अध्यात्म

महाशिवरात्रि 2019: पूजा के दौरान नहीं करें इन 6 चीजों का इस्तेमाल, महादेव हो जाएंगे नाराज

कल यानी 4 मार्च को महाशिवरात्रि है. फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शिव के विवाह की चतुर्दशी माना जाता है. इस चतुर्दशी को शिवपुराण में महाशिवरात्रि कहा गया है. इस शिवरात्रि के पीछे ‘महा’ लगने का एक बड़ा कारण है. दरअसल, शिवरात्रि तो हर महीने आती है लेकिन फाल्गुन मास की शिवरात्रि साल में सिर्फ एक बार आती है. महाशिवरात्रि को शिव और शक्ति की मिलन की रात कहा जाता है इसलिए इसका ज्यादा महत्व होता है. 4 मार्च को कई दुर्लभ संयोग बन रहे हैं जिस वजह से इस दिन का महत्व और ज्यादा बढ़ गया है. इस साल महाशिवरात्रि का पर्व सोमवार के दिन पड़ रहा है जिसे बहुत अच्छा माना जा रहा है.

कहा जाता है कि भगवान शिव जितनी जल्दी प्रसन्न होते हैं उससे भी जल्दी उन्हें गुस्सा आता है. भगवान शिव के प्रकोप से हर कोई वाकिफ है. उनकी पूजा में अर्पित की जाने वाली सामग्री किसी दूसरे देवता को अर्पित नहीं की जाती. भगवान शिव को भांग, बेलपत्र, धतूरा बेहद प्रिय है. उनकी पूजा के दौरान इन सब चीजों को अर्पित करना बहुत जरूरी होता है. लेकिन कई बार लोग अनजाने में छोटी-छोटी गलतियां कर देते हैं. कुछ चीजें ऐसी भी हैं जो भगवान शिव को नहीं चढ़ाई जातीं. लेकिन जानकारी के आभाव में लोग इन्हें भगवान शिव को चढ़ा देते हैं. इसलिए आज हम आपको उन सामग्रियों के बारे में बताएंगे जिनका इस्तेमाल शिव की पूजा में नहीं करना चाहिए.

केतकी का फूल

भगवान शिव की पूजा में कभी भी केतकी के फूल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. पूजा में केवल कमल और कनेर के फूल का इस्तेमाल करें. भगवान शिव को लाल रंग के फूल भी पसंद नहीं हैं. इसलिए हो सके तो कमल और कनेर के फूल से ही पूजा करें.

हल्दी

महादेव की पूजा में हल्दी का इस्तेमाल करना वर्जित है. हल्दी को शिव का रूप माने जाने के कारण इसका प्रयोग पूजा में नहीं होता. इसलिए कभी भी भगवान शिव की पूजा में हल्दी का प्रयोग न करें.

तुलसी

एक कथा अनुसार, भगवान शिव ने असुर जलंधर का वध कर दिया था. पति के वध के बाद पत्नी वृंदा निराश होकर तुलसी में परिवर्तित हो गई. वृंदा ने भगवान शिव को अपने दैवीय तत्वों वाले पत्त्तों से वंचित कर दिया. इस वजह से भगवान शिव की पूजा में तुलसी चढ़ाना भी वर्जित है. (और पढ़ें – तुलसी पूजा के नियम)

सिंदूर या कुमकुम

सिंदूर सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. अपने सौभाग्य में वृद्धि के लिए महिलाएं कुमकुम का इस्तेमाल करती हैं. इसके विपरीत भगवान शिव को विध्वसक और विनाशकर्ता कहा जाता है. इसलिए शिव की पूजा में सिंदूर का उपयोग नहीं किया जाता.

नारियल का पानी

शिव को नारियल का पानी चढ़ाना भी वर्जित है. क्योंकि अन्य देवी-देवताओं की पूजा में जो सामग्री हम उन्हें अर्पित करते हैं उसका प्रसाद ग्रहण करते हैं. परंतु शिव की पूजा में ऐसा नहीं होता. इसलिए शिव को नारियल का पानी नहीं चढ़ाना चाहिए.

शंख

शंख का भी प्रयोग भगवान शिव की पूजा में वर्जित है. एक कथा अनुसार, भगवान शिव के हाथों शंखचूर नामक एक राक्षस का वध हुआ था. इसलिए उनकी पूजा में शंख का इस्तेमाल नहीं किया जाता.

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