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कोरोनावायरस के कहर के बीच कोरोना सैनिक नहीं भूला अपना फर्ज, इंसानियत का धर्म निभाकर बना मिसाल

कोरोना वायरस के संकट ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लिया हुआ है। इसके कारण पूरी दुनिया इस वक्त दहशत में है। अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, फ्रांस, स्पेन और जर्मनी जैसे देश भी कोरोना वायरस की मार के आगे एकदम असहाय दिख रहे हैं। यहां तक कि भारत में भी कोरोना वायरस का संक्रमण अब 1000 मरीजों की संख्या को पार कर चुका है। ऐसे में भारत में भी इसे लेकर चिंता बढ़ गई है।

देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए और इसे अधिक फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से जो 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की गई है, उसका पालन कराने के लिए सभी राज्य सरकारों के साथ प्रशासन भी पूरी तरह से मुस्तैद नजर आ रहा है। इसके बावजूद समाज के ऐसे तबके, जिनकी रोजमर्रा की जिंदगी इसकी वजह से बुरी तरह से प्रभावित हो गई है और जिनके रोज के खाने-पीने और जिंदगी जीने पर संकट मंडराने लगा है, बड़े शहरों से वे अपने घरों की ओर पैदल ही पलायन करने लगे हैं। बीते कुछ दिनों में इनकी जो तस्वीरें सामने आई हैं, उन्होंने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। राजधानी दिल्ली के साथ कई बड़े नगरों की सड़कों पर मजदूरों और उनके परिवारों की पैदल चलती हुई भीड़ देखने को मिली है।


इसी क्रम में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इंसानियत की मिसाल पेश करने से पीछे नहीं हट रहे हैं। ऐसे लोगों की मदद के लिए अपने स्तर से ही वे आगे आए हैं और इनकी मदद करके वे दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं। राजबीर नामक एक सिक्योरिटी गार्ड भी कुछ ऐसा ही कर रहे हैं। दिल्ली के बाहरी रिंग रोड पर भलस्वा फ्लाईओवर के पास राजबीर सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर अपनी ड्यूटी देते हैं। जिन जरूरी सेवाओं को लॉकडाउन में जारी रखा गया है, राजबीर की भी सेवा उन्हीं में से एक है। अपनी ड्यूटी निभाने के साथ ही राजबीर एक कोरोना सैनिक की भी भूमिका निभा रहे हैं। वे अपने इंसानियत के धर्म को यहां निभाने में जुटे हुए हैं।

बात दरअसल यह है कि जो लोग भी बाहरी रिंग रोड के जरिए पलायन कर रहे हैं, इनमें से थके हुए लोग आराम करने के लिए इस फ्लाईओवर के नीचे कुछ देर रुक जाते हैं और सुस्ताते हैं। ऐसे में जो लोग यहां आराम करते हैं और जिन्हें पानी की जरूरत होती है, राजबीर अपनी पानी की बोतल उन्हें पीने के लिए दे देते हैं। एक समाचार चैनल के हवाले से बताया गया है कि राजबीर के मुताबिक यहां पानी आने के लिए कोई नल नहीं लगा हुआ है। ऐसे में जो भी पानी का टैंकर यहां से गुजरता है, वे उससे पानी की बोतल को भर लेते हैं। खुद तो इससे पानी पीते ही हैं, लेकिन साथ में जिन लोगों को पानी की जरूरत होती है, वे पानी पिलाकर उनकी प्यास बुझा रहे हैं। राजबीर के अनुसार उनकी चौबीसों घंटे ड्यूटी इसी फ्लाईओवर के पास लगी हुई है

इस बारे में राजबीर का यह भी कहना है कि जिस परेशानी का शिकार यहां से गुजरते हुए लोग हो रहे हैं, उसी तरह की परेशानी उनके परिवार के सदस्यों को भी कभी झेलनी पड़ सकती है। ऐसे में उन्हें भी तो मदद की दरकार होगी ही। राजबीर के अनुसार भले ही यहां से गुजरने वाले लोग जिन्हें वे पानी पिला रहे हैं, उन्हें वे व्यक्तिगत तौर पर नहीं जानते, मगर एक इंसान के तौर पर उनका इनसे नाता जुड़ा हुआ है और इंसानियत का धर्म निभाते हुए इनके काम आना उनका फर्ज है। राजबीर के जैसे लोगों ने यह साबित करके दिखाया है कि इस दुनिया में इंसानियत अब भी जिंदा है और इंसानियत से बढ़कर कोई धर्म भी नहीं है।

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