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23 Interesting Facts जो बताते हैं कि सामने वाले के मन में क्या चल रहा है, जरूर आजमा कर देखें

हर इंसान अलग-अलग मानसिकता के साथ जन्म लेता है. मानसिकता अलग होगी तो लोगों का बोलने, सोचने और चीजों पर रियेक्ट करने का तरीका भी अलग होगा. किसी काम को करने और उसे समझने का नजरिया हर इंसान का अलग-अलग होता है. इंसान के मूड पर काफी कुछ निर्भर करता है कि वह कब और कैसे रियेक्ट करेगा. कुछ लोग गुस्से को कंट्रोल करने के लिए खुशी का रास्ता चुनते हैं तो कुछ खुद को गुस्से के जरिये कंट्रोल करते हैं. कभी-कभी सामने वाले लोगों के हाव-भाव को समझना काफी मुश्किल हो जाता है. इस दौरान आपके दिमाग में यही चलता है कि सामने वाला क्या सोच रहा होगा.  इसलिए आज के इस पोस्ट में हम आपके लिये कुछ ऐसे फैक्ट्स लेकर आये हैं जो ह्यूमन साइकोलॉजी से जुड़े हैं. इन फैक्ट्स के जरिये आप काफी हद तक पता लगा सकते हैं कि सामने वाले के मन में क्या चल रहा है.

97% लोग नए पेन से सबसे पहले अपना नाम ही लिखते हैं.

अजीबोगरीब चुटकुले पर हंसने वाला व्यक्ति अक्सर अकेला होता है.

अंगूठे को उंगलियों के पीछे छिपाना आपकी घबराहट दर्शाता है.

मनोविज्ञानिकों की मानें तो पहले 7 सेकंड में ही आपका फर्स्ट इम्प्रैशन बन जाता है.

नकरात्मक विचारों को लिखकर कूड़े में फेंकने से मूड ठीक हो जाता है.

90% लोग मैसेज में उन बातों को लिखते हैं जो वह कह नहीं पाते.

कॉमेडियन या हर वक्त मजाक करने वाले लोग दूसरों के मुकाबले ज्यादा उदास रहते हैं.

किसी भी इंसान को प्यार में पड़ने के लिए केवल 4 मिनट ही काफी हैं.

जितने आजकल के बच्चे चिंतित रहते हैं, उतने 1950 में दिमागी मरीज रहते थे.

ज्यादा हंसने वाले लोग ज्यादा दर्द सहन कर सकते हैं.

किसी के साथ ज्यादा समय बिताने पर उनकी आदतें आप में आने लगती हैं.

जब आप किसी से कहते हैं कि एक सवाल पूछूं, तो सामने वाले को अपने सभी बुरे काम 1 मिनट में याद आ जाते हैं.

इंसान के लिए सबसे मुश्किल काम खुद को ये समझाना होता है कि अब मुझे किसी की परवाह नहीं.

नींद से पहले आप जिस इंसान के बारे में सोचते हैं, वहीं आपकी खुशी और दुःख का कारण होता है.

खुशी का पहला आंसू हमेशा दाहिनी आंख और दुःख का पहला आंसू बाईं आंख से निकलता है.

7 सकरात्मक टिप्पणियां 1 नकरात्मक टिप्पणी के प्रभाव को बेअसर कर देती हैं.

यदि कोई लड़की आपको पसंद करती है तो वह आपसे बात करते समय अपने बालों को सहलाती है.

हमारी सोच का असर 90% सीधे हमारे मूड पर पड़ता है.

ज्यादा तकिया लेकर सोने वाले लोग खुद को अकेला महसूस करते हैं.

जो लोग रो नहीं सकते वह भावनात्मक रूप से कमजोर होते हैं.

इंसान को किसी चीज को करने में उतनी खुशी नहीं मिलती, जितना उसे याद करके मिलती है.

ऑरेंज में स्ट्रेस कम करने की क्षमता होती है. इसलिए काम पर जाने से पहले डॉक्टर ऑरेंज खाने की सलाह देते हैं.

माता-पिता जिस तरह से अपने बच्चों से बात करते हैं, वही बच्चों की आंतरिक आवाज़ बन जाती है.

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