अध्यात्मदिलचस्प

लड़ाकू लोगों से गुरु बोले ‘एक साथ रहो’, मिलनसार लोगों से कहा ‘अलग रहो, बिखर जाओ’ जाने वजह

बहुत समय पहले की बात है। एक आश्रम में एक विद्वान गुरु रहते थे। उनके पास ढेर सारे शिष्य ज्ञान प्राप्त करने आते थे। एक दिन गुरु लंबी यात्रा पर निकले। अपने साथ कुछ शिष्यों को भी ले गए। वे लोग एक गाँव से दूसरे गाँव काफी घूमें। हर गाँव में उन्हें अलग-अलग प्रकार के लोग मिले। अपनी यात्रा के दौरान गुरु एक ऐसे गाँव में रुके जहां के सभी लोग बड़े झगड़ालू थे।

गुरु और उनके अनोखे आशीर्वाद

इस गाँव के लोगों का गुस्सा उनकी नाक पर बैठा रहता था। कोई एक दूसरे से सीधे मुंह बात नहीं करता था। यहां की गलियों और घरों में अक्सर लड़ाई झगड़े की आवाज गूँजती थी। गुरु कुछ दिन इस गाँव में ठहरे। फिर जाने लगे। जाने से पहले गाँव के लोग उनसे आशीर्वाद लेने आए। गुरु ने सभी को आशीर्वाद दिया कि ‘तुम सभी एकसाथ इकट्ठे रहना शुरू कर दो। एक दूसरे से दूर मत जाना। साथ ही रहना।” गुरु का आशीर्वाद समझ ग्रामीणों ने ऐसा ही किया।

फिर गुरु अपने शिष्यों के साथ दूसरे गाँव गए। यहां सभी बड़े मिलनसार और मीठी वाणी के थे। किसी में आपस में कोई दुश्मनी या मनमुटाव नहीं था। गाँव में अक्सर शांति रहती थी। सभी एक दुसरे से अच्छे से पेश आते थे। कभी कोई लड़ाई झगड़ा नहीं होता था।

गुरु इस गाँव में भी कुछ दिन ठहरे। लेकिन जब वे जाने लगे तो ग्रामीण उनका आशीर्वाद लेने आए। गुरु ने उनसे कहा कि “आप सभी एकसाथ मत रहो। इधर उधर चले जाओ। चाहे तो दूसरे गाँव में भी जाकर रहो।” सभी ने गुरु की आज्ञा का पालन किया।

अब गुरु के शिष्य बड़े दुविधा में पड़ गए। उन्हें समझ नहीं आया कि गुरु ने लड़ाई झगड़ा करने वालों को एकसाथ और मिलनसार लोगों को दूर-दूर रहने की सलाह क्यों दी। एक शिष्य से तो रहा नहीं गया। उसने गुरु से पूछा ही लिया कि आप ने आखिर ऐसा क्यों किया?

इस पर गुरु ने कहा कि “बुराई दुर्गंध के समान होती है। इसे फैलने से रोकना चाहिए। इसलिए मैंने लड़ाई झगड़ा करने वालों को एकसाथ एक ही जगह रहने को कहा। वहीं अच्छाई खुशबू की तरह होती है। इसे फैलाना चाहिए। इसलिए मैंने प्रेमपूर्वक रहने वाले लोगों को दूर-दूर जाने को कहा ताकि वे अपनी अच्छाई दूसरों में भी फैलाए।”

कहानी की सीख

हमेशा अच्छे लोगों की संगत में रहना चाहिए। अच्छी बातों को दूर-दूर तक फैलाना चाहिए। वहीं बुरी संगत से दूर रहना चाहिए। यदि कोई बुरा काम करे तो उसे दूसरों को बिगाड़ने से रोकना चाहिए। लड़ाई झगड़े में कुछ नहीं रखा है। हमेशा प्रेम से रहो। अच्छाई फैलाते रहो।

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