अध्यात्म

शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से मिलती है शिवजी की कृपा, जानिए इससे जुड़ी हुई महत्वपूर्ण बातें

देवों के देव महादेव बहुत भोले माने गए हैं, यह अपने भक्तों की पुकार सबसे शीघ्र सुनते हैं, ऐसा बताया जाता है कि अगर कोई भक्त इनको अपने सच्चे मन से एक लोटा जल अर्पित कर दे तो यह उतने में ही प्रसन्न होकर अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी कर देते हैं, वैसे देखा जाए तो शिव जी को खुश करने के लिए भक्त अपनी तरफ से तरह-तरह के उपाय अपनाते हैं और इनकी प्रिय चीजों को शिवलिंग पर अर्पित करते हैं, धार्मिक मान्यता अनुसार अगर किसी भी भगवान की प्रिय चीज उनकी पूजा के दौरान अर्पित की जाए तो इससे भगवान शीघ्र प्रसन्न होते हैं, भक्तजनों को इस बात का पता होगा कि शिवजी को बेलपत्र अति प्रिय है, अगर आप बिल्वपत्र अर्पित करते हैं तो इससे शंकर जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है, हम आपको बेलपत्र से जुड़े हुए कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में जानकारी देने वाले हैं।

बिल्वपत्र कई दिनों तक कर सकते हैं इस्तेमाल

अगर भगवान की पूजा की जाती है तो इनकी पूजा में बहुत सी सामग्रियां अर्पित की जाती है, परंतु यह सभी सामग्रियां पूजा में केवल एक बार ही प्रयोग में लाई जा सकती है, लेकिन एक बिल्वपत्र ही ऐसी सामग्री है जिसको आप बार-बार धोकर पुनः से पूजा में इस्तेमाल कर सकते हैं, जी हां, आप बेलपत्र को शिवलिंग पर धोकर दोबारा से चढ़ा सकते हैं, बेलपत्र के पत्ते कई दिनों तक बासी नहीं होते हैं, कई बार ऐसा हो जाता है कि शिवजी की पूजा में बेलपत्र का मिलना काफी मुश्किल हो जाता है, अगर ऐसी परिस्थिति कभी आपके साथ होती है तो आप पुराने बेलपत्र के पत्तों को अच्छी तरह से धोकर दोबारा से इस्तेमाल कर सकते हैं।

शिवपुराण के अनुसार बिल्वपत्र का पेड़ है शिवजी का स्वरूप

शिवपुराण के अंदर शिवजी से जुड़ी हुई बहुत सी बातें बताई गई हैं, शिव पुराण में इस बात का उल्लेख किया गया है कि बिल्वपत्र का पेड़ भगवान शिव जी का ही स्वरूप है, और इसको श्रीवृक्ष भी कहा जाता है, बिल्वपत्र को बहुत ही पवित्र पेड़ माना जाता है, ऐसा बताया जाता है कि अगर बिल्व की पूजा की जाए तो इससे धन की देवी माता लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त होती है, बिल्वपत्र के पेड़ में देवी-देवताओं का वास माना गया है और इसका पौराणिक महत्व भी बहुत ही अधिक माना जाता है, ऐसा बताया जाता है कि बिल्वपत्र की जड़ में गिरिजा, इसके तने में महेश्वरी, शाखाओं में दक्षायनी, पत्तियों में पार्वती, इसके पुष्प में गौरी मां और फलों में देवी कात्यानी वास करती हैं।

शिवजी को बेलपत्र अर्पित करने का तरीका

अगर आप देवों के देव महादेव को बेलपत्र अर्पित कर रहे हैं तो आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप बेलपत्र हमेशा उल्टा अर्पित करें यानी पत्ते का चिकना भाग शिवलिंग के ऊपर होना चाहिए, आप बेलपत्र 3 से लेकर 11 दलों तक अर्पित कर सकते हैं, यह जितने अधिक हो उतना ही शुभ माना जाता है, आप बेलपत्र साबुत इस्तेमाल करें, बेलपत्र कहीं से कटे-फटे नहीं होने चाहिए।

उपरोक्त बिल्वपत्र से जुड़ी हुई कुछ महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं, इसके अलावा अगर आप अपने घर के अंदर उत्तर-पश्चिमी कोण में बेलपत्र का पौधा लगाते हैं तो यह बहुत ही शुभ माना जाता है, ऐसा बताया जाता है कि घर में बेलपत्र का पेड़ होने की वजह से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार बना रहता है, अगर किसी कारणवश आप उत्तर पश्चिम दिशा में बेलपत्र का पेड़ नहीं लगा सकते तो आप इसको अपने घर की उत्तर दिशा में भी लगा सकते हैं।

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