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भारत की पवित्र नदी गंगा को किया जा सकता है इस तरह से प्रदूषण मुक्त, आप भी जानें

भारत एक धार्मिक स्थल वाला देश है, यह किसी को बताने की जरुरत नहीं है। यहाँ सदियों से नदियों, पहाड़ों और जंगलों की पूजा होती रही है। इनकी पूजा इसलिए भी की जाती रही है क्योंकि इन्ही की वजह से यहाँ के रहने वालों का जीवन चलता रहा है। इन्ही में से एक नदी है गंगा, जिसे भारत में माँ का दर्जा प्राप्त है। गंगा नदी को माँ कहे जाने के पीछे एक कारण और भी है कि गंगा की वजह से भारत का सबसे बड़ा क्षेत्र सिंचित होता है और यहाँ के लोगों का जीवन चलता है।

आज गंगा की हालत क्या हो गयी है, यह बात हर कोई जानता है। नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा की सफाई का अभियान चल रहा है। लेकिन अभी तक कोई ख़ास फर्क देखने को नहीं मिला है। इस काम में आइआइटी और आइएसएम धनबाद को एक अहम जिम्मेदारी दी गयी है। आइएसएम को झारखण्ड में बहने वाली गंगा के 83 किलोमीटर के क्षेत्र को निर्मल करना है।

संस्थान के रसायन अभियंत्रण समेत पांच विभागों की टीम साहिबगंज में गंगा के किनारे बसे गांवों व कस्बों में सफाई व्यवस्था, स्वच्छ पानी की व्यवस्था और गंदे पानी को गंगा नदी में जाने से रोकने के लिए कार्ययोजना बनाकर काम कर रही है। झारखण्ड में गंगा नदी की लम्बाई 83 किलोमीटर है। साहिबगंज और राजमहल के कुल 78 गाँव गंगा नदी के किनारे बसे हुए हैं। एक साल पहले तक इन गांवों के केवल 10 प्रतिशत लोग ही शौचालय का इस्तेमाल करते थे, लेकिन अब संख्या बढ़ रही है।

आइएसएम टीम के प्रो. विनीत के अनुसार साहिबगंज में गंगा के किनारे बसे हुए गांवों को मॉडल गाँव बनाने का काम चल रहा है। गांवों में नाली के पानी, जल प्रदूषण और ठोस कचरा प्रबंधन पर काम किया जा रहा है। ऐसे शौचालयों का निर्माण किया जा रहा है जो पर्यावरण को फायदा पहुंचाए। जमीन पर बहने वाले जल का शोधन करके अगर उन्हें नदी में छोड़ा जायेगा तो भूमिगत जल में आर्सेनिक की मात्रा में कमी आएगी।

किया जायेगा यह उपाय:

*- गांवों में पीने वाले पानी की आपूर्ति वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से से की जाएगी। इसके लिए काम शुरू हो चुका है।

*- खेती करने वाले किसानों को रासायनिक खादों के इस्तेमाल से होने वाले नुकसानों के बारे में जागरूक किया जायेगा और उन्हें जैविक खादों के इस्तेमाल के बारे में जानकारी दी जाएगी।

*- गंगा में गिरने वाले दूषित जल को लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में शोधित करने के बाद ही गंगा नदी में डाला जायेगा।

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