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झारखण्ड: कराटे में गोल्ड मेडल लेकर आई बिमला मुंडा की हालत हो गई ऐसी, शराब बेचने पर हुईं मजबूर

देशभर के खिलाड़ी अपने देश का नाम रोशन करने के लिए खूब मेहनत करते हैं। अपनी-अपनी प्रतिभा और मेहनत के दम पर यह देश के लिए पदक लेकर आते हैं। अगर कोई खिलाड़ी अपने देश के लिए पदक लेकर आता है तो सभी देशवासियों का सिर उनका सम्मान करने के लिए झुक जाता है। वैसे देखा जाए तो देश भर में ऐसे बहुत से खिलाड़ी हैं जो देश के लिए मेडल जीत कर लाए हैं परंतु उनकी स्थिति ऐसी हो गई है कि उनके बारे में जानकर अक्सर सिर शर्म के मारे झुक जाता है। आज हम आपको झारखंड की एक ऐसी ही गोल्ड मेडलिस्ट के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। जैसा कि हम लोग जानते हैं झारखंड में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है। देश में होने वाले हर चैंपियनशिप में झारखंड के खिलाड़ी अपने हुनर का लोहा मनवा रहे हैं परंतु 34वें राष्ट्रीय खेलों में सिल्वर मेडल लाने वाली बिमला मुंडा घर चलाने के लिए शराब बेचने पर मजबूर हो रही हैं।

झारखंड की बिमला मुंडा की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है, परंतु इसके बावजूद भी गरीबी को मात देते हुए इन्होंने अपने राज्य के लिए पदक जीत कर झारखंड का सम्मान बढ़ाया। लॉकडाउन के दौरान इन्होंने नए प्रतिभावान कराटे प्लेयर्स को कोचिंग देनी शुरू की, परंतु यह भी बंद करना पड़ गया था। मजबूरी में आकर बिमला अब शराब बेच रही हैं। उन्हें सरकार की तरफ से एक सरकारी नौकरी का इंतजार है और जब तक सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिलती उनको मजबूरी में आकर यह काम करना पड़ेगा।

खबरों के अनुसार ऐसा बताया जा रहा है कि बिमला ने एक माह तक कराटे की कोचिंग चलाने की कोशिश की थी, लेकिन लॉकडाउन में उसको बंद करना पड़ गया था। बिमला मुंडा ने वर्ष 2012 की अंतरराष्ट्रीय KUDO चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है, परंतु इनको अब कहीं से भी मदद नहीं मिल पा रही है। आर्थिक तंगी के चलते इनको हडिया यानी देसी शराब बेचनी पड़ रही है। विमला के पिताजी किसान हैं और यह किसानी करके ही अपने परिवार के छह सदस्यों का गुजारा चला रहे हैं। अब इनकी हालत बेहद खराब हो चुकी है जिसके कारण सारा भार बिमला मुंडा पर आ गया है।

एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार ऐसा बताया जा रहा है कि बिमला मुंडा अपने घर में ही रोजाना हडिया की 70 से 80 गिलास बेच लेती हैं एक गिलास की कीमत ₹4 रुपये है। हडिया बेचकर जितनी कमाई होती है वह सारा पैसा घर की जरूरतों में ही लग जाता है। उनका ऐसा दावा है कि वह 33 खिलाड़ियों में से एक है जिन्हें झारखंड सरकार की डायरेक्ट पे स्कीम के तहत नौकरी मिलनी थी परंतु अभी भी वह इसी का इंतजार करने में लगी हुई हैं।

वैसे देखा जाए तो बिमला मुंडा ने मेडल जीतकर अपने राज्य का सम्मान बढ़ाया है। ऐसी स्थिति में सरकार को इनकी हालात देखते हुए गंभीरता से निर्णय लेने की आवश्यकता है। झारखंड जैसे राज्य ने महेंद्र सिंह धोनी जैसे खिलाड़ी दिए हैं, इतना ही नहीं हॉकी में भी झारखंड के कई खिलाड़ियों ने झारखंड और देश का मान बढ़ाया है। झारखंड राज्य में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। देश-दुनिया में झारखंड के खिलाड़ी मान बढ़ा रहे हैं। सरकार को इनकी मदद के लिए आगे जरूर आना चाहिए, ताकि आर्थिक तंगी के चलते बिमला मुंडा की तरह शराब बेचने की नौबत ना आए। रिपोर्ट के अनुसार ऐसा भी बताया जा रहा है कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बिमला मुंडा की सहायता का आश्वासन दिया है।

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