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बेटे के मोह में दिया चौथे बच्चे को जन्म , पर ऊपरवाले ने जो किया करिश्मा जान कर रह जाएंगे सन्न

मुरैना: कहते हैं माँ बनने का सुख बाकी सभी सुखों से कहीं गुणा उपर होता है. एक औरत को बच्चे के बिना अधूरा माना जाता है. हमारे भारतीय समाज में आज भी जो औरत माँ नहीं बन पाती, उसको बाँझ का नाम दिया जाता है. और ये बाँझ का नाम उस औरत के लिए एक कलंक और गाली के समान होता है जो उसको अंदर ही अंदर से तोड़ता रहता है. अगर इस संसार में भगवान औरत न बनाता तो कभी किसी परिवार का वंश आगे न बढ़ पाता. क्यूंकि, बच्चा पैदा करने की शक्ति भगवान ने केवल औरत को ही दी है. औरत इतने दर्द सहने के बाद भी बच्चा पैदा करने से पीछे नहीं हटती. शायद इसीलिए औरत को देवी का दूजा रूप भी माना जाता है. परन्तु आज के इस कलयुगी दौर में कईं औरतें देवी के नाम पर कलंक बन बैठी हैं. भगवान ने लड़का और लडकी को एक समान धरती पर  भेजा लेकिन, फिर भी बहुत से लोग ऐसे हैं, जो बेटे के जन्म पर खुशियाँ और बेटी के जन्म पार शोक मनाते हैं. कुछ ऐसा ही मामला हाल ही में हमारे सामने आया है. जहाँ, एक औरत की पहले से तीन बेटियां थी मगर, फिर भी बेटे की चाह ने उसको इतना पागल बना दिया कि महंगाई के इस दौर में भी वह चौथे बच्चे को पैदा करना चाहती थी. लेकिन इसके बाद जो हुआ वो इस माँ ने सपने में भी नहीं सोचा था. बहरहाल, चलिए जानते हैं आखिर ये पूरा मामला क्या था…

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दरअसल, ये मामला मध्यप्रदेश के मुरैना जिले का है. जहाँ, एक औरत की शादी के बाद पहले से तीन बेटियां थी. मगर, बेटे की चाह में उसने चौथी बार भी बच्चा पैदा करने की ठान ली. परन्तु, वह इस बात से अनजान थी कि उसका यही फैसला उसको उम्र भर के लिए भारी पड़ने वाला है. सबलगढ़ के ग्राम राम पहाड़ी निवासी सपना (25) पत्नी अमर सिंह राठौड़ को प्रसव पीड़ा के बाद रविवार को प्रसूता वार्ड में भर्ती कराया गया था.जिसके बाद इस महिला को एक साथ चार बेटियां पैदा हो गयी. जानकारी के अनुसार इसकी पहले से ही तीन बेटियां थी और अब बेटे के लालच में 7 बेटियां हो गयी है. इसके इलावा मिली जानकारी के अनुसार चरों बच्चियों का वजन कम होने के कारण अभी उन्हें अस्पताल  ही चाइल्ड केयर डिपार्टमेंट में रखा गया है.

आपकी जानकारी के लिए हम आपको  बता दें कि महिला द्वारा जन्मी चारों बच्चियों का वजन फिलहाल केवल 1200 ग्राम का है. जिसके चलते विशेषज्ञ डॉक्टर राकेश शर्मा के अनुसार वजन कम होने के कारण उन बच्चों को सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. डॉक्टर राकेश शर्मा ने बताया कि वजन कम होने के चलते ही चारों बच्चियों की हालत अभी नाज़ुक बनी हुई है और उन्हें बचाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है.

इसके इलावा आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि 13 दिसम्बर 2017 को सबलगढ़ के ही अस्पताल में इससे पहले किशोरगढ़ निवासी महिला गिरिजा जादोंन ने एक साथ तीन बेटियों को जन्म दिया था और उनका वजन भी कम होने के कारण उन्हें चिकित्सक इकाई में रखा गया था.

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