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700 साल पुराना है अक्षयपुरीश्वर मंदिर, पुष्य नक्षत्र के दौरान होती है शनिदेव-शिव की विशेष पूजा

अक्षयपुरीश्वर मंदिर एक प्रचानी मंदिर है और पुष्य नक्षत्र के दौरान हजारों की संख्या में लोग इस मंदिर में आकर शनि देव के दर्शन किया करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि ये मंदिर करीब 700 साल पुराना है और इस मंदिर का निर्माण 1335 ईस्वी से 1365 ईस्वी के बीच किया गया था। ये मंदिर तमिलनाडु के तंजावूर के विलनकुलम में स्थित है और इस मंदिर में शनिदेव के अलावा शिव जी की पूजा भी की जाती है।

अक्षयपुरीश्वर मंदिर से जुड़ी कथा

अक्षयपुरीश्वर मंदिर से एक प्रचानी कथा जुड़ी हुई है और इस कथा के अनुसार शनिदेव ने अपने पंगु रोग सही करने हेतु इस जगह पर भगवान शिव की पूजा की थी। पूजा से प्रसन्न होकर शिव जी ने शनि देव को दर्शन दिए थे और शनि देव को विवाह और पैर ठीक होने का आशीर्वाद दिया था। जिस वक्त शनि देव ने इस जगह पर पूजा की थी। उस समय पुष्य नक्षत्र और अक्षय तृतीया तिथि का संयोग था और यही कारण है कि पुष्य नक्षत्र और अक्षय तृतीया तिथि के दिन इस मंदिर में दूर-दूर से लोग आते हैं और पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में पूजा करने से शनि की साढ़ेसाती दूर हो जाती है।

पत्नियों के साथ विराजित है शनिदेव

शनि देव को पुष्य नक्षत्र का स्वामी कहा जाता है। इसलिए इस नक्षत्र में जन्मे लोग इस मंदिर में आकर शनिदेव की पूजा जरूर करते हैं। इस मंदिर में शनिदेव की पूजा उनकी पत्नी के साथ की जाती है और इस मंदिर में शनिदेव अपनी पत्नियों मंदा और ज्येष्ठा के साथ विराजित हैं।

चढ़ाई जाती है आठ वस्तु

शनि देव के साथ 8 अंक जुड़ा हुआ है और इसलिए इस मंदिर में शनिदेव की पूजा करते हुए उन्हें आठ वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं और आठ बार परिक्रमा की जाती है। इस मंदिर में शनिदेव के अलावा अन्य देवताओं की भी पूजा की जाती है। इस मंदिर में शनिदेव के साथ-साथ भगवान गणेश, भगवान नंदिकेश्वर, मां दुर्गा और देवी गजलक्ष्मी की भी मूर्ति स्थापित हैं।  इसके अलावा भगवान शिव इस मंदिर में अक्षयपुरिश्वर के रूप में विराजमान हैं औ यहां एक बड़ा शिवलिंग भी है।

जल्द हो जाता है विवाह

जिन लोगों का विवाह नहीं हो रहा है अगर वो इस मंदिर में आकर पूजा करते हैं तो उनका विवाह जल्द ही हो जाता है। इसके अलावा लोग इस मंदिर में आकर अपने अच्छे स्वस्थ, सुख और समृद्धि जीवन के लिए भी पूजा करते हैं। वहीं जिन लोगों पर कर्ज चढ़ा है अगर वो इस मंदिर में आकर पूजा करते हैं तो उनका कर्ज तुरंत उतर जाता है।

काफी भव्य है ये मंदिर

अक्षयपुरीश्वर मंदिर काफी भव्य है और इस मंदिर में कई सारे छोटे मंडप और हॉल बने हुए हैं। मंदिर का मुख्य हिस्सा दीवारों से घिरा हुआ है। इस मंदिर में एक कोटरीनुमा स्थान भी है जहां पर सूरज का प्रकाश नहीं पहुंच पाता है। वहीं मंदिर के गर्भगृह में केवल पुजारी ही प्रवेश कर सकते हैं और भक्त लोग गर्भगृह  के बाहर खड़े होकर पूजा करते हैं।

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