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मीडिया को शुक्रिया! संतरे बेचने वाली खिलाड़ी को मिली तीरंदाज़ी कोच की नौकरी!

असम/नई दिल्ली – महिला तीरंदाज के 50 मीटर के गेम में गोल्ड मेडल जीतकर चर्चा में आई असम के चिरांग जिले कि रहने वाली बुली बासुमातरी सड़क किनारे संतरे बेचने को मजबूर थी। मीडिया ने इस स्टोरी को कवर किया जिसके बाद उनकी स्टोरी चारो ओर छा गई, अथॉरिटीज़ ने भी देखा और आख़िरकार उन्हें जॉब मिल गई। बुली बासुमातरी अब कोच बन गई है। बुली को तीरंदाजी कोच नियुक्त किया गया है और यह सब हुआ मीडिया कि वजह से। इसलिए हम मीडिया को इस स्टोरी को कवर करने के लिए शुक्रिया कह रहे हैं। Gold medalist archer.

राष्ट्रीय अवार्ड विजेता थी सड़क किनारे संतरे बेचने को मजबुर –

Gold medalist archer
राष्ट्रीय अवार्ड विजेता महिला तीरंदाज बुली बासुमातरी सड़क किनारे संतरे बेचने को मजबुर थी। बुली उस वक्त चर्चा में आईं थीं, जब उन्हें सड़क किनारे संतरे बेचते हुए देखा गया और मीडिया ने इस खबर को सबके सामने रखा। आपको बता दें कि तीरंदाजी की दुनिया में बुली एक बड़ा नाम हैं। बुली वर्ष 2004 से भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के संरक्षण में तीरंदाजी में झंडे गाड़ती रही है। वो महाराष्ट्र में आयोजित नेशनल जुनियर आर्चरी चैम्पियनशिप में दो गोल्ड मेडल और एक सिल्वर मेडल जीच चुकी है।

मीडिया की रिपोर्ट पर असम सरकार हुई एक्टिव –

Gold medalist archer

 बुली तीरंदाजी के क्षेत्र में लगातार बेहतरीन प्रदर्शन कर रही थी की अचानक वर्ष 2010 में उन्हें चोट की वजह से उसे खेल से बाहर होना पड़ा। इसके बाद जब वो फिट हुई तो आर्थिक तंगी सामने आ गई इसके बाद वो अपना खेल जारी नहीं कर सकी। आर्थिक तंगी के कारण ही उन्हें अपना जीवनयापन करने के लिए संतरे बेचना पड़ा था। मीडिया में जब इस बारे में रिपोर्ट छपी तो असम सरकार एक्टिव हुई और बुली को कोच की नौकरी दी। बुली एक बार फिर तीरंदाजी की दुनिया में वापसी करने और देश का नाम रोशन करने के लिए तैयार हैं।

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