स्वास्थ्य

स्मार्टफ़ोन के चक्कर में कहीं आपके बच्चे भी तो नहीं खराब कर रहे नींद, ध्यान दें इन बातों पर

आजकल किशोरों को पर्याप्त मात्रा में नींद नहीं मिल रही है और इसका कारण स्मार्टफोन और लैपटॉप पर बिताए गए समय की बढ़ती अवधि है. एक नए अध्ययन में ये बात सामने आई है. रिसर्च के मुताबिक, कि‍शोर जितना अधिक समय स्मार्टफोन पर बिताते हैं इसका असर उनकी नींद पर पड़ता है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट :

सैन डिएगो स्टेट यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान के प्रोफेसर जीन ट्विज का कहना है कि युवा वयस्क स्मार्टफोन के चक्कर में अपनी नींद से समझौता कर रहे हैं जो उनके समग्र स्वास्थ्य और संज्ञानात्मक क्षमताओं के लिए एक समस्या साबित हो सकता है.

नींद विशेषज्ञों ने एक बार में आठ घंटे नींद के महत्व पर बार-बार जोर दिया है. जबकि किशोर नींद का कोटा पूरा करने में सक्षम नहीं हैं. 7 घंटों से कम समय को अपर्याप्त नींद माना जाता है.

कैसे की गई रिसर्च :

जर्नल स्लीप मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया है कि जिसमें 2 साल तक राष्ट्रीय स्तर पर 360,000 से अधिक किशोरों पर हुए सर्वेक्षणों की जांच हुई. व्यापक निगरानी सर्वेक्षण (द मॉनिटरिंग द फ्यूचर) ने पाया कि आठवीं, 10वीं और 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों ने तकरीबन 7 घंटे नींद ली, जबकि यूथ रिस्क बिहेवियर सर्विलेशन सिस्टम सर्वे में पाया गया कि 9वीं से 12 वीं ग्रेड के छात्रों को 9 घंटे सोने को मिला.

दो सर्वेक्षणों के आंकड़ों के संयोजन के बाद, शोधकर्ताओं ने खुलासा किया कि 2015 में लगभग 40% किशोरावस्था रात में 7 घंटे से कम समय सोते हैं, जो 1991 की तुलना में 58% अधिक है और 2009 की तुलना में 17% अधिक है.

अधिक समय उपकरणों पर बिताना यानी सिर्फ 5 घंटे की नींद :

अध्ययन में आगे बताया कि जितनी बार इन किशोरों ने अपने फोन, लैपटॉप और अन्य डिजिटल उपकरणों पर समय बिताया था, उतनी ही उन्हें कम नींद मिली यानि ऐसे किशोरों ने प्रतिदिन 5 घंटे का समय ही सोने में बिताया था, जो प्रत्येक दिन केवल एक घंटा ऑनलाइन खर्च करते थे, वे 50% से ज्यादा अपने साथियों से ज्यादा नहीं सोते थे.

प्रकाश तरंग कर सकती है नींद डिस्टर्ब :

शोधकर्ताओं ने बताया कि 2009 के आसपास, किशोरों के बीच स्मार्टफोन की लत बढ़ गई, उनकी नींद के समय पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ा. पिछला अनुसंधान ने यह भी नोट किया है कि स्मार्टफोन और टैबलेट्स द्वारा उत्सर्जित प्रकाश तरंग शरीर की प्राकृतिक नींद में हस्तक्षेप कर सकती हैं.

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