स्वास्थ्य

आखिर किस वजह से आता है इंसान को पसीना, क्या इसका है बीमारी से कोई लेना-देना, जानें यहां

पसीना आना एक बड़ी ही सामान्य बात है। बहुत से लोगों को पसीना कभी गर्मी की वजह से आता है, तो कभी घबराहट होने पर या फिर अधिक मेहनत करने पर। कई लोगों को मुश्किल हालात में भी पसीना आने लगता है। आपने कई लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि किसी काम को करने में किसी व्यक्ति का पसीना छूट गया।

यदि हमसे यह सवाल किया जाए कि पसीना आखिर आता क्यों है, तो शायद हम में से बहुत ही कम लोग इस सवाल का जवाब दे पाएंगे। तो चलिए, यहां हम आपको बताते हैं कि पसीना आने के पीछे की वजह क्या है। साथ में पसीने से ही जुड़े हुए कुछ और भी सवालों का जवाब यहां हम आपको देंगे।

पसीना आने की वजह

कई बार ऐसा होता है कि किसी वजह से हमारे शरीर का तापमान सामान्य तापमान के मुकाबले अधिक हो जाता है। ऐसे में हमारा दिमाग इसे फिर से सामान्य तापमान में लौटाने के लिए काम करना शुरू कर देता है। इसी वजह से हमें पसीना आना शुरू हो जाता है।हमारे अंदर जो यह गर्मी आती है, वह ज्यादा काम करने की वजह से हो सकती है। अधिक कसरत करने से हो सकती है या फिर बाहर की गर्मी के कारण भी हो सकती है। हमारा दिमाग ऐसे में प्रतिक्रिया देना शुरू कर देता है। हमारे शरीर में लाखों की तादाद में मौजूद एक्रीन ग्रंथियों (Eccrine Glands) के माध्यम से पूरे शरीर में पानी छूटना शुरू हो जाता है, ताकि हमारे शरीर का तापमान कम होकर सामान्य तापमान पर पहुंच सके।

सर्वाधिक पसीना कहां आता है?

गर्मी का प्रभाव यदि शरीर में लगातार बना रह जाता है तो ऐसे में शरीर के गर्म होने से पसीना भी गर्म हो जाता है। इससे भाप बनकर यह उड़ता रहता है, जिससे कि शरीर को गर्मी कम लगने लगती है। वैसे, हमारे शरीर में कुछ खास अंग मौजूद हैं, जिनमें कि पसीना सबसे अधिक आता है। उदाहरण के लिए कांख में एपोक्रीन ग्रंथियां (Apocrine Glands) मौजूद होती हैं, जो अधिक मात्रा में पसीना पैदा करती हैं। एक बैक्टीरिया यहां बन जाता है, जो पसीने से जब अंतरक्रिया करता है, तो इसकी वजह से पसीने में बदबू पैदा हो जाती है।

जिस तरह से एक्रीन ग्रंथियां शरीर में सक्रिय होती हैं, उसी तरीके से कसरत करते वक्त एपोक्रीन ग्रंथियां भी सक्रिय रहती हैं। हालांकि, एपोक्रीन ग्रंथियां शरीर में उस वक्त भी सक्रिय ही रहती हैं, जब हम भावुक हो जाते हैं या बेचैन होते हैं या फिर उत्तेजित मानसिक अवस्था में पहुंच जाते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि शारीरिक परिश्रम करने से जो पसीना आता है, उसमें उतनी ज्यादा बदबू नहीं होती, जितनी कि मानसिक उत्तेजना, बेचैनी या भावुक होने की वजह से आने वाले पसीने में होती है।

बीमारियों से पसीने का संबंध

पसीने का संबंध कई बार बीमारियों से भी होता है। जैसे कि दिल की बीमारी के बारे में कहा जाता है कि इसमें पसीना बहुत आता है। इसकी कई और वजह भी हो सकती है। असामान्य रूप से पसीना यदि ज्यादा आ रहा है, तो यह इस बात की ओर इशारा करता है कि डॉक्टर को दिखाने की जरूरत आ पड़ी है। साथ में कई अन्य लक्षणों से भी डॉक्टरों को आपकी समस्या को समझने में मदद मिलती है।

ऐसे में एक सवाल यह भी उठता है कि क्या अलग-अलग लोगों से अलग-अलग तरह का पसीना आता है, तो आपको बता दें कि कई कारकों पर यह बात निर्भर करती है। वैसे, यह बात सही है कि अलग-अलग लोगों में अलग-अलग तरह से पसीना आता है। जिन लोगों का वजन ज्यादा होता है और जो लोग मोटे होते हैं, पसीना उन्हें अधिक आता है। पसीने का आना उम्र, स्वास्थ्य संबंधी कारण, शरीर में मांसपेशियों की मात्रा और फिटनेस के स्तर आदि पर भी निर्भर करता है। इसके अनुसार लोगों में पसीने की मात्रा घटती-बढ़ती रहती है।

इस तरह से देखा जाए तो पसीना आना बहुत ही अच्छी बात कही जा सकती है। दरअसल, पसीने से जो बदबू आती है, उसकी वजह पसीने नहीं होते, बल्कि इसमें मौजूद बैक्टीरिया की अंतर्क्रिया इसके लिए जिम्मेदार होती है। विशेषकर, कांख में पसीना आने पर बदबू कुछ ज्यादा ही पैदा होती है।

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