BIographyTrending

कहानी एक ऐसे आदिवासी वीर की जिसकी एक इशारे पर रुकजाती है चलती हुई ट्रेन…

एक ऐसा आदिवासी वीर जिसने छुड़ा दिए थे अंग्रेजों के छक्के। फ़िर अंग्रेजों ने उन्हें कहा था 'इंडियन रॉबिन हुड'।

उम्मीद है कि आपने कई आदिवासी वीरों की कहा सुनी और कभी न कभी पढ़ी जरूर होगी। देश में आदिवासी वीरों की एक अद्भुत परिपाटी रही है। जिन्होंने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी है। ऐसे ही एक वीर आदिवासी रहें हैं अमर शहीद टंट्या भील। जिनकी कर्मस्थली ‘पातालपानी’ रही है। आइए जानते हैं इन्हीं से जुड़ी कहानी…

tantya mama

बता दें कि यह कहानी मध्यप्रदेश के दो जिलों के बीच की है। जी हाँ यदि आप कभी इंदौर-खंडवा रेलवे रूट पर गए हों, तो आपको पता होगा कि पातालपानी यानी कालापानी स्टेशन पहुंचने पर ट्रेन कुछ देर के लिए थम गई होगी। अब आप सोच रहें होंगे कि इसमें क्या नया है भारतीय रेलवे तो चलते-चलते कहीं भी बीच रास्ते मे रुक जाती है। तो हम आपको बता दें कि यहां ट्रेन के रुकने के पीछे एक काफ़ी अजीबोगरीब कारण है।

tantya mama

जी हां आपको बता दें कि यहां ट्रेन इसलिए रुकती है, क्योंकि ट्रेन का यहां रुकना मतलब किसी वीर को सलामी देना होता है और यह वीर कोई और नहीं बल्कि टंट्या भील ही हैं। जिन्हें बड़े स्नेह से लोग ‘टंट्या मामा’ कहते हैं। बता दें कि यह सलामी इसी दिवंगत आत्मा को दी जाती है, जिसे अंग्रेज ‘इंडियन रॉबिन हुड’ कहते थे।

भील परिवार में ‘टण्ड्रा का हुआ जन्म जो बाद में बनें टंट्या…

Story Of Tantya Bhil

बता दें कि यह कहानी है उस दौर की जब देश पर ईस्ट इंडिया कंपनी का पूरी तरह कब्जा हो चुका था। मुगल दरबार का अंत हो रहा था। पुलिस भी अंग्रेज अफसरों के इशारे पर नाचती थी। उसी दौर में 1840 के आसपास मध्यप्रदेश के खंडवा में एक आदिवासी भील परिवार में एक शिशु का जन्म हुआ, जिसका नाम ‘टण्ड्रा भील’ रखा गया था। वो बचपन से ही सामाजिक कार्यों में रुचि लेने लगे थे। हर प्रकार की असमानता से उन्हें चिढ़ थी। इस कारण से वो आक्रोशित भी हो जाया करते थे। यही सब कारण रहा कि उन्हें विरोधियों ने ‘टंट्या’ नाम दिया। जिस शब्द का अर्थ होता है झगड़ा और धीरे-धीरे टंट्या के पीछे मामा जुड़ गया और उनका नाम ‘टंट्या मामा’ हो गया।

गरीबों के मसीहा बन उभरें तो प्रभावित हुए तात्या टोपे…

Story Of Tantya Bhil

बता दें टंट्या भील को आदिवासियों की बदहाली बेचैन करती थी। आर्थिक असमानता की खाई को पाटने के लिए उन्होंने अमीरों और सेठों के यहां डाके डालने शुरू कर दिए। इसका इस्तेमाल उनका गिरोह गरीबों की भूख  मिटाने के लिए करता। ऐसे में टंट्या के गिरोह ने सबसे अधिक डाके अंग्रेज अफसरों के घर में डालें। ग़रीबों पर अंग्रेज़ों की शोषण नीति के ख़िलाफ़ उसकी आवाज़ लोगों को पसंद आने लगी और वो ग़रीब आदिवासियों के लिए मसीहा बनकर उभरे। अंग्रेज़ों ने उन्हें ‘इंडियन रॉबिन हुड’ कहना शुरू कर दिया। वहीं तात्या टोपे उनसे प्रभावित होकर उन्हें ‘गुरिल्ला युद्ध’ में दक्ष बनाया।

अंग्रेजी दास्ता के विरुद्ध आदिवासी संघर्ष 1757 के बाद ही शुरू हुआ…

Story Of Tantya Bhil

प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम भले 1857 के बाद शुरू हुआ, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि आदिवासियों के विद्रोहों की शुरुआत प्लासी युद्ध (1757) के ठीक बाद ही शुरू हो गई थी। वहीं झारखंड में अंग्रेजी दास्ता के विरुद्ध आदिवासी संघर्ष 1855 में शुरू हुआ था। उसी दौर में सिदो-कान्हा और फूलो-झानू के नाम अग्रणी हैं। इधर, सन 1857 से लेकर 1889 तक टंट्या भील ने अंग्रेज़ों के नाक में दम कर रखा था। वो अंग्रेज़ों पर हमला करके किसी परिंदे की तरह ओझल हो जाते थे। आजादी के इस जननायक की वीरता और अदम्य साहस के किस्से आम होने लगे थे।

अपनों की दगा से पकड़े गए, 4 दिसम्बर 1889 को दे दी गई फांसी…

Story Of Tantya Bhil

एक समय ऐसा आया जब अंग्रेज टंट्या मामा के गुरिल्ला लड़ाई से तंग आ चुके थे। ऐसे में अंग्रेज अधिकारियों ने टंट्या के लोगों को फोड़ना शुरू कर दिया। आखिर एक दिन इसमें उन्हें कामयाबी मिल गई। अपने लोगों की दगा के वो शिकार हो गया और इस तरह भील जनजाति का यह हीरो अंग्रेजी पुलिस के हाथों पकड़ लिया गया। 4 दिसम्बर 1889 को उन्हें फांसी दे दी गई।

Story Of Tantya Bhil

अंग्रेज़ों ने शव को खंडवा रेल मार्ग पर स्थित पातालपानी (कालापानी) रेलवे स्टेशन के पास ले जाकर फेंक दिया। जहां आज उनकी समाधि स्थल है और रेल भी सम्मान में थोड़ी देर के लिए यहां रुक जाती है।

आज भी लोकप्रिय है ‘टंट्या मामा’ की कहानियां…

अपने सामाजिक सेवाओं और देशभक्ति के कारण टंट्या मामा आज भी याद किए जाते हैं। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के आदिवासी घरों में उनकी पूजा की जाती है। वहीं इनसे जुड़ी कई किवदंती भी प्रचलित है। जिसमें कहा जाता है कि उन्हें अलौकिक शक्तियां प्राप्त थीं। वो सभी पशु-पक्षियों की भाषाएं समझते थे। टंट्या एक ही समय में 1700 गांवों में सभाएं करते थे। अंग्रेज़ों की 2000 पुलिस भी उन्हें पकड़ नहीं पाती थी। इतना ही नहीं अंग्रेज़ों के आंखों के सामने से वो ओझल हो जाते थे वग़ैरह-वग़ैरह। जो भी हो लेकिन एक बात सत्य है कि टंट्या मामा की वीरता के क़िस्से आज भी प्रचलित है और उन्हें आदिवासी समाज काफ़ी श्रद्धा के साथ याद करता है।

Back to top button
Slot Online https://kemenpppa.com/ slot gacor pengeluaran macau slot pulsa 5000 slot gacor slot gopay slot777 amavi5d sesetoto mixparlay sontogel slot gacor malam ini Situs Toto togel macau pengeluaran sdy Situs Toto Situs Toto titi4d Situs Slot Toto Slot https://www.dgsmartmom.com/ slot mahjong Situs Toto titi4d Situs Slot Situs Toto titi4d kientoto https://wonderfulgraffiti.com/ Toto Slot Slot Togel slot online sesetoto Winsortoto ilmutoto https://pleasureamsterdamescort.com/ slot gacor terbaru PITUNGTOTO situs togel kientoto slot gacor slot gacor https://iwcc-ciwc.org/ sulebet Slot demo agen bola terpercaya vegas969 slot88 slot gacor slot thailand slot gacor venom55 angker4d mayorqq kiostoto taruhanbola taruhanbola naruto88 leon188 login kientoto paten188 slot gacor kapakbet babeh188 naruto88 babeh188 https://www.raars.zaragoza.unam.mx/fruit-boom/ leon188 naruto 88 naruto 88 Wikatogel slot toto slot toto macau toto slot situs toto toto togel https://id.desapujonkidul.net/ toto togel online toto togel toto togel toto togel toto slot slot gacor situs toto toto slot https://www.crossover.org.au/ titi4d karatetoto mmatoto situs toto toto slot toto slot mahongtoto situs toto toto slot toto slot toto slot kaskus288 Data sgp Pengeluaran sdy toto slot Data hk situs toto sukutoto https://news.stkipyasika.ac.id/ https://www.b254.com/email/ netralbet sukutoto https://resolutionmag.com https://www.sbfhc.org/contact/ https://ciesas.edu.mx/ situs terpercaya slot gacor sky99idn won91