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गूगल की लाखों रूपये की सैलरी छोड़ साध्वी बन गई यह लड़की, जानिए कैसे लगाया वैराग्य में मन?

समाज के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलने के लिए हर किसी के पास पैसा होना बहुत ज़रूरी होता है। जी हां, पैसा कमाने के लिए इंसान हर मुमकिन कोशिश करता है। कलयुग में बिना पैसा के जीवन व्यतीत करना मुश्किल है, जिसकी वजह से आज का युवा जल्दी से जल्दी ढेर सारा पैसा कमाने की इच्छा रखता है और इसके लिए भरसक प्रयास भी करता है। ऐसे में अगर हम आपसे यह कहें कि एक लड़की, जिसकी सैलरी लाख रूपये मासिक थी, वह अपनी नौकरी छोड़कर साध्वी बन गई तो आपको यही लगेगा कि हम मजाक कर रहे हैं, लेकिन यह बिल्कुल सच है। तो चलिए जानते हैं कि हमारे इस लेख में आपके लिए क्या खास है?

काशी में चल रही परम धर्म संसद 1008 के बारे में आप सभी ने तो ज़रूर सुना होगा। जी हां, काशी का जादू परम धर्म संसद को लेकर प्रत्येक देशवासियों पर चढ़ा हुआ है। काशी में बड़े बड़े साधु संत परम धर्म संसद 1008 में हिस्सा लेने के लिए गए हैं, ऐसे में वहां सबकी नजर एक लड़की पर टिकी, जोकि हाल ही में साध्वी बनी है। मामला यह नहीं है कि वह साध्वी बनी है, बल्कि यह है कि उसने एक प्रतिष्ठित कंपनी की लाखों की सैलरी छोड़कर वैराग्य में मन लगाया है।

गूगल में करती थी नौकरी

ब्रह्मवादिनी देवी स्कंद गूगल में एक साल से नौकरी करती थी, जहां पर उनकी मासिक सैलेरी लाखों रूपये थी। अब आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिरी ऐसा क्या हुआ कि इन्हें गूगल की नौकरी छोड़ करके साध्वी बनना पड़ा? इसका राज खोलने से पहले हम आपको बताते हैं कि इनकी शिक्षा क्या थी?

कारोबारी की बेटी हैं ब्रह्मवादिनी देवी स्कंद

ब्रह्मवादिनी देवी स्कंद कारोबारी की बेटी हैं, जिन्होंने शुरू से ही इंग्लिश मीडियम में पढ़ाई की है। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद ब्रह्मवादिनी देवी स्कंद ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीकॉम किया और फिर सीएस की पढ़ाई की। सीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद इनकी नौकरी गूगल में लगी। गूगल में इन्होंने एक साल तक काम किया, लेकिन इनका मन धीरे धीरे ईश्वर में लगने लगा। तो चलिए अब जानते हैं कि आखिर ब्रह्मवादिनी देवी स्कंद साध्वी कैसे बन गई, जिसकी चर्चा नीचे है।

ऐसे बनी ब्रह्मवादिनी देवी स्कंद ‘साध्वी’

साध्वी ब्रह्मवादिनी देवी स्कंद ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि स्कूली शिक्षा और कॉलेज के दौरान वह अक्सर माता-पिता के साथ मंदिरों और गुरुमाता के यहां आती जाती रहीं हैं, जिसकी वजह से उनका धीरे धीरे मन वैराग्य में लगने लगा और इस दौरान जब वह साध्वी बनी तब भी अपनी माता के साथ गुरू माता के यहां गई थी। ब्रह्मवादिनी देवी स्कंद का कहना है कि जब उन्होंने साध्वी बनने की बात कही तो मां तुरंत राजी हो गई, लेकिन पिता को मनाना मुश्किल था, ऐसे में गुरूमाता की सलाह पर उनके पिता भी मान गए और वह साध्वी बन गई।

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