दिलचस्प

जब बुद्धिमान व्यक्ति किसी मूर्ख से बहस करता है तो असल में वो अपना ही नुकसान करता है

जब आप किसी से तर्क कर रहे हों और आपको पता है कि आप सही हैं औऱ सामने वाला गलत फिर भी तर्क किए जा रहे हों तो बेवकूफ सामने वाला नहीं है बल्कि आप हैं। हम सभी अक्सर अपनी बातों को लेकर सामने वाले से बहस करने लगते हैं। अगर बात विचारों पर हो रहा है तो सबके अपने विचार हो सकते है, लेकिन अगर तथ्य पर बात हो तो तथ्य सच होते हैं औऱ विचारों की तरह बदलते नहीं।इसके बाद भी सामने वाला आपसे बहस जारी रखे तो चुप्पी साध लेने में ही भलाई होती है। एक कहानी के तौर पर हम आपको ये बात बताते हैं।

घास के रंग को लेकर छिड़ी बहस

एक जंगल में सभी तरह के जानवर रहा करते थे। एक बार गधे और बाघ में कुछ बातें हो रही थीं औऱ एक ही बात पर दोनों की बहस होने लगी की घास किस रंग की है। गधे ने कहा कि घास नीली होती है, बाघ ने कहा की घास नीली नहीं हरी होती है। गधे ने कहा- तुम्हें कुछ पता भी है, गलत बात बोले जा रहे हो, घास नीली होती है। बाघ भी अपनी बात पर अड़ा रहा। दोनों की बहस बढ़ने लगी। गधे नीले पर अटके थे औऱ बाघ हरे पर। ये फैसला करने के लिए की कौन सही है और कौन गलत दोनों जगंल के राजा शेर के पास पहुंचे।

गधे ने शेर से कहा- महाराज, घास नीली होती है इस बाघ को समझाइये, ये नहीं मान रहा है बहस कर रहा है, अब आप ही न्याय कीजिए इस बाघ को झूठ बोलने की सजा दीजिए। शेर चुपचाप सुनता रहा। बाघ ने कहा- किस गधे की बात आप सुन रहे हैं महाराज, आप ही इसे बताइये की कौन सच्चा है और कौन झूठा। शेर ने दोनों की बातें सुनी और अंत में शेर ने अपना फैसला सुनाया।

शेर के फैसले से हो गए सब हैरान

शेर ने कहा कि बाघ को एक साल के लिए सजा दी जाती है। सभी हैरान रह गए। बाघ भी हैरान था की आखिर सच बोलने की उसे सजा क्यों मिल रही है। उसने कहा- महाराज मैंने तो सच बोला है। आप भी जानते हैं कि घास हरी होती है फिर मुझे सजा क्यों। शेर ने कहा- हम सभी को पता है कि घास हरी होती है, लेकिन तुम्हें सजा इस बात की मिल रही है कि एक बुद्धिमान होकर भी तुम इस मूर्ख गधे से बहस कर रहे थे। किसी भी मूर्ख के साथ बहस करोगे तो ऐसे ही सजा मिलेगी।

अब आप भी समझ गए होंगे कि कुछ गधों को कोई बात कितनी भी सत्यता के साथ बताई जाए  फिर भी वो नहीं समझते हैं और भुगतना आपको पड़ता है। जब आपको पता रहे कि आप सत्य कह रहे है तो किसी भी मूर्ख प्राणी को सत्य समझाने का प्रयास ना करे। पहली बात तो ये की वो ये बात समझेगा नहीं और दूसरा ये की आपकी झुंझलाटह देख उसे प्रसन्नता ही होगी। बहस करने से बेहतर है की आप चुप्पी साध लें। जब सही वक्त आएगा तो उसे खुद अपनी गलती का एहसास हो जाएगा इसके लिए अपने आप को सजा ना दें।

 

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