अध्यात्म

कर रहे हैं कुंभ में स्नान की तैयारी? तो बस एक क्लिक में जाने कैसे पहुंचें और कहां रुकें

हिंदू धर्म में त्यौहारों और धार्मिक मेलों की कोई कमी नहीं है. कभी नवरात्री में पंडाल सज जाते हैं, तो रामलीला के मंच बन जाते हैं, कभी खिचड़ी का मेला लगता है तो कभी माता के जगराते में लोग पूरी रात जगते हैं. मगर इनमें से एक और महत्वपूर्ण उत्सव है जो हिंदू धर्म के ज्यादातर लोग मनाते हैं और वो है कुंभ का मेला जिसमें करोड़ों लोग शामिल होते हैं. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के अनुसार साल 2019 के इस प्रयागराज अर्ध-कुंभ में 15 करोड़ लोग शामिल होने जा रहे हैं. अगर आप इसका औसत निकालते हैं हो भारत का हर आठवां आदमी इस कुंभ मेले में पहुंचेगा. अगर आप भी कर रहे हैं कुंभ में स्नान की तैयारी? तो इससे पहले हमारा ये आर्टिकल पढ़ लीजिए जिसकी पूरी जानकारी हम आपको देने जा रहे हैं.

कर रहे हैं कुंभ में स्नान की तैयारी?

कुंभ का मेला चार जगहों प्रयाग, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में लगता है. ये सभी मेले हर 12-12 सालों के लिए अलग-अलग तिथि में लगते हैं अगर हर जगहों का हिसाब लगाया जाए तो हर तीन सालों में एक जगह कुंभ का मेला लगता है. हिंदू कैलेंडर के मुताबिक नासिक और उज्जैन का महाकुंभ एक ही साल होता है. भारत में पिछला महाकुंभ 2016 में उज्जैन शहर में हुआ था और अब अगला महाकुंभ 2022 में हरिद्वार शहर में लगेगा. ऐसे इन दोनों में पूरे 6 सालों का फर्क नजर आ रहा है. चलिए अब आपको बताते हैं कुंभ से जुड़ी कुछ खास और जरूरी बातें-

1. कुंभ का नाम दो कारणों से पड़ा एक कि कुंभ राशि की ग्रह दशाओं पर निर्भर करता है और दूसरे की एक कहानी है. जब देवता अमृत का कुंभ दानवों से छिपाकर ले जा रहे थे तब चार जगह बूंदे गिरी इसलिए इन तार जगहों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है.

2. चार शहरों के कुंभ मेले में सबसे ज्यादा महत्व प्रयागराज के महाकुंभ का होता है. इसका कारण ये है कि महाकुंभ तीन नदियों गंगा, यमुना और लुप्त होने वाली नदी सरस्वती का संगम माना जाता है.

3. सिर्फ प्रयागराज और हरिद्वार ऐसी जगहें हैं जहां पर अर्धकुंभ लगता है जैसा कि नाम में जाहिक है कि अर्धकुंभ दो कुंभ मेलों के बीच वाला हिस्सा. यानी किसी शहर के कुंभ और अर्धकुंभ के बीच 6 सालों का फर्क होता है.

4. प्रयागराज में साल 2019 में आयोजित होने वाला कुंभ अर्धकुंभ है. इसका मतलब पिछला कुंभ 6 साल पहले साल 2013 में लगा था.

5. प्रयागराज 63.07 वर्ग किलोमीटर में समुद्र तल से 98 मीटर ऊंचाई पर स्थित है. गंगा, यमुना और सरस्वती ये तीन नदियां एक जगह मिलती हैं और इन नदियों में से सबसे पौराणिक नदी सरस्वती है जो लुप्त हो चुकी है. प्रयागराज में कुंभ के अलावा घूमने की कई जगहें हैं जैसे मनकामेश्वर मंदिर, श्री अखिलेश्वर महादेव, ऑल सेंट्स केथेड्रल, इस्कॉन टेंपल, नाग वासुकी मंदिर, आनंद भवन, अकबर किला, इलाहाबाद संग्रहालय, उल्टा किला, खुसरो बाग़, बड़े हनुमान जी का मंदिर.

6. प्रयागराज पहुंचने के लिे आपके पास अपना वाहन है तो ठीक वरना रोडवेज बसें, फ्लाइट और ट्रेन विकल्प में आते हैं. कुंभ मेले में पहुंचने के लिए सबसे ज्यादा रेल का ही उपयोग किया जाता है इसलिए ही तो रेलवे ने भी कई स्पेशल ट्रेन वहां के लिए चलाई हैं. इस बार करीब 800 ट्रेने उस रूट पर चल रही हैं.

7. रोडवेज बसों के अलावा प्राइवेट बसों की टिकट करके भी आप प्रयागराज पहुंच सकते हैं. अगर धक्के और भीड़ में जाकर टिकट लेने से बचना चाहते हैं तो आप ऑनलाइन टिकट्स भी कर सकते हैं. इसके लिए आप कई प्राइवेट वेबसाइट्स के अलावा यूपी टूरिज्म की वेबसाइट पर वन स्टॉप ट्रेवर सलूशन पर जाकर बस की सीट रिजर्व कर सकते हैं.

8. प्रयागराज मेले के दौरान योगी सरकार ने 500 ई-रिक्शा चलाने का आदेश दिया है और शटल बसों को भी हरी झंडी दी गई है. यहां पर दूर से दूर से आए लोगों के लिए कई धर्मशालाओं का इंतजाम किया गया है और अपने साधन से जाने वालों के लिए 84 पार्किंग बनाई गई है.

9. वहां रुकने के लिए कई होटल, पीजी, धर्मशाला और गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं. इन सबकी जानकारी आप कई ऑनलाइन ट्रेवेल पोर्टल्स के द्वारा ले सकते हैं. इसके साथ ही यूपी टूरिज्म और वन स्टॉप ट्रेवेल सवूशन जैसी वेबसाइट्स पर भी रहने के बारे में जानकारी ले सकते हैं.

10. कई ट्रेवेल एजेंट्स ने वहां ले जाने, ठहराने, खाने-पीने और वहां से वापस लाने का चार्ज लिया है. इसकी जानकारी भी आपको ऑनलाइन मिल जाएगी. आप सभी जानकारियां गूगल पर जाकर अर्जित कर सकते हैं.

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