स्वास्थ्य

मीठा देखकर मुंह में आ जाता है पानी तो खुद को करें कंट्रोल,ज्यादा मीठा खाने से होती है ये समस्या

मीठा के शौक रखने वालों की भारत में कोई कमी नही हैं। जलेबी, गुलाब जामुन, डोनट्स, चॉकलेट, हलवा और ना जाने क्या क्या ऐसा मिठाइयां हैं जिन्हें देख भर लेने से मुंह में पानी आ जाता है औऱ आंखों में चमक। वैसे भी हमारे देश में हर खुशी के मौके पर मिठाई तो खाई ही जाती है। हालांकि मुंह मीठा करना एक बात होती है और मन भर मिठाई खाना दूसरी। ऐसे में जब आप ज्यादा मीठा खा लेते हैं तो आपके शरीर पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। एक रिसर्च में ये बात सामने आई है कि एक लिमिट के बाद मीठा खाने से याद्दाश्त पर खराब असर पड़ता है।

क्यों दिमाग पर होता है असर

अगर मीठे के शौकीन हैं तो ये बात जान लें कि ज्यादा मीठे का सेवन आपके खून में शुगर की मात्रा बढ़ा देता है। शुगर बहुत जल्दी घूलता है औऱ खून में भी ये जल्दी घूल जाता है। खून में शुगर की ज्यादा मात्रा होने से दिमार पर इसका खराब असर होता है। ये दिमाग के कामों में रुकावटें लाती हैं और तंत्रिकाओं को कमजोर करती है। अगर आप रोज मीठा खाते हैं चाहे वो मिठाई हो या फिर चॉकलेट तो इसका असर आपके दिमाग पर पड़ेगा।

भूलने लगते हैं चीजें

ये बाते सिर्फ ऐसे ही नहीं कह दी गई हैं। ब्लड शुगर का स्तर कम होने से मस्तिष्क अच्छी तरह से अपना काम कर पाता है जिससे भूलने की समस्या पैदा नहीं होती है। शोधकर्ताओं ने करीब 150 लोगों पर इस बात की रिसर्च की है। इनमें से कई लोग 63 उम्र के आसपास थे और इन्हें मधुमेह की बीमारी नहीं थीं। सबसे पहले प्रतिभागियों के ग्लूकोज स्तर की जांच की और उनके दिमाग की स्कैनिंग करते हिप्पोकैंपस का आकार भी मापा। बता दें कि हिप्पोंकैंपस मस्तिष्क का वो भाग है जो याद्दाश्त कजमोरी के लिए जिम्मेदार माना जाता है।

अब इन लोगों की मेमोरी का टेस्ट किया गया। इस दौरान इन लोगों को कुछ शब्द सुनाए गए और 30 मिनट का ब्रेक दिया गया। इसके बाद इन शब्दों को दोहराने के लिए कहा गया। जिन लोगों का ब्लड शुगर लेवल कम था उन्होंने अच्छे से पर्फॉर्म किया और उन्हें शब्द याद रहे, लेकिन जिनके शरीर में ग्लुकोज की मात्रा अधिक थी उन्हें कम शब्द याद रहे।

अक्सर डॉयबटीज के मरीजों को शुगर लेवल घटाने की बात कही जाती है औऱ उनके मीठेपन पर रोक लगाया जाता है। सिर्फ डॉयबटीज से पीड़ित लोगों को अपने मीठे पर कंट्रोल नहीं रखना चाहिए बल्कि सामान्य शुगर लेवल वाले लोगों को भी अपना शुगर लेवल कंट्रोल रखवना चाहिए। इससे उम्र बढ़ने के बाद उन्हें अल्जाइमर या डिमेंशियां जैसी बीमारी नहीं होगी।

डॉयबटीज न होने पर भी याद्दाश्त प्रभावित

अल्जाइमर्स सोसायटी के रिसर्च कम्यूनिकेशन मैनेजर डॉ क्लेयर वाल्टन बताते हैं हम जानते हैं कि टाइप 2 डायबटीज से अल्जाइमर का खतरा पैदा होता है। ये अध्ययन बताता हैं कि डायबटीज नहीं होने पर भी बढ़ा हुआ ब्लड शुगर याद्दाश्त संबंधी समस्याओं के लिए जिम्मेदार हो सकता है। इसे नियंत्रण करने के लिए संतुलित खानपान और व्यायाम साबित हो सकता है।

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