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555 दिनों से बिना दिल के जिंदा है ये शख्स, बॉस्केटबॉल भी खेलता है

कहा जाता है कि अगर आपका दिल काम नहीं करे तो आपकी मौत बहुत जल्द हो सकती है। लेकिन 25 साल के एक युवा ने साबित किया है कि अगर मन में आत्मविश्वास है तो आप बिना दिल के भी जिंदा रह सकते हैं। वो भी एक-दो दिन नहीं बल्कि पूरे एक साल से ज्यादा।

Meet the man who has lived for 555 days without a heart in his body.

सुनकर चौंक गए ना…लेकिन ऐसा हुआ है। स्टान लार्किन, जिन्होंने बिना दिल के बाकायदा ‘कृत्रिम दिल’ को करीब 555 दिनों तक अपने पास रखा और उस समय का इंतजार किया जब को हर्ट डोनर नहीं मिल जाता। ट्रांसप्लांट डोनर के मिलने के बाद उन्होंने कृत्रिम दिल को हटवाया।

स्टान लार्किन के साथ उनके भाई डोमिनिक को भी इसी तरह की समस्या पेश आई थी। उनके दिल कभी भी उनका साथ छोड़ सकते थे। दोनों भाइयों को अपने दिल के प्रत्यारोपण का इंतजार कई साल से था। आखिर उनके दिलों को हटा दिया गया।

दिल को हटाने के बाद उसकी जगह पर 13.5 पाउंड का बैकपैक दोनों भाइयों को लगाया। इसका उद्देश्य था कि बैकपैक सीधे कार्डियोवैस्क्युलर सिस्टम से जुड़ा रहेगा, वहीं दिल की कार्य करने की जरूरत नहीं होगी।

दो भाइयों के दिल में थी समस्या

इस डिवाइस की जरूरत डोमिनिक को कुछ हफ्ते के लिए पड़ी, हालांकि स्टान को 555 दिनों तक रोजाना 24 घंटे इसे लगाना पड़ा, आखिरकार 9 मई 2016 को उनके पूरे दिल का प्रत्यारोपण कर दिया गया।

स्टान लार्किन ने इस पूरे घटनाक्रम को बेहद भावनात्मक समय करार दिया, अब वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं। फिलहाल उन्होंने उस डोनर का धन्यवाद किया है जिन्होंने उन्हें नया जीवन दिया है। मैं उनके परिवार से मिलना चाहूंगा। हो सकता है कि वह भी मुझसे मिलना चाहते हों।

हालांकि लार्किन ने कृत्रिम दिल के बावजूद बास्केटबॉल खेलकर डॉक्टर्स और सर्जन्स को चौंका दिया। इस पूरी सर्जरी और बैकपैक लगाने वाले मिशिगन विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर जोनाथन हाफ्ट ने बताया कि इस डिवाइस के सफलता के चलते आने वाले वक्त में इसके और ज्यादा इस्तेमाल के आसार हैं।

जोनाथन हाफ्ट के मुताबिक जब मैं स्टान और उनके भाई से मिला तो उस समय उनकी हालत बेहद गंभीर थी, उन्हें आईसीयू में रखा गया था। हम चाहते थे उनके दिलों का प्रत्यारोपण किया जा सके, लेकिन हमें योग्य डोनर की तलाश थी। ऐसे में हमने एक बिल्कुल जुदा एर आधुनिक तकनीक से उनके दिलों से अलग एक डिवाइस तैयार की। स्टान के छोटे भाई को डोनर 2015 में ही मिल गया हालांकि स्टान को 2016 में जाकर डोनर मिला। फिलहाल अभी दोनों भाई बिल्कुल सामान्य हैं और अपनी जिंदगी बिता रहे हैं।

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