राजनीति

तो इसलिए हार गए मोदी से गुजरात में तीन लड़के

गुजरात और हिमाचल की बीजेपी जीत ने समूचे विपक्ष में खलबली मचा दी है और अब बीजेपी नेताओं का ये बयान कि विपक्ष 2019 की नहीं 2024 की तैयारी करें। ये पूरे विपक्ष में खौफ पैदा करने वाला है, कि आखिर कौन मोदी को चुनौती देगा। जिसकी छत तले विपक्ष के बाकी के नेता एकुजट हो सके, ये उम्मीदें गुजरात चुनाव से पहले राहुल गांधी में देखी जा रही थी, क्योंकि जिस तरीके से राहुल ने गुजरात में संजीदगी दिखाई, उससे उनमें एक परिवक्त नेता दिखाई भी दिया। गुजरात परिणाम से दो दिन पहले उनकी ताजपोशी शायद इसी बात का संदेश भी थी। अब विपक्ष 2019 में राहुल को ही अपना नेता माने, लेकिन गुजरात और हिमाचल की हार ने सब खराब कर दिया और अब सवाल खुद राहुल गांधी के सामने इस बात का है, आखिर कब राहुल कांग्रेस की नैया पार लगाएंगे। क्योंकि बीजेपी कांग्रेस मुक्त भारत के अभियान एक कदम और आगे बढ़ गई है।

तो गुजरात में कांग्रेस हार गई, उसकी सारी तैयारियां धरी की धरी रह गई, कांग्रेस की हर एक रणनीति चाहे वो राहुल की तोजपोशी हो, मंदिर जाना हो, जनेऊ पहनना हो सब कुछ मोदी के सामने ताश के पत्तों की तरह बिखर गई। अल्पेश, जिग्नेश और हार्दिक जैसे लड़के भी कांग्रेस को डुबने से बचा नहीं पाए, जबकि इस बार गुजरात चुनाव में राहुल ने एड़ी चोटी का जोर लगाया। 21 दिन प्रचार के दौरान वे 15 रात गुजरात में रहे, कुल 69 रैलियां की, लेकिन कुछ काम नहीं आया। जबकि क्या कुछ नहीं किया राहुल ने मंदिर गए, दर्शन किए, जीत की दुआ मांगी, राहुल ने कुल 27 मंदिरों के दर्शन किए, लेकिन कुछ काम नहीं आया। राहुल के मंदिर दर्शन पर प्रधानमंत्री मोदी का गुजरात विकास भारी पड़ गया।

जानकारों की माने तो राहुल का हार्दिक,अल्पेश, जिग्नेश पर अत्याधिक भरोसा उसे ले डूबा। इन नेताओं के दबाव में आकर कांग्रेस ने इनके समर्थकों को टिकट दिए, लेकिन यह रणनीति काम नहीं आई। अल्पेश ने चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी, जबकि जिग्नेश निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे। जिन्हें कांग्रेस ने समर्थन दिया। टिकट वितरण में इन नेताओं के समर्थकों को तरजीह मिलने से कांग्रेस कार्यकर्ता में नाराजगी आई जिससे पार्टी की संभावनाएं प्रभावित हुईं और नतीजा कांग्रेस की हार के रूप में सबके सामने है।

 

 

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