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दलाई लामा के अरुणाचल दौरे से बौखलाया चीन, दलाई लामा ने कहा बेवजह विवाद खड़ा कर रहा है चीन!

बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा इस समय अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर हैं। उनके इस कदम से चीन में खलबली मची हुई है। तवांग के रास्ते बोमडिला पहुंचने के साथ ही उनके सप्ताह भर के अरुणाचल प्रदेश दौरे का चीन ने कड़ा विरोध करना शुरू कर दिया है। चीन ने भारत को उसके रिश्तों पर प्रतिकूल असर पड़ने की भी चेतावनी दे डाली है। चीन ने पेइचिंग में स्थित भारतीय दूतावास के राजदूत विजय गोखले को अपने विदेश मंत्रालय में बुलाकर विरोध पत्र भी सौंपा।

पहले भी कर चुके हैं अरुणाचल प्रदेश का 6 बार दौरा:

चीन के इस कदम से भारतीय खेमे में भी नाराजगी है और यहां विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने एक दिन पहले दिया हुआ अपना बयान दोहराते हुए कहा कि दलाई लामा के अरुणाचल दौरे पर चीन किसी तरह का विवाद ना खड़ा करे। उन्होंने कहा कि दलाई लामा एक सम्मानित धर्म गुरु हैं। इससे पहले भी वह 6 बार अरुणाचल प्रदेश का दौरा कर चुके हैं।

बढ़ सकता है सीमा क्षेत्र का विवाद:

दूसरी तरफ चीन की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि सीमा के पूर्वी हिस्से को लेकर चीन का रवैया तर्कपूर्ण और साफ है। दलाई लामा के उस विवादित क्षेत्र के दौरे से न केवल तिब्बत बल्कि सीमा क्षेत्र का विवाद बढ़ेगा। इससे भारतीय पक्ष की प्रतिबद्धता पर भी विपरीत असर पड़ेगा। उधर भारत के गृह राज्य मंत्री किरेन रिजीजू ने भी इस मामले पर अपना बयान दिया। उन्होंने कहा कि भारत कभी भी चीन के किसी मामले में हस्तक्षेप नहीं करता है। भारत चीन की नीतियों का सम्मान करता है।

दलाई लामा को लेकर है नरेन्द्र मोदी का रुख अलग:

Narendra modi meets bjp mp

दलाई लामा का अरुणाचल प्रदेश दौरा राजनीतिक नहीं बल्कि पूरी तरह से धार्मिक है। ग्लोबल टाइम्स में छपी एक खबर के मुताबिक पहले के सभी प्रधानमंत्रियों से अलग नरेन्द्र मोदी का रुख दलाई लामा के प्रति एकदम अलग है। वह चीन को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं। अखबार का यह दावा है कि भारत एन.एस.जी. की सदस्यता और पाकिस्तानी आतंकी मसूद अजहर को लेकर चीन से खफा है। इसलिए भारत तिब्बत कार्ड खेलने की फिराक में है।

वहीं दलाई लामा ने सारे मामले को साफ करते हुए कहा कि भारत ने उन्हें कभी भी चीन के खिलाफ इस्तेमाल नहीं किया है। यदि इसके बावजूद भी चीन उन्हें बुरा मानता है तो उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है। उन्होंने आगे कहा कि वह चीन से आजादी की मांग नहीं करते हैं, लेकिन चीन एक अर्थपूर्ण भूमिका में हो, यह अपेक्षा करते हैं। दलाई लामा ने यह भी कहा कि वह एक प्राचीन भारतीय विचारों के दूत मात्र हैं।

 

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