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जाने कैसे बनाया जाता है व्रत में इस्तेमाल होने वाला साबूदाना

हमारे हिन्दू धर्म में व्रत-पर्व आदि को बहुत ही ज्यादा महत्व दिया जाता है और जैसा की हम सब जानते है व्रत के दौरान घर की महिलाएं या तो कुछ भी नहीं खाती है जिसे हम निर्जला व्रत के नाम से जानते है या फिर व्रत आदि के समय कुछ ही खाद्य पदार्थों का सेवन किया जाता है जैसे फल-फूल आदि। व्रत के दौरान खाई जाने वाली चीजों में से एक है साबूदाना, जिसके नाम से तकरीबन हर कोई वाकिफ होगा। आपकी जानकारी के लिए बताते चलें की साबूदाने का उपयोग हम लोग अक्सर करके उपवास के दौरान करते हैं, वैसे तो साबूदाने से कई तरह के व्रत वाले व्यंजन बन जाते है जैसे  साबूदाने की खीर, खिचड़ी या फिर पापड़ आदि भी बनाया जाता है। बताते चलें की कैसे बनता है साबूदाना से बनने वाले सभी व्यंजन काफी ज्यादा स्वादिष्ट लगते हैं और तकरीबन हर किसी को ये पसंद आते है फिर चाहे आप व्रत वाले हों या फिर बिना व्रत वाले।

हालांकि साबूदाने से बने व्यंजनों का लुफ्त तो लगभग हर किसी ने उठाया होगा मगर क्या आपने कभी इस बतरे में भी सोचा है की व्रत या उपवास में तमाम लोगों द्वारा पसंद किया जाने वाला ये साबूदाना आखिर बनता कैसे है। हम जानते है की इस बता की जानकारी बहुत ही कम लोगों को होगी इसीलिए आज हम आपको बताने जा रहे है की साबूदाना बनने की पूरी विधि।

तो आइए फिर जानते हैं कैसे बनता है साबूदाना

गोल-गोल व छोटे-छोटे मोती के समान दिखने वाले साबूदाना के यह दाने सफेद होते हैं, मगर आपको यह जानकर काफी हैरानी होगी कि व्रत आदि में इस्तेमाल होने वाला साबूदाना किसी पेड़ में नहीं लगता बल्कि इसे सैगो पाम नामक पेड़ के तने के गूदे का इस्तेमाल करके बनाया जाता है। बता दें की साबूदाना को बनाने के लिए सबसे पहले इस जड़ों को इकट्ठा किया जाता है और फिर इसके गूदे का इस्तेमाल कर साबूदाना बनाने की पूरी प्रक्रिया शुरू की जाती है।

आपको बता दें की साबूदाना बनाने के लिए सैगो पाम की जड़ों के गूदे को बड़े-बड़े गड्ढों में कई महीनों तक रखा जाता है और सबसे खास बात ये है की ये सारी प्रक्रिया किसी फ़ैक्टरि या कारखाने में नहीं बल्कि खुले आसमान के नीचे किया जाता है। इसके बाद उन सभी गड्ढों में हर दिन काफी मात्र में पानी भी डाला जाता है ताकि इसमें सफेद रंग की ढेर सारी लटें पड़ जाए। हालांकि इन सभी प्रक्रियाओं के बाद कुछ लोग इसे साफ और सुंदर बनाने के लिए मशीनों की मदद से रोंधा जाता हैं और आपको बता दें की ऐसा करने के दौरान इस प्रक्रिया में कई सारी लटें मर जाती है। हालांकि इस प्रक्रिया को कई बार दोहराया जाता है ताकि आपको जो चाहिए वो और भी बेहतर मिल सकें।

इन सब प्रक्रियों को करने के बाद दुबारा से स्टार्च को धूप में सुखने के लिए रख दिया जाता है, यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है जब तक की इसमें लेई बन जाए। उसके बाद फिर मशीनों का इस्तेमाल करके उसे दानों का आकार दे दिया जाता है। मशीनों से उन्हे आकार देने के बाद इन्हें नारियल के तेल में हल्का भुना जाता है फिर उसके बाद गर्म हवा में सुखा दिया जाता है। इन तमाम प्रक्रियों से गुजरने के बाद साबूदानासाबूदाना का हर एक दाना एकदम सफ़ेद और चमकीला हो जाता हैं और उसके बाद हमारे पास आता है व्रत आदि में इस्तेमाल होने वाला साबूदाना जिससे कई सारे लजीज और स्वादिष्ट व्यंजन आदि बनते हैं।

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