बॉलीवुड

बी-ग्रेड फिल्म भी की थी माधुरी दीक्षित ने, डायरेक्टर ने किया था ऐसा सलूक

बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री माधुरी दीक्षित तेजाब और राम लखन जैसी फिल्में करने के बाद रातों-रात सुपरस्टार बन गई थीं। जिस मुकाम तक आज माधुरी दीक्षित पहुंची हैं, वहां तक पहुंचना उनके लिए शुरुआत में इतना भी आसान नहीं था। वरिष्ठ फिल्म पत्रकार अली पीटर जॉन ने विटनेसिंग वंडर्स के नाम से अपनी एक किताब लिखी है, जिसमें उन्होंने माधुरी दीक्षित के फिल्मी करियर की शुरुआत को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने लिखा है कि शुरुआत में माधुरी दीक्षित को मजबूरी में बी-ग्रेड फिल्मों में भी काम करना पड़ा था।

एक रूम में मां-बाप के साथ

अपने मां बाप के साथ एक रूम वाले फ्लैट में माधुरी दीक्षित रह रही थीं। माधुरी को बचपन से ही डांस में काफी रुचि थी। जब वे केवल 9 साल की थीं, तभी महाराष्ट्र सरकार की ओर से भरतनाट्यम और कथक प्रतियोगिता हुई थी, जिसमें उन्होंने पुरस्कार जीत लिया था। उनके पड़ोस में राइटर डायरेक्टर गोविंद मुनीस रहते थे। उन्होंने माधुरी को देखा तो माधुरी के अंदर उन्हें एक अभिनेत्री नजर आई। गोविंद मुनीस ने माधुरी दीक्षित के माता-पिता से बात की। उन्हें उन्होंने बताया कि उनकी बेटी के लिए वे किसी फिल्म में बात चलाना चाहते हैं। माधुरी दीक्षित के परिवार की आर्थिक स्थिति उस दौरान बड़ी कमजोर थी। माता-पिता ने इसी वजह से उस वक्त हामी भर दी।

राजश्री प्रोडक्शन की मूवी में

इसके बाद फिल्म अबोध जो राजश्री प्रोडक्शन के बैनर तले बन रही थी, इसमें माधुरी दीक्षित को मौका मिल गया। हालांकि बुरी तरह से उनकी यह फिल्म फ्लॉप हो गई थी। और भी फिल्में करने की माधुरी दीक्षित की चाहत तो थी, लेकिन पहली फिल्म नाकामयाब हो जाने के बाद फिल्म मिलने में उन्हें दिक्कत होने लगी थी। फिर इस दौरान एक निर्देशक सुदर्शन रतन ने उन्हें अपनी एक बी-ग्रेड फिल्म में काम करने के लिए साइन किया था। फिल्म का नाम मानव हत्या था और शेखर सुमन बतौर हीरो इस फिल्म में माधुरी दीक्षित के सामने थे।

डायरेक्टर का बर्ताव

जब इस फिल्म की शूटिंग चल रही थी तो फिल्म का निर्देशक उस दौरान बहुत ही बुरा बर्ताव माधुरी दीक्षित के साथ कर रहा था। सेक्स जैसे विषयों पर वह फिल्म बनाना चाह रहा था और कुछ बोल्ड सीन भी माधुरी दीक्षित से वह करवाना चाहता था। ऐसे में माधुरी दीक्षित के माता-पिता ने ऐसा करने से मना कर दिया था। इसके बाद करीब 6 महीने तक माधुरी दीक्षित के काम की इस व्यक्ति ने उन्हें फीस तक नहीं दी। बाद में फाइनेंसर ने भी फिल्म से अपने हाथ खींच लिए थे। इस वजह से फिल्म पूरी नहीं हो पाई थी। माधुरी दीक्षित जब स्टार बन गईं तो उसके बाद कई टीवी चैनलों पर इस फिल्म को उसी तरीके से दिखाया गया था, जिस तरह से यह बनी थी। देर रात इस फिल्म का प्रसारण किया गया था। कभी भी माधुरी दीक्षित ने इस बात का जिक्र नहीं किया कि शेखर सुमन के साथ उन्होंने काम किया था।

फिर बदल गया सब कुछ

इसी फिल्म की शूटिंग के बाद माधुरी दीक्षित के करियर में एक बड़ा मोड़ आया। उस दौर के सबसे प्रभावकारी फैशन फोटोग्राफर के तौर पर राकेश श्रेष्ठ जाने जाते थे। उन्होंने स्टूडियो में माधुरी दीक्षित को देख लिया था। ऐसे में उनके माता-पिता के पास जाकर उन्होंने उनकी बेटी की कुछ तस्वीरें खींचने की अनुमति मांगी थी। श्रेष्ठ ने माधुरी दीक्षित का पोर्टफोलियो तैयार कर लिया था और इसे उन्होंने निर्माता-निर्देशक सुभाष घई को दिखाया था। संयोग से इसी फिल्म के सेट के आस-पास ही सुभाष घई की भी एक फिल्म की शूटिंग चल रही थी। एक दो बार उन्होंने भी माधुरी दीक्षित को देखा था। हालांकि, जब श्रेष्ठ ने उन्हें माधुरी दीक्षित की पोर्टफोलियो में माधुरी की फोटो दिखाई तो सुभाष घई ने कहा था कि मुक्ता आर्ट्स को उसकी नई हीरोइन मिल गई है। बाद में तो माधुरी पूरी तरह से छा ही गईं।

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