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लॉकडाउन: ओडिशा के समुद्र तट पर अंडे देने आ गए 8 लाख कछुए, आखिर क्या हुआ ऐसा?

दुनिया भर में कोरोना वायरस ने दहशत फैला रखी है। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की मौत भी हो गई है। भारत में भी कोरोना वायरस तेजी से अपने पांव पसारता जा रहा है, लेकिन इस बीच कोरोना वायरस की वजह से कुछ बढ़िया भी हुआ है। जी हां, ओडिशा के समुद्र तट पर कोरोना वायरस का एक बढ़िया असर देखने को मिला है। यहां के समुद्र तट पर ओलिव रिडले कछुए अंडा देने के लिए पहुंच गए हैं। इनकी संख्या भी सात लाख 90 हजार की है।

6 करोड़ से अधिक अंडे

लॉकडाउन नहीं होने से पहले हर ओर प्रदूषण फैला हुआ था। महासागरों में भी प्रदूषण इस कदर फैल गया था कि समुद्री जीवन पूरी तरह से तहस-नहस नजर आ रहा था। ओलिव रिडले कछुए भी इससे बुरी तरह से प्रभावित हुए थे, लेकिन अब जिस तरीके से लॉकडाउन के कारण प्रदूषण के स्तर में हर जगह गिरावट आई है, ऐसे में इन्होंने शायद अब यह महसूस करना शुरू कर दिया है कि उन्होंने समुद्र में अपनी जिंदगी की जंग को जीत लिया है। इसलिए इतनी बड़ी तादाद में ये कछुए ओडिशा के समुद्र तट पर पहुंच गए हैं और गहिरमाथा और रूसीकुल्य तट पर इन्होंने 6 करोड़ से भी अधिक अंडे दिए हैं।

प्रतिबंधित हुईं गतिविधियां

लॉकडाउन से पहले ही जब इंसानी गतिविधियां जारी थीं, यानी कि मछुआरे समुद्र में जाया करते थे और पर्यटक हमेशा समुद्र में निकलते रहते थे तो इसके कारण जो बाधाएं आती थीं, उसकी वजह से ये कछुए समुद्र तट पर पहुंच ही नहीं पा रहे थे, लेकिन अब जब लॉकडाउन के कारण इन सभी चीजों पर इस वक्त प्रतिबंध लग गया है तो ऐसे में इन कछुओं के लिए यहां आने का रास्ता साफ हो गया। विशेषज्ञों के मुताबिक इसी कारण से ओडिशा के गंजाम जिले में रुशिकुल्या तट पर पिछले 5 दिनों में बड़ी संख्या में ओलिव रिडले कछुए घोंसले के शिकार के लिए पहुंच गए हैं।

क्या लिखा है रिपोर्ट में?

न्यू इंडियन एक्सप्रेस में इस बारे में एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें इस बात का खुलासा किया गया है कि ओडिशा के रुशिकुल्या में गहिरमाथा समुद्र तट पर अब तक 8 लाख से भी अधिक संख्या में ओलिव रिडले कछुए पहुंच चुके हैं। बेरहमपुर के डिवीजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO) अमलान नायक के हवाले से द हिंदू को बताया गया है कि पिछले 22 मार्च को यहां करीब 2000 ओलिव रिडलिस का बाहर आना समुद्र तट से शुरू हो गया था। मादा कछुए के बारे में ऐसी मान्यता है कि वे उसी तत्पर लौट कर आती हैं, जहां उन्होंने अंडे दिए थे सामूहिक तौर पर घोंसला बनाने का ओडिशा का समुद्र तट इनके लिए सबसे बड़ी जगह है। इस बारे में वन विभाग का कहना है कि जिस तरीके से मानवीय क्रियाकलाप यहां हो रहे थे और कचरे यहां पर जमा हुए थे, उसकी वजह से वर्ष 2019 के बाद से ही यहां कछुए यहां नहीं पहुंच रहे थे।

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