दिलचस्प

जंगल में लावारिस पड़ा था कुत्ता, उसके बाद पता चली एक चौंकाने वाली बात

गिद्धों का एक झुंड स्टीवन के घर के ऊपर से गुजर रहा था। हालांकि, गिद्ध देखना अच्छा नहीं कहा जाता लेकिन जिज्ञासा के चलते वह इन्हें देखने घर से बाहर निकल आया। वह उस तरफ बढ़ा जहां गिद्ध मंडरा रहे थे। वहीं से जंगल भी शुरू होता था। स्टीवन भी पीछे-पीछे चल पड़ा। जैसे ही वह वहां पहुंचा उसे एक ऐसी चीज दिखी, जिसे देख वह चौंक गया। आखिर ऐसा क्या दिखा गया था उसे?

कुछ ऐसा था नजारा

स्टीवन ने देखा कि कड़कड़ाती ठंड में एक पिट बुल प्रजाति का पिल्ला पेड़ से बंधा हुआ था। नन्हे पिट बुल का सहारा एक छोटा सा प्लास्टिक का डिब्बा था, जिसमें वह अपना घर समझकर रहता था। बेचारे पिल्ले के चेहरे पर डर साफ़ दिखाई दे रहा था। स्टीवन का दिल उसे देख पसीज गया। पिल्ले के ऊपर गिद्धों का झुंड चक्कर लगा रहा था। कुछ गिद्ध तो पिल्ले के घर के भी ऊपर बैठ गए। बाद में जाकर यह बात सामने आई कि आखिर गिद्ध वहां क्यों मंडरा रहे थे।

इस वजह से मंडरा रहे थे गिद्ध

दरअसल, गिद्धों के बारे में कहा जाता है कि वे पृथ्वी की सफाई करते हैं। ये मुर्दा जानवरों के शव को अपना भोजन बनाते हैं। यदि आसमान में गिद्धों का झुंड दिखे तो समझ जाना चाहिए कि आसपास कोई मरा है। ऐसे में जब स्टीवन ने गिद्धों का झुंड देखा तो उसे कुछ सही नहीं लगा और वह जिज्ञासावश उनके पीछे चल पड़ा।

स्टीवन इस बात से अनजान था कि जंगल में फंसे इस पिल्ले पर गिद्धों की नजर पिछले एक हफ्ते से थी। उसने पिल्ले की दयनीय हालत देख फ़ौरन ASPCA (अमेरिकन सोसाइटी फॉर द प्रिवेंशन ऑफ़ क्रुल्टी टू एनिमल्स) में फोन लगा दिया। पर वह ये नहीं जानता था कि वे कब तक यहां पहुंचेंगे।

संस्था कर्मी भी चौंके

जब संस्था कर्मी जंगल पहुंचे तो वे भी पिल्ले की हालत देख चौंक गए। वे हैरान थे कि कैसे पिल्ला प्लास्टिक के घर में ठंड के मारे बुरी तरह कांप रहा था। गिद्ध उसके चारों और घात लगाके बैठे थे। पिल्ला वहां से निकलकर कहीं जा भी नहीं सकता था। संस्थाकर्मियों ने पिल्ले की आंख में देखा कि उसने मौत को ही अपनी नियति मान ली थी। उसे लग रहा था कि वह अब इन खतरनाक गिद्धों से बच नहीं पायेगा। संस्थाकर्मियों ने गिद्धों के झुंड को वहां से भगा दिया। लेकिन कुत्ते की हालत देख वे समझ गए थे कि उसे लावारिस मरने के लिए ही छोड़ा गया था।

कुत्ते के मालिक को लिखा नोट

उन्होंने तुरंत मासूम पिल्ले को एम्बुलेंस में रखा और कुत्ते के मालिक को एक नोट लिखा। नोट में उन्होंने पशु आश्रय केंद्र का पता और फ़ोन नंबर लिख दिया, ताकि मालिक को कुत्ते के बारे में पता चल सके और वह इसे घर ले जा सके। संस्थाकर्मियों को लगा नहीं था कि कोई फ़ोन आएगा और पूछताछ करेगा, लेकिन कुछ दिनों बाद ही दफ्तर में एक फ़ोन आया…

हुआ था कुछ बहुत बुरा

गिलफोर्ड काउंटी एनिमल वेलफेयर सेंटर में कुत्ते को लाकर उसका इलाज शुरू कर दिया गया। वह फ़ोन कुत्ते के मालिक ने किया था। उसने कहा था कि वह जल्द ही उसे लेने आएगा। लेकिन क्या वह वाकई में उसे लेने आया? इधर पिल्ले का नाम प्यार से लीलो रख दिया गया। इंसानों से कुत्ता बहुत घबरा रहा था, जिससे यह प्रतीत हो रहा था कि उसके साथ कुछ बहुत बुरा हुआ था। कई दिन बीते, सप्ताह बीत गए, लेकिन पिल्ले का मालिक उसे लेने नहीं आया। लीलो बहुत प्यारी थी, लेकिन दिक्कत यह थी कि जिस केंद्र में वह रह रही थी, पिट-बुल कुत्तों की प्रजाति को वहां नहीं रखने का नियम था, क्योंकि अपने हिंसक स्वभाव की वजह से कुत्तों की यह नस्ल बदनाम थी।

गोद लेने को तैयार हुआ परिवार

पिट-बुल कुत्तों के बारे में कई गलत बातें प्रचलित हैं। जैसे कि ये ज्यादा हिंसक हो जाते हैं। हालांकि, सच यह है कि सही तरीके से इन्हें इनके मालिक यदि बड़ा करें तो ये आराम से रहते हैं। फिर एक ऐसी संस्था का एक कर्मचारी ने पता लगाया, जहां केवल पिट-बुल नस्ल के कुत्ते को गोद लिया जाता था। मेरिट पिटबुल फाउंडेशन से कर्मचारी ने संपर्क किया और वह संस्था इस कुत्ते को गोद लेने के लिए भी तैयार हो गई। संस्था चाहती थी कि कुत्ते को एक प्यार भरा परिवार मिले। सोशल मीडिया और ऑफलाइन प्रकाशनों के जरिए यह खबर फैलाई गई और बहुत जल्द ट्रैविस हेनली और उनकी पत्नी कीना लिंच ने अखबार में लीलो की गिद्धों से घिरी हुई एक तस्वीर को देखकर उसे गोद लेने का फैसला कर लिया।

 

लीलो को दी ट्रेनिंग

दोनों ने लीलो को ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया। अब लीलो एक साल का हो गया है। एक पशु आश्रय केंद्र से उसका एक भाई भी अब आ गया है। दोनों के बीच बहुत अच्छी दोस्ती है। हमेशा लीलो खुश होकर पूंछ हिलती रहती है। उसके सारे इन्फेक्शन अब ठीक हो गए हैं। पूरी तरीके से वह स्वस्थ है। सबकी बात मानती है। बच्चों के साथ बहुत ही जल्दी घुल-मिल जाती है। इस तरह से जिस लीलो की जिंदगी पर बन आई थी, आज वह लीलो खुशी-खुशी एक प्यारे से परिवार के साथ अपनी जिंदगी जी रही है।

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