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10 साल बड़े आदमी से शादी, 2 रुपए की रोज की कमाई और बेचे गोबर के उपले, आज हैं 700 करोड़ की मालकिन

अक्सर कहा जाता है कि जिन लोगों को खुद पर भरोसा हो वो एक दिन कोई न कोई बड़ा काम जरुर कर गुजरते हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने दुनिया भरी की मुसीबतें झेलते हुए आज करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर दिया है। आज हम बात कर रहे हैं कि कल्पना सरोज की, जो गरीब परिवार में जन्मी लेकिन आज करोड़पति बन चुकी हैं।

आपको उनकी कहानी न सिर्फ इंस्पायर करेगी बल्कि किसी भी मुसीबत में हार न मानने की सीख भी देगी। कल्पना आज 700 करोड़ की कंपनी की मालकिन हैं। आपको बता दें कि कल्पना सरोज कमानी स्टील्स, केएस क्रिएशंस, कल्पना बिल्डर एंड डेवलपर्स, कल्पना एसोसिएट्स जैसी दर्जनों कंपनियों की मालकिन हैं। कल्पना आज करोड़ों का टर्नओवर देने वाली कंपनी की चेयरपर्सन हैं और उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुकी है।

छह कंपनियों – कामनी ट्यूब्स लिमिटेड, कमानी स्टील री-रोलिंग मिल्स प्राइवेट लिमिटेड, साईकृपा शुगर फैक्ट्री प्राइवेट लिमिटेड, कल्पना बिल्डर्स एंड डेवलपर्स, कल्पना सरोज एंड एसोसिएट्स, और केएस क्रिएशन्स फिल्म प्रोडक्शन – कल्पना सरोज की इन कंपनियों में हजारों लोग और संयुक्त कर्मचारी काम करते हैं। उसके व्यापारिक साम्राज्य का कारोबार सालाना 2,000 करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है। लेकिन कल्पना को यह सब कुछ आसानी से नहीं मिला। इसके लिए उन्हें बेहद कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा।

कल्पना अपने संघर्ष के बारे में कहती हैं कि, “बचपन में मेरी शादी हो गई थी। 1958 में एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी कल्पना महाराष्ट्र के अकोला जिले में रहती थीं, जहाँ उनके पिता एक पुलिस कांस्टेबल थे। वह अपने माता-पिता और चार भाई-बहनों के साथ रहती थी।

कक्षा सात के बाद उनकी शादी कर दी गई वह ठाणे के उल्हासनगर झुग्गी में रहती थीं, जहाँ उनके पति का परिवार 10×5 फीट के कमरे में रहता था, जिसमें 12-15 लोग एक ही छत के नीचे रहते थे। कल्पना ने इससे पहले कभी झुग्गी नहीं देखी थी। उनके मुताबिक “वह कमरा बहुत छोटा था और मेरे पति के भाई, बच्चे, हर कोई वहाँ रहता था।” “छह महीने के भीतर, उन्होंने मुझे परेशान करना शुरू कर दिया; अगर खाने में नमक कम होता तो मेरे पति मुझे पीट देते थे…।”

1975 में, कल्पना को महात्मा ज्योतिबा फुले योजना के तहत 50,000 रुपये का ऋण मिला था, जिससे उन्होंने कपड़े का बुटीक शुरू किया। उनका व्यवसाय अच्छा चल रहा था और 1978 में बेरोजगारों की मदद के लिए उन्होंने सुशीक्षित फिरोजगार युवक संगठन शुरू किया। उनके संघ में लगभग 3,000 लोग शामिल हुए जिन्हें नियुक्तियों के साथ मदद मिली। धीरे-धीरे कई सारे बिजनेस और सहायता की मदद से कल्पना ने अपना बिजनेस बढ़ाया। आखिरकार वह एक-एक कर अन्य बिजनेस भी करने लगी।

उनके व्यवसायों का वर्तमान संयुक्त कारोबार 2,000 करोड़ रुपये है। कमानी ट्यूब्स अब एक लाभदायक कंपनी है, जिसमें हर साल 5 करोड़ रुपये का मुनाफा होता है। कल्पना सरोज, एक दलित परिवार की लड़की हैं, जिन्होंने कपड़ा कारखाने में एक सहायक के रूप में अपना करियर शुरू किया था। आज वो मुम्बई के कल्याण में 5,000 वर्ग फुट के घर में रहती हैं। लेकिन आज वो 60 की उम्र में भी काम कर रही हैं, वह अब राजस्थान में एक होटल व्यवसाय में निवेश करने जा रही हैं।

बता दें कि कल्पना ने दोबारा शादी की थी, लेकिन उनके पति का निधन हो गया। उनकी बेटी सीमा ने होटल मैनेजमेंट का कोर्स किया है और उनका बेटा अमर एक कमर्शियल पायलट है। कल्पना को 2013 में व्यापार तथा उद्योग के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया था और उन्हें भारत सरकार द्वारा भारतीय महिला बैंक के निदेशक मंडल में भी नियुक्त किया गया था।

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