अध्यात्म

इस मंदिर में नारी रुप में विराजमान हैं भगवान हनुमान, रोग ठीक करवाने आते हैं लोग

हनुमान जी श्री राम के परम भक्त हैं औऱ ऐसा माना जाता है कि कलयुग में भी वह वास करते हैं। जब भी कोई भक्त पूरी श्रद्धा के साथ हनुमान जी को किसी भी नाम से याद करता है तो वह उसकी प्रार्थना सुनते हैं। सुंदरकांड में भी कहा गया है कि औऱ देवता चित्त ना धरई हनुमत सेई सर्व सुख करई। इसका अर्थ है कि औऱ कोई देवता एक बार आपकी चिंता सुनने में वक्त लगा सकते हैं, लेकिन हनुमान जी तुरंत भक्तों की समस्या सुन लेते हैं। बाल ब्रह्मचारी हनुमान के आपको अलग अलग तरह के मंदिर मिल जाएंगे। कहीं वह लेटी मुद्रा में हैं तो कहीं वह अपनी पत्नी के साथ विराज मान हैं, लेकिन एक मंदिर ऐसा है जहां वह खुद एक नारी के वेश में हैं।

छत्तीसगढ़ में है मंदिर

यह मंदिर छत्तीसगढ़ के रतनपुर गांव में है और यह एकलौता ऐसा मंदिर हैं जहां हनुमान जी की स्त्री रुप मे पूजा होती है। यह प्रतिमा कोई आज की नही है बल्कि दस हजार साल पुरानी है। इसमें हनुमान जी की मुर्ति एक स्त्री के रुप में है। यहां जो भीभक्त सच्ची श्रद्धा के साथ आता है और इस मंदिर में मत्था टेकता है। हनुमान जी उसकी सभी मनोकामना पूरी कर देते हैं। दुनिया भर में हनुमान जी के अग अलग तरह के मंदिर है, लेकिन कहीं भी उन्हें स्त्री रुप में नहीं पूजा जाता।

हनुमान जी के स्त्री रुप में पूजा जाने औऱ इस मंदिर के यहां स्थापित होने के पीछे एक कथा है। बहुत पहले के समय में रतनपुर में एक राजा थे जिनका नाम देवजू था। वह राजा हनुमान जी के परम भक्त थे। वह हर दम भगवान की सेवा में लगे रहते थे। एक बार राजा देवजू को कुष्ठ रोग हो गया। राजा को अपने जीवन से मोह भंग होने लगे और धीरे धीरे उनके जीवन में उदासी छाने लगी।

हनुमान आए राजा के सपने में

राजा ने कही वैद्य के पास अपना इलाज कराना चाहा, लेकिन किसी भी तरह से उन्हें आराम ना मिलें। राजा परेशान हो गए। वह दूखी होकर एक दिन सो रहे थे कि उनके सपने में हनुमान जी ने दर्शन दिया। सपने में हनुमान जी ने राजा को मंदिर बनाने का निर्देश दिया। राजा हनुमान जी के परम भक्त थे। वह समझ गए की हनुमान जी ने सपने में उन्हें मंदिर बनाने का आदेश दिया है तो उसे करना होगा।

राजा ने एक मंदिर का निर्माण करवाया। उसके बाद हनुमान जी एक बार फिर राजा के सपने में आए और उन्होंने कहा कि प्रतिमा को महामाय कुंड से निकालकर मंदिर में स्थापित करो। अगले दिन राजा स्वयं महामाया कुंड से मूर्ति निकालने गए। जब मुर्ति उनके हाथ लगी तो वह स्त्री रुप में थी। महिला रुप में प्रतिमा देखकर राजा थोड़े हैरना हुए, लेकिन हनुमान जी के आदेश को वह कैसे टाल सकते थे।

रोग कर देते हैं ठीक

राजा ने मंदिर में वह प्रतिमा स्थापित कर दी। प्रतिमा स्थापित करते ही राजा का कुष्ठ रोग दूर हो गया। राजा हनुमान भगवान की महिमा जान गए। उनका रोग दूर होता देख प्रजा भी चकित रह गई। इसके बाद से ही इस मंदिर का गुणगान जगत भर में हो गया। आज भी यहां हनुमान जी की नारी प्रतिमा मौजूद है और दूर दूर से लोग अपने रोग औऱ समस्याए ठीक कराने के लिए आते हैं।

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