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कालिदास की कथा: शिक्षा से इंसान का ज्ञान बढ़ना चाहिए , न कि घमंड

महाकवि कालिदास के जीवन से कई कहानियां जुड़ी हुई हैं और इन कहानियों के जरिए हमें काफी कुछ सीखने को मिलता है। महाकवि कालिदास के हर प्रसंग से कोई ना कोई संदेश जुड़ा होता है और आज हम आपको कालिदास के जीवन का एक ऐसा ही किस्सा बताने जा रहे हैं। एक बार कालिदास कहीं जा रहे थे और काफी चलने के बाद कालिदास को प्यास लगने लगी। तभी कालिदास की नजर एक गांव पर पड़ी, कालिदास इस गांव में चले गए और यहां जाकर कालिदास कुएं की तलाश करने लगे। तभी कालिदास की नजर एक कुएं पर पड़ी। इस कुएं से एक महिला पानी भर रही थी। कालिदास ने इस महिला से कहा मुझे प्यार लग रही है, आप कृपा करके मुझे पानी पीने को दे दें। महिला ने कालिदास से कहा, मैं आपको नहीं जानती हूं। आप कौन हैं, पहले आप मुझे ये बताएं। आप जब अपना परिचय देंगे में तभी आपको पीने के लिए पानी दूंगी।

कालिदास ने अपना परिचय इस महिला को देते हुए कहा, मैं इस गांव का मेहमान हूं। महिला ने कालिदास का ये जवाब सुनकर कालिदास से कहा, आप मेहमान कैसे हो सकते हैं। इस दुनिया में दो ही चीजे मेहमान हैं एक धन और दूसरा यौवन। महिला की ये बात सुनकर कालिदास सोच में पड़ गए। कालिदास ने फिर से अपना परिचय देते हुए कहा मैं सहनशील हूं। महिला ने ये उत्तर सुन कालिदास को कहा, इस दुनिया में सिर्फ दो ही चीजे सहनशील हैं। एक हमारी धरती मां जो बुरे लोगों का बोझ उठा रही हैं और दूसरा पेड़ जो कि पत्थर मारने पर भी हमें फल दे देता है।

महिला की बात सुनकर कालिदास और हैरान हो गए। कालिदास ने फिर से अपना परिचय देते हुए कहा,  मैं आडयल हूं। कालिदास की ये बात सुनकर महिला ने कहा, आप क्यों सही से अपना परिचय नहीं दे रहे हैं। आप फिर से झूठ बोल रहे हैं। इस दुनिया में केवल दो लोग ही आडयल होते हैं। एक हमारे नाखून और दूसरे हमारे बाल। क्योंकि बार-बार काटने पर भी नाखून और बाल फिर से आ जाते हैं।

महिला की ये बात सुनकर कालिदास ने कहा, आप जीत गई मैं हर गया मैंन एक मूर्ख हूं। महिला ने कालिदास से कहा, आप मूर्ख नहीं हो सकते हैं। क्यों इस संसार में केवल दो ही लोग मूर्ख होते हैं। एक राजा जो बिना किसी योग्यता के भी राज करता और दूसरा दरबारी जो राजा को खुश करने के लिए राजा की झूठी प्रशंसा करते हैं।

कालिदास ने हार मानकर महिला के चरणों को छू लिया और महिला से कहा आप मुझे पानी दें दे। तभी महिला ने कालिदास से मीठे स्वर में कहा, उठो वत्स। कालिदास ने जैसे ही महिला की और देखा तो पाया कि महिला कोई और नहीं बल्कि देवी सरस्वती थीं। देवी मां ने कालिदास से कहा शिक्षा से ज्ञान बढ़ना चाहिए , न कि घमंड। तुम काफी घमंडी हो गए थे और तुम्हारा घमंड तोड़ने के लिए मैंने ये सब किया।

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