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बेहद साधारण जिंदगी जीते हैं योग गुरु बाबा रामदेव के पिता, जानें क्या करता है पूरा परिवार

बाबा रामदेव को आज दुनियाभर में लोग जानते हैं। बाबा रामदेव ने योग और आयुर्वेद को एक नई पहचान दिलाई है। बाबा रामदेव का पतंजलि आयुर्वेद आज दुनियाभर में जाना जा रहा है। पतंजलि आयुर्वेद का सालाना टर्नओवर 8000 करोड़ रुपये से भी अधिक का है। फिर भी बाबा रामदेव का परिवार बहुत ही सामान्य जिंदगी गुजर-बसर कर रहा है।

बाबा रामदेव के पिता का नाम रामनिवास यादव है। भले ही बाबा रामदेव आज कितनी भी बड़ी शख्सियत क्यों न बन गए हों, लेकिन उनके पिता बहुत ही साधारण तरीके से जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं। बाबा रामदेव के पिता खेती-बाड़ी करते हैं। वह बिल्कुल आमजनों की तरह जिंदगी बिताते हैं।

लाइमलाइट से दूर

बाबा रामदेव के पिता जिस तरह की जिंदगी जी रहे हैं, उन्हें देखकर कोई कह नहीं सकता कि ये उसी बाबा रामदेव के पिता हैं जिनकी कंपनी पतंजलि आयुर्वेद आज दुनिया की शीर्ष कंपनियों में शुमार हो गई है। बाबा रामदेव की मां का नाम गुलाबो देवी है। उनका पूरा परिवार ही लाइमलाइट से दूर रह रहा है।

बीते साल बाबा रामदेव के पिता से जुड़ा हुआ एक सोशल मीडिया पोस्ट भी बहुत वायरल हुआ था। इस पोस्ट में राजेश मित्तल नामक एक व्यक्ति ने बाबा रामदेव के पिता से हरिद्वार के पास पतंजलि हर्बल गार्डन में मिलने की बात कही थी। उन्होंने बताया था कि बाबा रामदेव के पिता इतने आम नागरिक की तरह दिख रहे थे कि वे उन्हें पहचान ही नहीं सके। यहां तक कि उनके पिता ने खुद पौधे का डिब्बा उनकी गाड़ी में रखने के लिए उठा लिया था।

बाद में उन्होंने फेसबुक चेक किया तो बाबा रामदेव की प्रोफाइल में बाबा रामदेव अपने पिता के साथ खड़े दिखे थे। तब राजेश को यकीन हुआ था कि जिनसे वे मिले थे वे बाबा रामदेव के पिता ही थे।

बाबा रामदेव का परिवार

रामकृष्ण यादव उर्फ बाबा रामदेव का परिवार हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले में रहता है। जब बाबा रामदेव केवल 9 साल के थे, तभी वे खानपुर के गुरुकुल में शामिल होने के लिए चले गए थे। संस्कृत के साथ व्याकरण और योग की शिक्षा उन्होंने अपने पहले गुरु आचार्य बलदेव जी से प्राप्त की थी। बाबा रामदेव के दो और भाई और एक बहन भी हैं। सभी में बाबा रामदेव दूसरे स्थान पर है।

बाबा रामदेव के बड़े भाई जिनका नाम देवदत्त है, वे गांव में ही रह कर खेती करते हैं। महेंद्रगढ़ के सैयद अलीपुर गांव में ही बाबा रामदेव का पूरा परिवार रह रहा है। इससे पहले देवदत्त सीआरपीएफ में सेवा दे रहे थे। बाबा रामदेव के छोटे भाई का नाम भरत है और वे पतंजलि आयुर्वेद में ही प्रोडक्शन, क्वालिटी मैनेजमेंट और हायरिंग आदि का काम देखते हैं। बताया जाता है कि सीधे बाबा रामदेव और कंपनी के सीईओ आचार्य बालकृष्ण को वे रिपोर्टिंग करते हैं।

बिस्मिल्ला खां एवं सुभाष चंद्र बोस को अपना आदर्श मानने वाले बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड में कोई भी हिस्सेदारी नहीं है। आचार्य बालकृष्ण, जिनसे पहली बार बाबा रामदेव 1990 में मिले थे और जिनके साथ मिलकर उन्होंने पतंजलि आयुर्वेद को खड़ा किया है, उनकी 94% हिस्सेदारी पतंजलि आयुर्वेद में है।

4 साल में ही संन्यास के प्रति झुकाव

बाबा रामदेव के मुताबिक वे तब सिर्फ 4 साल के थे जब संन्यास की ओर उनका झुकाव हो गया था। सैयद अलीपुर गांव में एक बार एक साधु आए थे। बाबा रामदेव के मुताबिक उनकी संगत में रहने के दौरान योग के प्रति और वैदिक शिक्षा के प्रति उनकी रुचि बढ़ गई थी।बाबा रामदेव के इतने बड़े व्यक्तित्व होने के बाद भी यदि उनका परिवार इतनी साधारण जिंदगी गुजर-बसर कर रहा है तो यह अपने आप में समाज के लिए एक बहुत बड़ा संदेश भी है। अपने पिता के प्रति बाबा रामदेव की अटूट श्रद्धा है और अपने फेसबुक पोस्ट में वे अपने पिता को भगवान बताते हुए उनके साथ अपनी फोटो भी पोस्ट कर चुके हैं।

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