इनके यहां पर चाय पीने आते थे उनसे यह अंग्रेजी में भी बात किया करते थे। हाई क्लास के लोग उनसे काफी प्रेरित हो गए। ऐसे जगदीश एनआरआइ चायवाला बन गए।

कोरोना काल में हजारों लोगों का भर चुके हैं पेट

कोरोना काल में जगदीश जरूरतमंद लोगों के लिए मसीहा बनकर सामने आए हैं। ये बेसहारा और जरूरतमंद लोगों की खूब मदद कर रहे हैं। इनको जहां से भी जरूरतमंद के बारे में जानकारी प्राप्त होती है, वह उनकी सहायता के लिए तुरंत रवाना हो जाते हैं। कोरोना काल में लगभग साढ़े तीन हजार लोगों को यह खाना खिला चुके हैं।

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