स्वास्थ्य

जानिए प्रेगनेंट वूमेन के कमरे में क्यूट बच्चों की तस्वीरे लगाने का कितना इफैक्ट होता है

मां बनना किसी भी महिला के लिए जीवन का सबसे सुखद पल होता है जिसके लिए वो ढ़ेरो सपने सजोती है.. गर्भावस्था में महिला अपने होने वाले बच्चे के ख्यालों में खोई रहती है और कामना करती है कि उसका बच्चा स्वस्थ,सुन्दर और आकर्षक पैदा हो.. ऐसे में उसके आस-पास के लोग उसे बेहतर संतान के लिए कई सलाह भी देते हैं.. जैसे कि फलां चीज खाओ बच्चा इससे बच्चा गोरा होगा, ऐसा करने से बच्चा सेहतमंद होगा.. इस तरह के उसे कई सलाह मिलते हैं, जो कि चली आ रही मान्यताओं पर निर्भर करते हैं.. वास्तव में ये कितने कारगर होते हैं इसके बारे में ज्यादातर लोग नही जानते हैं। ऐसी ही एक मान्यता चली आ रही है कि अगर गर्भवती महिला के कमरे में क्यूट बेबी का तस्वीरें लगेंगी तो उसे देख रही महिला का बच्चा भी उन तस्वीरों जैसा खूबसूरत पैदा होगा।आज हम आपको ऐसे ही कुछ मिथकों और उनकी वास्तविक सच्चाई के बारे में बताने जा रहे  हैं।

1 मिथक-  गर्भवती महिला के कमरे में अगर बच्चे की सुंदर सी तस्वीर लगेगी तो उसे देखते रहने से उसका होने वाली संतान भी उतनी ही सुंदर पैदा होगी।

सच्चाई- असल में बच्चे का चेहरा और उसकी शारीरिक बनावट उसके जेनेटिक गुणों पर निर्भर करते हैं ना कि सामने तस्वीर में दिख रहे खूबसूरत बच्चों के प्रभाव से आपका होने वाला बच्चा भी वैसा ही दिखेगा। हां, होता ये है कि ऐसी सुंदर बच्चों की तस्वीरों को देख गर्भवती महिला पॉजिटिव महसूस करेगी और इससे उसके स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर होगा जो कि आने वाले बच्चे के लिए अच्छा रहेगा।

2 मिथक- गर्भावस्था में हर सुबह दुध,दही,नारियल जैसे सफेद चीज खाने से, बच्चा गोरा पैदा होता है।

सच्चाई- वास्तव में खानपान का होने वाले बच्चे के रंग पर कोई प्रभाव पड़ता है इसका कोई वैज्ञानिक तथ्य नही है क्योंकि अगर ऐसा सच में होता तो शायद इसका प्रयोग हर कोई गोरी संतान पैदा कर लेता और फिर तो कोई सांवला ही नही बचता ।पर असल में बच्चे का रंग आनुवांशिकी पर निर्भर करता है ना कि मां के खानपान पर।

3 मिथक- गर्भाव्स्था में खाने-पीने के शौक और पसंद से होने वाले बच्चे का लिंग का अनुमान लगाया जा सकता है।

सच्चाई- प्रेगनेंसी क्रेविंग यानी गर्भवती महिला के खाने-पीने की इच्छा और पसंद का सम्बंध वास्तव में शरीर में पोषक तत्वों के कमी से होती है न कि लड़के और लड़की की वजह से। असल में ऐसा कोई आधार या लक्षण नहीं है जिससे ये निर्धारित हो कि गर्भ में पल रहा बच्चा लड़का है या लड़की।

4 मिथक- ग्रहण लगने के दौरान गर्भवती महिला के बाहर निकलने से उसके बच्चे पर प्रभाव पड़ता है।

सच्चाई- दूसरे लोगों की तरह गर्भवती महिलाओं को भी ग्रहण के दौरान सामान्य सावधानियां बरतनी चाहिए। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि इससे आपके बच्च पर गलत प्रभाव पड़ेगा। वास्तव में ग्रहण लगना एक प्राकृतिक घटना है जबकि लोग इसे अंधविश्वास से जोड़कर देखते हैं।

5 मिथक- गर्भवती महिला को दो लोगों को बराबर डायट लेनी चाहिए ।

सच्चाई- गर्भवती महिला को हमेशा लोग दो लोगों के बराबर खाना खाने की सलाह देते हैं ताकि वो अपने साथ बच्चे की डाइट भी ग्रहण करें पर वास्तव में इसकी जरूरत नही है.. असल में महिला को खाने की मात्रा डबल नहीं करनी है बल्कि अपने डाइट में हेल्दी खाद्य सांमग्रीयों को शामिल करना है  फलों, हरी सब्जियों, दूध और दालों को शामिल करें।

6 मिथक- अधिक घी या तेल के सेवन से डिलीवरी आसान होती है.. शिशु वैजाइना से फिसलकर आराम से बाहर आ जाता है।

सच्चाई- वास्तव में ये बिल्कुल भी सच नहीं है.. घी या तेल के सेवन से सिर्फ आपकी कैलोरी बढ़ाते हैं, बैहतर यही होगा कि अधिक तैलीय चीजों की बजाय आप हेल्दी चीजें का सेवन करें।

 

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