राजनीति

यूं ही नहीं मोदी के ‘चाणक्य’ थे अरुण जेटली, पहली ही मुलाकात में बढ़ गई थी नजदीकियां

पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शनिवार की दोपहर को दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली। जेटली के दुनिया छोड़ जाने से राजनीति में एक खालीपन आ गया है, जिसकी पूर्ति होना नामुमकिन है। जेटली ने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वित्तमंत्री का पद संभाला था, लेकिन दूसरे कार्यकाल में स्वास्थ्य की वजह से उन्होंने दूरियां बना ली थी। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में जेटली ने महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसे भुलाया नहीं जा सकता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पीएम मोदी के चाणक्य थे अरुण जेटली। तो चलिए जानते हैं कि हमारे इस लेख में आपके लिए क्या खास है?

पीएम मोदी के चाणक्य अरुण जेटली

प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी और अरुण जेटली के बीच गहरे संबंधों से पूरी दुनिया भलीभांति परिचित है। पीएम मोदी और अरुण जेटली के बीच का रिश्ता न सिर्फ राजनीतिक था, बल्कि निजी भी था। अरुण जेटली ने पीएम मोदी के राजनीति करियर में काफी योगदान दिया। इतना ही नहीं, मोदी को गुजरात से दिल्ली लाने में भी अरुण जेटली का अहम योगदान था और उन्होंने उस समय मोदी का हाथ थामा था, जब वे वनवास भुगत रहे थे और बीजेपी की हालत अस्थिर थी। अरुण जेटली को मोदी का चाणक्य कहा जाता है, क्योंकि उनका योगदान काफी अहम रहा है।

मोदी को सीएम बनाने के पीछे भी थे जेटली

साल 1996 से 2001 के बीच में मोदी को सिर्फ पार्टी के लिए मुश्किलें खड़े करने के लिए जाना जाता था और उनसे हर कोई मुंह मोड़ रहा था, लेकिन तभी वे दिल्ली आए और उनकी मुलाकात अरुण जेटली से हुई। उस समय पहली बार मोदी और अरुण जेटली के बीच नजदीकियां बढ़ी और मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो आडवाणी ने जब मोदी को गुजरात का सीएम बनाने की बात कही, तो इसके पीछे भी अरुण जेटली का हाथ और उन्होंने ही गुजरात की कमान मोदी को सौंपने के लिए कहा था।

जेटली से मिलने घर जाते थे मोदी

मोदी और अरुण जेटली का रिश्ता काफी पुराना होने के साथ काफी गहरा रहा है। दिल्ली से दूर रहे मोदी अक्सर जेटली के घर आया जाया करते थे, जिसका खुलासा खुद दुष्यंत दवे कर चुके हैं। उन दिनों मोदी और अरुण जेटली की दोस्ती बढ़ती गई और दोनों का रिश्ता भी मजबूत होता गया। राजनीति के जानकारों की माने तो मोदी को दिल्ली तक लाने के पीछे भी अरुण जेटली का हाथ था और उन्होंने ही हर जगह मोदी की सिफारिश की और देश की सत्ता को पलट डाला।

मोदी के पीछे डटकर खड़े जेटली

नरेद्र मोदी का जब भी विपक्ष या पार्टी में विरोध हुआ, तो अरुण जेटली चट्टान की तरह उनके पीछे खड़े रहे और उन्हें हमेशा सपोर्ट करते रहे। इतना ही नहीं, जब 2004 में गुजरात दंगो के समय पार्टी के अंदर मोदी का विरोध हुआ, तो सिर्फ अरुण जेटली ही थे, जो उनका समर्थन कर रहे थे और उन्हें दिल्ली की सत्ता तक लेकर आए। बता दें कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में भले ही अरुण जेटली प्रत्यक्ष रुप से नहीं जुड़े थे, लेकिन वे अप्रत्यक्ष रुप से सलाह देते हुए नज़र आते थे।

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