अध्यात्म

रहस्य! इस मंदिर में होती है चंदन और केसर की बारिश

भारत में ना जाने कितने तीर्थ स्थल हैं और उन सभी तीर्थ स्थलों का अपना-अपना एक महत्व है।कई बहुत चमत्कारी हैं तो कई रहस्यों से भरपूर जिनका पता आज तक कोई नहीं लगा पाया है।इन्हीं चमत्कारों में एक है एमपी का मुक्तागिरी क्षेत्र जहां पर आज भी चंदन और केसर की बारिश होती है और आज तक इस बात का पता कोई नहीं लगा पाया है कि ऐसा क्यों होता है।आपको ये बात जानकर हैरानी जरूर होगी लेकिन ये बात बिल्कुल सच है। मध्यप्रदेश के बैतूल जिले की भैंसदेही में मुक्तागिरी जैन समुदाय का ये तीर्थ क्षेत्र है अपनी सुंदरता और धार्मिक प्रभाव के कारण काफी प्रसिद्ध है साथ ही यहां पर दिगंबर जैन संप्रदाय के कुल 52 मंदिर हैं।हर एक मंदिर अपनी एक से बढ़कर एक शिल्पकला के नमूने प्रस्तुत करते हैं।

कथा:

इस स्थान को लेकर एक बात काफी प्रचलित है कि यहां मुक्तागिरी के मंदिरों में आज भी चौदस के दिन केसर और चंदन की बारिश होती है। पौराणिक कथाओं की मानें तो करीब हजार वर्ष पहले हजार वर्ष पहले आसमान से एक मेढ़ा ध्यानमग्न एक मुनिराज के सामने आकर गिर गया था.जब ध्यान खत्म करने के बाद मुनिराज ने उसे देखा तो उस मेढ़े के कानों में मंत्रोच्चारण किया जिसके बाद वो मेढ़ा देव बन गया।

उसके बाद से ही निर्वाण स्थल पर हर साल कार्तिक पूर्णिमा की रात में देव प्रतिमाओं पर केसर के छींटें पाए जाते हैं। ये छीटे वहां पर स्थित सभी 52 मंदिरों में देखने को मिलते हैं। ये बारिश कहा से होती  है मंदिरों के अंदर देव प्रतिमाओं पर यह छीटे कहा से पड़ती हैं इस बात का आजतक कोई पता नहीं कर पाया है।

मुक्तागिरी के पर्वत पर 52 मंदिरों में से एक मंदिर में भगवान पाश्र्वनाथ की काले रंग की एक विशाल प्रतिमा विराजमान है, बताया जाता है की यह प्रतिमा सदियों पुरानी है और यह प्रतिमा चमत्कारिक प्रतिमा है.

मुक्तागिरी के इस पर्वत पर करीब 250 फीट का झरना भी मौजूद है जो यहां की प्रकृतिक सुंदरता को और बढ़ाता है सौंदर्य को और भी मनमोहक कर देता है. बता दें कि यहां पर दरेशन के लिए पहाड़ों पर चढ़ना पड़ता है क्योंकि मंदिर पर्वत पर ही बने हुए हैं।साथ ही दर्शन के लिए 250 सीढिया चढ़नी पड़ता हैं और उतरते वक्त 350 सीढियां उतरनी पड़ती है, ऐसा माना जाता है कि 600 सीढ़ियां उतरने के बाद ही आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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